उनमें से एक सीबीआई द्वारा सुप्रीम में पेश की गई एक रिपोर्ट है, जिसमें कहा गया है कि व्यापम घोटाले के बारे में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा चलाए गए भ्रामक अभियान के कारण उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है।

गौरतलब हो कि दिग्विजय सिंह ने कुछ दस्तावेज पेश कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और उनके परिवार के लोगों को इस घोटाले में शामिल होने का दावा किया था। उन्होंने वे दस्तावेज एक हलफनामा दाखिलकर अदालत में पेश किया था।

निचली अदालतों द्वारा झिड़क दिए जाने के बाद दिग्विजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उनका कहना था कि जिन दस्तावेजों से शिवराज सिंह चौहान के दोषी होने का पता चलता था, उनमें छेड़छाड़ की गई है। सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि उन दस्तावेजों की फोरेंसिक जांच कराई जाय।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उसकी फोरेंसिक जांच कराई गई और जांच में पाया गया कि उन दस्तावेजों में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई थी। एक सामाजिक कार्यकत्र्ता प्रमोद पांडे ने भी एक हार्ड डिस्क सुप्रीम कोर्ट में देकर उसकी जांच कराने के लिए कहा था। उस हार्ड डिस्क की जांच करने के बाद प्रयोगशाला में उसे भी किसी प्रकार की छेड़छाड़ से मुक्त पाया गया।

सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि सरकारी दस्तावेज सही पाए गए हैं और पांडे और सिंह ने गलत इलेक्ट्रानिक दस्तावेज तैयार कराए जिनमें गलत रिकाॅर्ड थे। उनके आधार पर उन दोनों ने गलत आरोप लगाए।

सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि गलत रिकाॅर्ड तैयार कर जालीसाजी के द्वारा व्यापम घोटाले की जांच को प्रभावित करने की कोशिश करने वाले लोगों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करेगी।

फरवरी 2015 में दिग्विजय सिंह ने अदालत में एक पेन ड्राइव पेश किया था, जिसमें मुख्यमंत्री चौहान और उनकी पत्नी के फोन नंबर से व्यापम के कुछ अभिुक्त के फोन के साथ बातचीत का कथित प्रमाण था।

अप्रैल महीने में दिग्विजय सिंह ने एक एक्सेल शीट पेश किया था, जिसमें दावा किया गया था कि स्पेशल इन्वेस्टिेगशन टीम ने अपनी रिपोर्ट में 48 जगहों पर मुख्यमंत्री का उल्लेख किया था, जिसे बाद में बदल दिया गया और मुख्यमंत्री चौहान की जगह अन्य लोगों को उनमें शामिल कर दिया गया। अब जांच से पता चला है कि दिग्विजय सिंह ने जो एक्सेल शीट पेश की थी, वह जालसाजी करके तैयार की गई थी।

सीबीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट को दी गई रिपोर्ट की खबर आते ही प्रदेश कुछ मंत्रियों और सांसदों ने सीबीआई के भोपाल स्थित कार्यालय का दौरा किया और जांच एजेंसी से मांग की कि दिग्विजय सिंह को अविलंब गिरफ्तार किया जाय।

इस घटना के बाद शिवराज सिंह पर कांग्रेस द्वारा व्यापम घोटाले में शामिल होने के लगाए गए आरोप गलत साबित हो गए हैं और इसके कारण मुख्यमंत्री की छवि अब और निखर गई है।

दूसरी घटना केन्द्र सरकार द्वारा जारी की गई एक सूची है, जो देश के सबसे साफ शहरों से संबंधित है। इस सूची में इन्दौर को सबसे ऊपर रखा गया है। यानी इन्दौर को भारत का सबसे साफ सुथरा शहर घोषित कर दिया गया है।

सबसे साफ शहर का तगमा इन्दौर को तो मिला ही है, दूसरा सबसे साफ शहर भोपाल को घोषित किया गया है। देश के सबसे साफ 25 शहरों में सबसे ज्यादा 7 शहर मध्यप्रदेश के ही हैं। और यदि 100 शहरों की सूची देखी जाय, तो उसमें 23 शहर मध्यप्रदेश के ही हैं। कहने की जरूरत नहीं कि इसके कारण मुख्यमंत्री की छवि को चार चांद लग गए हैं। (संवाद)