बिहार में इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदारियां तय करने का इतिहास बहुत ही खराब रहा है। इसके लिए प्रशासन जिम्मेदार है या आयोजक जिम्मेदार हैं- इस पर बहस चलती रहेगी, हालांकि दोनों ही सरकार के हिस्से हैं। इसका कारण यह है कि नीतीश कुमार का रवैया इस मामले में ढुलमुल है। जब कभी इस तरह की घटना घटती है, नीतीश कुमार कहते हैं कि सरकार ने इसे बहुत गंभीरता से लिया है और सरकार ने एक उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन कर दिया है। वे यह भी कहते हैं कि जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी।

इस बार भी नीतीश कुमार ने वही किया। उन्होंने दो सदस्यों वाली एक जांच समिति का गठन कर दिया और कहा कि इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को छोड़ा नहीं जाएगा। लेकिन नीतीश कुमार के उस बयान के 48 घंटे के बाद भी यह तय नहीं किया जा सका है कि बिहार सरकार का कौन विभाग इस पतंग उत्सव को आयोजित कर रहा था।

यह बहुत विचित्र बात है कि नीतीश कुमार अभी तक यह नहीं बता पा रहे हैं कि उस उत्सव के आयोजन के पीछे कौन लोग थे। हां, वे इतना जरूर कह रहे हैं कि उनकी सरकार के पर्यटन विभाग ने लोगों को उत्सव में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने अधिकारियों की एक बैठक बुलाई और उनसे जानना चाहा कि लोगों को पटना से दियारा क्षेत्र में ले जाने और वहां से वापस लाने के लिए क्या इंतजाम किए गए थे।

उन्होंने उनसे यह भी पूछा कि उत्सव के दौरान कितने पुलिस बल की तैनाती की गई थी। उन्होंने पत्रकारांे को बताया कि यह स्थापित नियम है कि शाम हो जाने के बाद नावों द्वारा लोगों को नदी पार कराने का काम नहीं किया जाता है, लेकिन विडियो देखने से पता चलता है कि शाम के बाद लोग नाव की सवारी कर रहे थे। उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि ऐसा क्यों हुआ। उन्होंने पूरे विश्वास के साथ इस बात को दुहराया की जांच में जो कोई भी दोषी पाया जाएगा, उसे वे नहीं छोड़ेंगे, चाहे वह कितने भी ऊंचे पद पर बैठा हुआ हो।

सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि घटना के बाद मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा आयोजित उस पतंग उत्सव के बारे में उन्हें सही तरीके से जानकारी ही नहीं थी। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें पता होता, तो वे आयोजकों से तीन या चार सवाल पूछते। उन्होंने कहा कि किसी भी बड़े आयोजन के पहले सवाल पूछना उनकी आदत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने अब निर्णय लिया है कि किसी भी विभाग द्वारा किसी आयोजन के पहले मुख्य सचिव से अनुमति लेनी होगी।

उस पतंग उत्सव में लोगों को आमंत्रित करने के लिए अखबारों में विज्ञापन दिए थे। विज्ञापन में नीतीश कुमार की तस्वीर थी, लेकिन मुख्यमंत्री कहते हैं कि उन्हें इस बात के लिए आश्चर्य हो रहा है कि उसमें उनकी तस्वीर क्यों थी। गौरतलब हो कि विज्ञापन पब्लिक रिलेशंस विभाग जारी करता है। यदि नीतीश जो कह रहे हैं वह सच है, तो मानना पड़ेगा कि उनका अधिकारियों से संवाद ही नहीं होता है। उनका ही नहीं, बल्कि विभागों के बीच आपसी संवाद का भी अभाव हो गया लगता है। आखिर यह कैसे हो सकता है कि नीतीश कुमार के कार्यालय की जानकारी के बिना ही उनकी तस्वीर वाला विज्ञापन जारी कर दिया गया। नीतीश कहते हैं कि वे इसकी भी जांच कराएंगे।

अधिकारियों का कहना है कि पर्यटन विभाग और पटना व सारण जिलों के अधिकारियों के बीच समन्वय का अभाव था। यह दुर्घटना जिस जगह हुई, वह सारण जिले में स्थित है। उत्सव स्थल भी सारण जिले में है। गंगा के दक्षिण का इलाका पटना जिले में है और उत्तर का इलाका सारण जिले में है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि उस उत्सव में न तो सारण जिले के जिलाधिकारी उपस्थित थे और न ही वहां के पुलिस अधीक्षक। वे उत्सव के लिए हो रही तैयारियों को देखने तक नहीं आए थे। शायद उन्हें यह पता ही नहीं हो कि उनके इलाके में सरकार का पर्यटन विभाग कोई पतंग उत्सव आयोजित कर रहा है। यानी प्रशासन के लोगों में आपस में भी संवादहीनता है। (संवाद)