यह बैठक कोट्टायम में हो रही थी। उसमें जो कुछ हुआ, उसका संदेश स्पष्ट है। उसमें प्रदेश के दो प्रमुख नेताओं के खिलाफ कार्रवाई में हुए भेदभाव किए र्गए। उनमें एक तो पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सी के पद्मनाभन हैं और दूसरी पार्टी के प्रदेश महासचिव ए एन राधाकृष्णन हैं।

पी पद्मनाभन से पार्टी के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी के लिए सफाई मांगी गईए जबकि राधाकृषणन के विवादास्पद बयान के लिए कुछ नहीं किया गया, क्योंकि राधाकृषणन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बहुत खास हैं।

जहां तक पद्मनाभन का सवाल है, तो उन्होंने पार्टी के खिलाफ पहली बार आलोचनात्मक बयान नहीं दिए हैं। वे अतीत में भी ऐसा करते रहे हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वे संघ को ज्यादा तवज्जो नहीं देते। यही कारण है कि एक ही तरह की अनुशासनहीनता करने पर उनके खिलाफ को कार्रवाई हुई, लेकिन राधाकृष्णन को कुछ नहीं किया गया और उनसे कुछ कहा भी नहीं गया। इसका असर कार्यकत्र्ताओं में बहुत नीचे तक गया है।

इसके कारण प्रदेश भाजपा के कार्यकत्र्ताओं का एक हिस्सा आरएसएस के वर्चस्व को लेकर सवाल उठाने लगा है और इस बात पर वे अपना क्षोभ भी जाहिर करने में कंजूसी नहीं कर रहे हैं।

संघ पद्मनाभन पर इसलिए नाराज है, क्योंकि उन्होंने राधा कृष्णन और उनके जैसे लोगों को साहित्यकार वासुदेवन नायर और फिल्म निदेशक कमल के खिलाफ आग उगलने की आलोचना की थी। राधाकृष्णन ने कहा था कि यदि कमल राष्ट्रगान का सम्मान नहीं कर सकते, तो उन्हें पाकिस्तान चला जाना चाहिए। पद्मनाभन ने राधाकृष्णन की खिंचाई करते हुए कहा था कि किसी को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी और पाकिस्तान जाने की बात करे।

पद्मनाभन ने राधाकृष्णन के चे गवेरा वाले बयान पर भी आपत्ति जताई थी। उन्होंने न केवल चे गवेरा के खिलाफ बयान दिया था, बल्कि कहा था कि प्रदेश सरकार को उनका पोस्टर भी हटा देना चाहिए। गौरतलब हो कि प्रदेश सरकार ने चे के पोस्टर पूरे राज्य भर में लगा रखे हैं। पद्मनाभन ने कहा था कि जो चे गेवरा पर आपत्ति कर रहे हैं उन्हें बोलिवियन डायरी पढ़ना चाहिए और उन्हें समझना चाहिए। पढ़ने वाले को पता चल जाएगा कि चे का क्या योगदान रहा है।

भाजपा के एक वर्ग को लगता है कि साहित्यकारों और कलाकर्मियों पर पार्टी नेताओं के आपत्तिजनक बयानबाजी से पार्टी के विस्तार में बाधाएं पहुंचेगी। भाजपा के एक नेता शोभा सुरेन्द्रन ने कहा कि कमल और नायर पर राधाकृष्णन द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी उनका निजी विचार है और इससे पार्टी का कोई लेना देना नहीं है। इससे पता चलता है कि प्रदेश भाजपा किस तरह विभाजित हो गई है।

पार्टी के अंदर हो रही गुटबाजी अब सार्वजनिक हो गई है और इससे पार्टी पर खराब असर पड़ रहा है। यह साफ हो गया है कि पार्टी के अंदर एक गुट ऐसा है, जो पूरी तरह से संघ से जुड़ा हुआ है, जबकि दूसरा गुट आरएसएस को ज्यादा महत्व नहीं देना चाहता है। लेकिन तीन दिवसीय बैठक से पता चलता है कि संघ और उसके समर्थकों की पकड़ प्रदेश भाजपा पर मजबूत होती जा रही है। (संवाद)