विज्ञप्ति में कहा गया:
यह कहना गलत है कि कार्यरत अधिकारी मंत्रियों के कार्यों का मूल्यांकन करेंगे। प्रधानमंत्री का स्पष्ट आदेश है कि यह पूरी प्रक्रिया मंत्रियों द्वारा संचालित होगी। आदेश के अनुसार "" प्रत्येक वित्ता वर्ष की शुरुआत में संबंधित मंत्री के अनुमोदन से प्रत्येक विभाग परिणाम- कार्यढ़ांचा दस्तावेज (आरएफडी) बनायेगा जिसमें मंत्रालय की प्राथमिकताएं और ऐसे कार्यक्रम शामिल होंगे जिनकी घोषणा किसी घोषणा पत्र, राष्ट्रपति के भाषण तथा सरकार द्वारा समस-समय पर की गई है। संबंधित मंत्री अपने विभाग के कार्यक्रमों में प्राथमिकताओं का फैसला करेगा।
प्रधानमंत्री के आदेश में आगे कहा गया है कि आरएफडी में शामिल प्राथमिकताओं को सफल बनाने के लिए प्रभारी मंत्री गतिविधियांे एवं योजनाओं को मंजूरी प्रदान करेगा। संबंधित मंत्री ही मुख्य सफलता क्षेत्रों (केआरए) मुख्य कार्य-निष्पादन संकेताकों (केपीआई) का अनुमोदन करेगा तथा निश्चित समय सीमा के भीतर ही इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करेगा।
यह भी सत्य नहीं है कि मंत्री तथा संबंधित मंत्रालय के सचिव को संयुक्त रूप से परिणाम- कार्यढ़ांचा दस्तावेज (आरएफडी) पर हस्ताक्षर करने होंगे। प्रधानमंत्री के आदेशांे का पालन करने के लिए इस प्रकार के हस्ताक्षर की आवश्यकता नहीं है। प्रत्येक वित्ता वर्ष के आरंभ में मंत्री ही प्राथमिकताओं के बारे में निर्णय लेने तथा उन्हें सभी संबंधित विभागों को भेजने के लिए अंतिम प्राधिकारी है। एक बार मंत्री द्वारा प्राथमिकताओं और निर्देशों का निर्धारण हो जाता है तो लक्ष्यों की प्राप्ति की जिम्मेदारी संबंधित विभाग की ही होगी। निगरानी व्यवस्था इसको अधिक व्यवस्थित तथा पारदर्शी बनाती है।
यह दावा करना कि इस व्यवस्था को सरकार के कार्य-निष्पादन पर गठित एक समिति द्वारा किया जा रहा है, गलत है। प्रधानमंत्री के आदेश के अनुसार इस समिति का मुख्य कार्य विभिन्न विभागों के बीच एकरूपता, निरंतरता और समन्वय स्थापित करना है। यह समिति दिशा-निर्देशों को तैयार करने, समय पर परिणाम- कार्यढ़ांचा दस्तावेज (आरएफडी) को जमा कराना सुनिश्चित करने तथा संबंधित मंत्रालयों तथा विभागों को फीडबैक देती है। यह कार्य-निष्पादन निगरानी व्यवस्था के सुचारू संचालन में सहायक भूमिका निभाती है। यह समिति मंत्रालयों/ विभागों के कार्यों का मूल्यांकन नहीं करती। यह केवल संबंधित मंत्रियों को इस प्रकार के मूल्यांकन में तकनीकी सहायता प्रदान करती है। इसका उद्देश्य मंत्री के प्रति विभागों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करना है जो प्रत्येक अवधि के लिए लक्ष्य निर्धारित करता है और उनकी समीक्षा करता है।
कार्य-निष्पादन निगरानी व्यवस्था दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट तथा विश्वभर में प्रचलित अच्छी व्यवस्थाओं के अनुरूप है।
कार्य-निष्पादन निगरानी व्यवस्था पर भारत सरकार का स्पष्टीकरण
विशेष संवाददाता - 2010-02-16 17:14
नई दिल्ली: भारत सरकार ने जो कार्य-निपाष्दन निगरानी व्यवस्था कायम की है उसके सम्बंध में आज सरकार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्पष्टीकरण देना पड़ा। कारण यह कि मंत्रियों के कार्यनिष्पादन का मूल्यांकन जिस ढंग से होना है उसमें अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी और उसके कारण ही समाचार माध्यमों में खबरें आयीं कि इस व्यवस्था के तरह मंत्रियों के कायों का मूल्यांकन अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। सरकार ने आज इसे गलत बताया है।