अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल यादव से निबटने की भी तैयारी कर रहे हैं। गौरतलब हो कि शिवपाल लगातार मांग कर रहे हें कि अखिलेश अध्यक्ष पद नेताजी मुलायम सिंह यादव के लिए छोड़ दें, क्योंकि विधानसभा चुनाव के पहले उनका यही वायदा था।

लेकिन अखिलेश यादव शिवपाल की बात मानने को तैयार नहीं हैं और कह रहे हैं कि पार्टी के संविधान ने उन्हे 5 सालो के लिए पार्टी का अध्यक्ष बनाया है और वे उसके पहले यह पद छोड़ नहीं सकते।

जिस समय से शिवपाल ने समाजवादी सेकुलर फ्रंट बनाने की घोषणा की है, उस समय से ही अखिलेश पार्टी से शिवपाल के समर्थकों को हटाने का काम शुरू कर दिया है। उन्हें वे पार्टी विरोधी गतिविधियों मे ंलिप्त होने का आरोप लगाकर पार्टी से बाहर कर रहे हैं।

अखिलेश इस बात से भी अवगत हैं कि पार्टी के अंदर के उनके विरोधियों ने योगी सरकार की प्रशंसा शुरू कर दी है। उनके चाचा शिवपाल अपने बेटे अक्षय से साथ मिलकर मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात कर चुके हैं और उनके कामकाज की प्रशंसा भी कर चुके हैं।

उनके भाई की पत्नी अपर्णा बिष्ट यादव भी योगी से मिल चुकी हैं और उनकी सरकार की प्रशंसा करते हुए वे उन्हें अपने गौशाला आने का आमंत्रण भी दे चुकी हैं। दूसरी तरफ वह अखिलेश से इस्तीफे की मांग भी कर रही हैं।

यही कारण है कि अब अखिलेश यादव ने अपना सारा ध्यान पार्टी के संगठन को मजबूत करने और उसका विस्तार करने में लगा दिया है। उन्होंने अपनी पार्टी के नेताआंे को कहा है कि वे योगी सरकार का सामना करें और सरकार की खामियों को लोगों के सामने पेश करें।

अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को कहा है कि योगी सरकार कानून व्यवस्था के मोर्चे पर लगातार विफल हो रही है और जन विरोधी नीतियां अपना रही हैं। इसलिए वे कार्यकत्र्ताओं को लगातार कह रहे हैं कि सरकार की विफलताओं और जन विरोधी नीतियों को जनता के सामने लगातार उजागर करते रहें।

अखिलेश यादव ने विधानसभा के सत्र शुरू होने के पहले दिन विपक्ष की एक रैली का आयोजन किया। उसका नेतृत्व भी उन्होंने ही किया और आरोप लगाया कि प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है और प्रदेश सरकार किसानों को कर्ज माफी के अपने चुनावी वायदों पर अमल करने में विफल रही है।

जहां कहीं जातीय और सांप्रदायिक तनाव हो रहे हैं, अखिलेश यादव वहां अपनी पार्टी के नेताओं की टीम भेज रहे हैं। इस तरह वह जनता से जुड़ने की लगातार कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने एक नया सदस्यता अभियान भी छेड़ दिया है, जिसके तहत पार्टी में नये सदस्यों को जोड़ा जा रहा है। अब फोन काॅल के द्वारा भी नये सदस्य बनाए जा रहे हैं। लोग मिस्ड काॅल छोड़ सकते हैं और उसके बाद काॅल बैक करके पार्टी के पदाधिकारी सदस्यता की अगली औपचारिकता पूरी करते हैं।

अखिलेश पार्टी नेताओं और कार्यकत्र्ताओं से रोजाना मिल रहे हैं। वे विपक्षी एकता की कोशिशांे में भी लगे हुए हैं। उन्होंने साफ साफ कहा है कि समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में एकताबद्ध विपक्ष ही भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला कर सकता है। (संवाद)