नरेन्द्र मोदी अमरकंटक आए हुए थे। वहीं नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है। नर्मदा यात्रा का समापन वहां आयोजित एक बड़ी सभा से हो रहा था। उस सभा में 5 लाख से भी ज्यादा लोग आए हुए थे। उन्हें देखकर नरेन्द्र मोदी बहुत खुश हो रहे थे। सबसे बड़ी बात यह है कि लोगों की उतनी बड़ी तादाद भीषण गर्मी के बावजूद वहां मौजूद थी।

नर्मदा यात्रा को प्रधानमंत्री मोदी ने देश भर की नदियांे के संरक्षण के रोड मैप की संज्ञा दी। उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को राजस्थान, महाराष्ट्र गुजरात की ओर से नर्मदा की सफाई के लिए शुक्रिया अदा किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है और प्रदेश एक बहुत बड़ी आबादी इस पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि वे गुजरात से हैं और नर्मदा की एक एक बूंद के महत्व से परिचित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नर्मदा की परिक्रमा से अहंकार चूर हो जाता हैं।

नर्मदा यात्रा ने मध्यप्रदेश के 16 जिलों को छुआ। इन 16 जिलों से होकर नर्मदा बहती है।

मोदी ने कहा कि नर्मदा यात्रा का दुनिया भर में कोई सानी नहीं है। उन्होंने मीडिया की आलोचना करते हुए कहा कि यदि प्रदेश के राजनेताओं के अलावा किसी अन्य ने इस तरह की यात्रा निकाली होती, तो मीडिया देश और दुनिया भर में इसका प्रचार करता।

उन्होंने कहा कि यह नर्मदा सेवा यात्रा का अंत है, लेकिन इसे नदी की रक्षा, सरंक्षा और प्रतिरक्षा की शुरुआत समझी जानी चाहिए। उन्होंने उन लोगों को बधाई दी, जिन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में हुई इस यात्रा में हिस्सा लिया था।

प्रधानमंत्री ने नर्मदा संरक्षण योजना पर से पर्दा उठाया और मुख्यमंत्री चौहान को कहा कि वे अन्य राज्यों के पास भी इसका मसौदा भेजें, लेकिन वहां की सरकारें भी अपनी नदियों को बचा सकें।

नर्मदा और अमरकंटक के लिए बड़ी योजना का एलान करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नमर्दा नदी के किनारे 6 करोड़ पेड़ लगाए जाएंगे। अमरकंटक को उन्होंने एक मिनी स्मार्ट सिटी में तब्दील करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अमरकंटक क्षेत्र में खनन पर पूरी तरह रोक लगा दी जाएगी और आई आई टी रूढ़की से विशेषज्ञ बुलाकर यह किया जाएगा कि नदी के किनारे किन किन इलाकों मे खनन की इजाजत दी जाय।

प्रधानमंत्री ने प्रदेश के स्वच्छ अभियान की सराहना की और कहा कि इस साल देश के दो सबसे साफ महानगर मध्यप्रदेश के इंदौर और भोपाल शुमार किए गए। इससे पता चलता है कि स्वच्छता अभियान के प्रति प्रदेश के लोगों और प्रशासन की कितनी प्रतिबद्धता है।

समापन कार्यक्रम में उमा भारती और अनिल माधव दवे की अनुपस्थिति लोगों को खल रही थी। उमा भारती देश की जल संसाधन मंत्री हैं और दवे ( जा अब इस दुनिया में नहीं रहे) उस समय देश के पर्यावरण मंत्री थे। मध्यप्रदेश के होने के साथ साथ दोनों के मंत्रालय नदियों के संरक्षण और पर्यावरण की रक्षा से भी जुड़े हैं। सच तो यह है कि अनिल माधव दवे नर्मा के शुद्धिकरण और संरक्षण के फाॅर्मूले के पायनियर थे।

यह यात्रा पूरी तरह से सरकारी थी, लेकिन यह पूर्णतः धार्मिक रूप लिए हुए थी। धर्मनिरपेक्ष देश में धार्मिक यात्राओं पर सरकारी खजाने से खर्च किए जाने की संवैधानिकता पर सवाल उठना स्वाभाविक हैं। मोदी की अमरकंटक यात्रा के पहले कहा जा रहा था कि मंत्रियों के अंसतुष्ट रहने के कारण पार्टी का केन्द्रिय नेतृत्व चौहान से नाराज है। लेकिन मोदी ने जिस तरह से चौहान की प्रशंसा की उससे मुख्यमंत्री को नया बल मिला और अब वे असंतुष्ट मंत्रियों से सख्ती से निबट सकते हैं। (संवाद)