इन दोनों राज्यों के भारतीय जनता पार्टी की हरकतें जीत के बाद प्रधानमंत्री की उस बात से मेल नहीं खाती, बल्कि उसके विपरीत है, जिसमें उन्होंने कहा था कि बुरी नीयत से वे कोई भी काम नहीं करेंगे।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि उनसे गलती हो सकती है। यह संभव है कि मणिपुर और गोवा में जो कुछ हुआ, वह मोदीजी के कहने पर ही हुआ और वह गलत था। जबकि उन्होंने कहा था कि चुनाव का नतीजा जनता का आदेश है।
गोवा और मणिपुर में जनता का आदेश था कि भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में बैठे, क्योकि जनता ने भाजपा को दूसरा स्थान दिया था। लेकिन चुनाव नतीजे से पता चल रहा था कि दो राज्यांे में भाजपा को जनादेश मिला है, जबकि तीन राज्यों में जनता ने उसे नकार दिया है। इस तरह से भारतीय जनता पार्टी पर एक मनोवैज्ञानिक दबाव था और उस दबाव से मुक्त होने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने वैसा किया।
लेकिन यदि भाजपा ने मणिपुर और गोवा में अपनी सरकारें नहीं बनाई होती, तो इससे मोदी की प्रतिष्ठा में ही वृद्धि होती। लेकिन जनादेश का मणिपुर और गोवा मे निरादर कर मोदी ने दिखा दिया है कि सत्ता पाने के लिए वे कुछ भी कर सकते हैं और इस मायने में वे अन्य राजनीतिज्ञों से अलग नहीं हैं।
मणिपुर और गोवा में पार्टी की करतूतों की रक्षा करते समय भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ताओं के चेहरे पर साफ शर्मिंदगी देखी जा सकती थी और उससे लगता है कि वे खुद भी इस निर्णय के बाद अपने आपकों लोगों के सामने असहज पा रहे हैं।
1977 में जब कांग्रेसी सरकारों को बर्खास्त कर दिया गया था, तो उस समय भी कुछ ऐसा ही नजारा था। उन सरकारों के कार्यकाल अभी बाकी थे, लेकिन जनता पार्टी की केन्द्र सरकार उन्हें बर्दाश्त नहीं कर पाई थी और उसने उन्हें बर्खास्त कर दिया था।
लेकिन 1980 में इन्दिरा गांधी ने वही किया, जो 1977 में उनकी पार्टी की राज्य सरकारों के साथ किया गया था। उन्होंने सत्ता में आते ही जनता पार्टी की राज्य सरकारों को बर्खास्त कर दिया।
लेकिन राजीव गांधी ने 1984 में सत्ता में आकर गैर कांग्रेसी सरकारों को बर्खास्त नहीं किया। वे दल बदल के भी खिलाफ थे और इसे रोकने के लिए उन्होंने दलबदल कानून भी बना डाला था।
यह दूसरी बात है कि उसके तीन साल के बाद वे भ्रष्टाचार के मामलों मे उलझते चले गए। 1989 में सत्ता उनके हाथ से निकल गई। लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संविधान की धारा 356 का इस्तेमाल सिर्फ 6 बार किया, जबकि मोरारजी देसाई के छोटे कार्यकाल में उसका इस्तेमाल 17 बार किया गया था और इन्दिरा गांधी के कार्यकाल मंे 16 बार किया गया था।
अब धारा 356 का इस्तेमाल लगभग बंद हो गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसले उसके इस्तेमाल को कठिन बना चुके हैं और राजनैतिक पार्टियां भी अब अपने ऊपर सरकार गिराने का तोहमत नहीं लेना चाहती, लेकिन सत्ता पाने के लिए अभी भी सबकुछ किया जाता है। गोवा और मणिपुर में हम यही देख रहे हैं।
अब यह लगभग निश्चित हो गया है कि 2019 में भारतीय जनता पार्टी की जीत होगी और नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे। यही कारण है कि नया भारत बनाने के लिए उन्होंने 2022 के साल को तय कर रखा है। लेकिन यदि मणिपुर और गोवा में जो कुछ किया गया है, उससे साफ लगता है कि जिस नये भारत के निर्माण की बात नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं, उसमें नया कुछ नहीं होगा। (संवाद)
मणिपुर और गोवा में भाजपा ने कराया दलबदल
नरेन्द्र मोदी ने नैतिकबल गंवाया
अमूल्य गांगुली - 2017-03-16 12:00
गोवा और मणिपुर में सरकारें चुराकर नरेन्द्र मोदी ने चुनावी नतीजों के बाद गलत रास्ता अख्तियार किया है। गौरतलब हो कि उन दोनों राज्यों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, हालांकि विधानसभा त्रिशंकु है।