राष्ट्रपति बनते के साथ टंªप ने साथ शब्दों में कहा था कि वे दो कानून का पालन करवाना चाहेंगे। पहला कानून अमेरिकन माल खरीदो और दूसरा कानून होगा अमेरिकी लोगों को अपने काम पर रखो। भारत अमेरिकी की संरक्षणवादियों नीतियों से डर रहा था और लगातार कोशिश कर रहा था कि अमेरिकी संरक्षणवादी नीतियों पर कम से कम उसपर असर नहीं पड़े। इसलिए वह चैतरफा लाॅबिइंग कर रहाथा कि एच1-बी वीजा को कम से कम टंªप बख्स दें। भारत ट्रंप प्रशासन को यह समझाने की कोशिश कर रहा था कि इससे अमेरिका को ही फायदा है, क्योंकि इसके कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था ज्यादा प्रतिस्पर्धी हो जाती है।
लेकिन ट्रंप प्रशासन ने पिछले सप्ताह एच1-बी वीजा पर रोक लगा दी है, जिससे भारत का आई उद्योग दहल गया है। भारतीय अधिकारी दावा कर रहे थे कि अमेरिकी प्रशासन को समझाने की उनकी कोशिश काम कर रही है और वे अपने अभियान में सफल हो रहे हैं, लेकिन जो नतीजा आया, वह बहुत ही उलटा साबित हुआ। अमेरिका ने वीजा जारी करने की उस व्यवस्था पर रोक लगा दी, जिससे भारतीयों को वहां का वीजा लेकर वहां जाने में आसानी होती थी। उसका लाभ लेकर ही भारत की आईटी कंपनियां भारतीय लोगों को वहां भेजती थीं और अमेरिकी कंपनियां भी भारत के लोगों को वहां बुलाकर रोजगार देती थीं।
भारतीय आईटी कंपनियों के हितों की रक्षा करने के लिए भारत के विदेश सचिव जयशंकर अमेरिकी सचिव जाॅन केली से मिले थे। उस बैठक में उन्होंने वीजा के मसले को उठाया था। उसके बाद वह आश्वस्त दिख रहे थे कि अमेरिकी प्रशासन उनकी बात को समझकर कुछ वैसा नहीं करेगा, जिससे भारत की आईटी कंपनियों को नुकसान हो। लेकिन उस बैठक के अगले दि नही अमेरिका ने एच1-बी वीजा पर रोक लगाने की निर्णय घोषित कर दिया।
सच कहा जाय तो भारत इस तरह का और भी ज्यादा वीजा चाहता है, ताकि भारत के आईटी उद्योग की विकास दर में आई कमी को पलटा जा सके। 2016 में देश की सभी बड़ी आईटी कंपनियो ने अपनी विकास दर में कमी देखी हैं। उसके कारण भविष्य अनिश्चित लग रहा है और उसका असर रोजगार पर पड़ रहा है।
अमेरिका ने एच1-बी वीजा की व्यवस्था अपने देश मंे विदेशों से कुशल और प्रशिक्षित इंजीनियरों को आकर्षित करने के लिए किया था। उसके तहत कंपनियां उच्च प्रशिक्षित इंजीनियरों को अपने देश मंे आमंत्रित करती रही है। लेकिन टंªप और उनके समर्थकों का मानना है कि उच्च प्रशिक्षित इंजीनियरों को बुलाने के नाम पर निम्न श्रेणी के आईटी प्रशिक्षुओं को भी वहां बुलाया जा रहा है, जिसके कारण अमेरिका के युवकों में बेरोजगारी फैल रही है।
वीजा की इस व्यवस्था के तहत अमेरिका में सबसे ज्यादा भारत के युवा जा रहे हैं। पिछले साल 85 हजार उस तरह के वीजा जारी किए गए, जिनमें 60 फीसदी भारतीयों को जारी किया गया था।
जाहिर है भारतीय आईटी कंपनियों के लिए बहुत ही कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है। अब उन्हें अन्य ठिकानों की तलाश करनी होगी और उन्हें अपना बिजनेस माॅडल भी बदलना पड़ेगा। (संवाद)
ट्रंप आउटसोर्सिंग रोकने की अपनी जिद पर अड़े
पूर्वी भारतीय कंपनियों को अपना बिजनेस माॅडल बदलना पड़ेगा
कल्याणी शंकर - 2017-03-08 11:50
भारत की सिल्कन वैली बंगलुरु और हैदराबाद की साइबर सिटी, जिनमें भारत के बड़ी आईटी कंपनियों के ठिकाने हैं, इस समय अनिश्चितता और आशंका से कांप रही हैं। इसका कारण अमेरिका के टंªप प्रशासन द्वारा एच1-बी वीजा को रोक दिया जाना है। भारत के साॅफ्टवेयर उद्योग की हालत पहले से ही पतली चल रही रही है और उसका मुनाफा लगातार गिरता जा रहा है। उसके साथ साथ टंªप प्रशासन का फैसला उसके ऊपर और भी भारी पड़ता जा रहा है।