इसमें कोई शक नहीं कि उत्तर प्रदेश की जीत का श्रेय नरेन्द्र मोदी को जाता है, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने भी जीत में अपनी भूमिका निभाई है और प्रभावी रूप से हिन्दुओं के ध्रुवीकरण का आधार तैयार कराया है। वह भारतीय जनता पार्टी के एक स्टार प्रचारक थे और हिन्दुत्व के पोस्टर बाॅय थे। उन्होंने अनेकों रैलियों को संबोधित किया। पूर्वी उत्तर प्रदेश के 10 जिलों की 65 सीटों पर उनका प्रभाव रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने 3 लाख से भी ज्यादा मतों से जीत हासिल की थी।

जब से योगी ने राजनीति में प्रवेश किया, उनके समर्थक यह नारा लगाने लगे,’ गोरखपुर में रहना है, तो योगी योगी कहना है‘। पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर भारतीय जनता पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह उत्तर प्रदेश में अपने हिन्दुत्व के एजेंडे को और भी मजबूत करना चाहती है। इसका मतलब है कि राम मन्दिर इसके एजेंडे पर सबसे ऊपर है। योगी ने कई बार कहा है कि राम मन्दिर उनके लिए सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। इस समय विधानसभा के 325 सदस्यों का समर्थन उन्हें मिल रहा है। इसके बूते वे राम मन्दिर की ओर मजबूती के साथ आगे बढ़ेंगे।

2019 के लोकसभा चुनाव के पहले दो सालों में योगी आदित्यनाथ को कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वहां से लोकसभा के 80 सांसद चुने जाते हैं। योगी को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनका एजेंडा मोदी के एजेंडे से मेल खाए। इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि योगी विकास पुरुष रहे हैं। योगी के पास प्रशासन का कोई अनुभव नहीं है।

पिछले तीन सालों में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने जिन मुद्दों को उठाया है, उनमें लव जिहाद भी शामिल है। चुनाव प्रचार के दौरान योगी ने रोम्यो स्क्वाॅड बनाने की घोषणा की थी, ताकि लव जिहाद के खतरों से निपटा जा सके। क्या सत्ता में आने के बाद योगी अपने ऊपर संयम रख पाएंगे?

यूनिफाॅर्म सिविल कोड और तीन तलाके के मामले पर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। इस मामले में राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती है, लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान नरेन्द्र मोदी ने इन मसलों पर कदम उठाने का वायदा कर रखा है। उत्तर प्रदेश में जीत के बाद दिए गए अपने पहले इंटरव्यू में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि इस दिशा में में कदम उठाए जाएंगे।

प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान योगी समेत सभी भाजपा नेताआंे ने बूचड़खाने के मसलों को भी उठाया था। भाजपा ने कहा था कि कैराना से भारी संख्या में हिन्दुओं का पलायन हो रहा है। गौरतलब हो कि कैराना में 2012-13 में भारी पैमाने पर दंगा हुआ था। अब इस मसले पर योगी सरकार क्या निर्णय लेगी।

भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान कानून और व्यवस्था ठीक करने का भी वायदा किया था। यदि हिन्दू- मुस्लिम दंगे होते हैं, तो इससे सरकार की विश्वसनीयता ही मारी जाएगी। योगी की छवि एक मजबूत नेता की है, जो कानून और व्यवस्था की स्थिति को बेहतर करने में सहायक हो सकती है।

रोजगार सृजन भी एक बड़ी चुनौती है। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि पांच साल के कार्यकाल में वह 70 लाख लोगों को रोजगार देगी। क्या योगी इस वायदे को पूरा कर पाएंगे? किसानों की कर्ज माफी का वायदा भी किया गया था। क्या मोदी ऐसा कर पाएंगे? (संवाद)