लेकिन एबीपी चैनल ने उससे अलग नतीजों वाला सर्वे पेश किया। वह अकाली दल-भाजपा गठबंधन को 50 से 58 सीटों पर जीतने की बात कर रहा है और कांग्रेस को 41 से 49 सीटों पर जीतने का अनुमान व्यक्त कर रहा है। आम आदमी पार्टी को 12 से 18 सीटों तक ही सिमटे रहने की वह भविष्यवाणी कर रहा है।
2012 के विधानसभा चुनाव में अकाली दल को 56 सीटें हासिल हुई थीं, जबकि उसकी गठबंधन सहयोगी भारतीय जनता पार्टी को 12 पर जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस को तब 46 सीटें प्राप्त हुई थीं। लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ दो सीटें मिली थीं, जबकि उसके सहयोगी अकाली दल को 4 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। 4 सीटों पर ही आम आदमी पार्टी की जीत हुई थी, जबकि कांग्रेस को 3 सीटें हासिल हुई थीं। गौरलतब हो कि पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें हैं।
पंजाब का चुनावी परिदृश्य बहुत ही दिलचस्प है। पिछले कई चुनावों से वहां मुकाबला कांग्रेस और भाजपा- अकाली दल गठबंधन के बीच ही होता रहा है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी एक बड़ा फैक्टर बनकर उभरी है। इसके कारण इस बार मुकाबला तीन तरफा हो गया है। सरकार विरोधी लहर वहां तेज है और इसके कारण सत्तारूढ़ गठबंधन की हालत खराब है। प्रदेश की आर्थिक हालत भी खराब है। सरकारी खजाना खाली हो गया है और जबर्दस्त वित्तीय संकट का सामना वहां की सरकार कर रही है।
व्हां समाज के अनेक वर्गों में भारी असंतोष है। किसान आंदोलित है। युवाओ में रोष है। महिलाएं भी नाराज है और समाज के गरीब तबकों मे भी निराशा और हताशा का माहौल है। आम आदमी पार्टी इनके असंतोष को आधार बनाकर चुनाव लड़ रही है। जाति भी वहां एक बड़ा फैक्टर है। जनगणना के अनुसार वहां 32 फीसदी दलित हैं। दलितों की उतनी बड़ी आबादी के बावजूद यहां बहुजन समाज पार्टी को 2012 के चुनाव में सफलता नहीं मिल पाई थी।
आम आदमी पार्टी प्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। वह वहां अपने आपको एक बड़ी ताकत के रूप में पेश कर रही है। उसके पास इसके लिए मजबूत आधार भी है, क्योकि मोदी लहर के बावजूद उसे पिछले लोकसभा चुनाव में 13 में से 4 सीटों पर जीत हासिल हो गई थी। आम आदमी पार्टी पंजाब के शहरी इलाकों पर अपना ध्यान ज्यादा केन्द्रित कर रही है।
पर इसके साथ एक बड़ी समस्या यह है कि इसके पास स्थानीय नेतृत्व का अभाव है। पिछले साल तक इसकी स्थिति बहुत अच्छी थी, पर एक साल में इसके समर्थक आधार में कमी आई है। इसके बावजूद समाज के कुछ तबकों पर इसकी पकड़ मजबूत बनी हुई है और यह सत्ता में आने की उम्मीद कर रही है।
कांग्रेस ने कैप्टन अमरींदर सिंह को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया है, जबकि अकाली-भाजपा गठबंधन का चेहरा मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल खुद हैं। श्री बादल की उम्र 89 साल की हो गई है, जबकि अमरींदर सिंह 75 साल के हैं। अमरींदर ने घोषणा कर दी है कि यह उनका अंतिम चुनाव है। इसमें किसी को शक नहीं है कि यदि अकाली-भाजपा गठबंधन की जीत होती है तो प्रकाश सिंह बादल अपने बेटे सुखबीर सिंह बादल को ही प्रदेश का मुख्यमंत्री बना देंगे।
अकाली दल को अपनी खराब स्थिति का अहसास है, लेकिन फिर भी अपनी स्थिति बेहतर करने के लिए यह सभी संभव प्रयास कर रहा है। राजनैतिक परिदृश्य लगातार बदल रहा है और यह कहना कठिन है कि क्या नतीजा निकलेगा, लेकिन इतना तो कहा जा सकता है कि फिलहाल कांग्रेस बेहतर स्थिति में है। (संवाद)
पंजाब में कांग्रेस और आप में मुख्य मुकाबला
अकाली-भाजपा सफाए की ओर
कल्याणी शंकर - 2017-01-11 11:29
पांच राज्यों के होने वाले चुनाव मे उत्तर प्रदेश के बाद पंजाब ऐसा दूसरा राज्य है, जिसपर लोगों की नजरे टिकी हुई हैं। अभी तक जो ओपिनियन पोल आए हैं, उनके नतीजे मिश्रित हैं। इंडिया टुडे चैनल में आए सर्वे नतीजे कांग्रेस के पक्ष में हैं। उसके अनुसार कांग्रेस को 117 सदस्यीय पंजाब विधानसभा में 56 से 62 सीटें आ सकती हैं। आम आदमी पार्टी को दूसरी बड़ी पार्टी बताया जा रहा है। उसके अनुसार उसे 36 से 41 सीटें हासिल हो सकती हैं। अकाली दल भारतीय जनता पार्टी गठबंधन को 18 से 22 सीटें मिलने का अनुमान वह सर्वे दे रहा है। बहुजन समाज पार्टी, जिसका असर दलित वोटों पर है 1 से 4 सीटें पा सकती हैं।