जब योगी ने सत्ता संभाली थी, तो उन्होंने नौकरशाहों को आदेश दिया था कि वे अपनी संपत्तियों को सार्वजनिक करें। लेकिन आजतक उनके इस आदेश पर अमल नहीं किया गया है। बार बार रिमाइंडर दिए जा रहे हैं, लेकिन उनका कोई असर बाबुओं पर नहीं पड़ रहा है।
नये मुख्यमंत्री ने जनता से वादा किया था कि उनकी सरकार प्रदेश के वासियों को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराएगी। लेकिन जमीनी स्थिति कुछ और है। यदि आप लोगों से इसके बारे में पूछें, तो वे बताते हैं कि अखिलेश सरकार के दौरान बिजली की स्थिति जैसी थी, आज उससे भी स्थिति ज्यादा खराब है।
पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को अभूतपूर्व जनसमर्थन हासिल हुआ था और इसके कारण ही उसे अभूतपूर्व सफलता भी मिली थी। कानून व्यवस्था में गिरावट अखिलेश सरकार की हार का एक मुख्य कारण थी। लेकिन योगी सरकार के आने के बाद कानून व्यवस्था की स्थिति पहले से बदतर हुई है।
योगी सरकार ने पुलिस महानिदेशक को बदल डाला और उन्होंने गृहमंत्रालय के प्रधान सचिव को भी बदल डाला। लेकिन उसके बावजूद स्थिति दिनों दिन खराब होती जा रही है। पूरे प्रशासन में भारी बदलाव किए गए, लेकिन बदलाव के बाद स्थिति और भी खराब हुई।
सत्ता संभालने के तीन दिनों के अंदर ही योगी ने घोषणा की थी कि प्रदेश की सड़कों के सारे गड्ढे 15 जून तक भर दिए जाएंगे। लेकिन यह घोषणा भी पूरी तरह झूठी साबित होने वाली है, क्योंकि उस दिशा में जरूरी कदम ही नहीं उठाए गए हैं। प्रशासन योगी की घोषणाओं को अमल मंे लाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।
जिस तरह से तबादले और पदस्थान हो रहे हैं, इससे पता चलता है कि इसमें मुख्यमंत्री योगी की भूमिका बहुत ही सीमित है। पुलिस महानिदेशक तक की नियुक्ति में मुख्यमंत्री को बहुत ज्यादा दिन लग गए। वह अपनी पसंद के प्रमुख सचिव की नियुक्ति तक नहीं कर पाए। केन्द्र से बिदा किए गए एक नौकरशाह को उन्हें इस पद पर रखना पड़ा।
खबरों के मुताबिक भाजपा के कुछ वरिष्ठ केन्द्रीय नेता और कुछ बड़े नौकरशाह प्रदेश में तबादला और पदस्थापन संबंधित निर्णय ले रहे हैं। चूंकि पदस्थापन का आदेश दिल्ली से आता है और उसके अनुसार योगी सूचना जारी कर देते हैं, इसके कारण ही नौकरशाहों पर उनकी पकड़ नहीं है और नौकरशाह उनके आदेशों और घोषणाओं को तवज्जो नहीं देते हैं।
योगी की एक अन्य समस्या अनुभव की कमी है। वे कभी प्रशासनिक पद पर नहीं रहे, इसलिए वे प्रशासन चलाना जानते ही नहीं हैं। यही हाल उनके दो उपमुख्यमंत्रियो का भी है। वे दोनांे भी पहली बार किसी प्रशासिनक पद पर हैं। सरकार के दो प्रवक्ता मंत्रियो का हाल भी यही है।
योगी अपनी पार्टी के कुछ नेताओं के गैरजिम्मेदाराना कारगुजारियों से भी परेशान हैं और इसके कारण उनकी और उनकी सरकार की छवि खराब हो रही है। भाजपा के ये नेता विधायक, सांसद और मंत्री भी हैं। वे प्रशासन और पुलिस के साथ बदतमीजी करते हैं और सरकार की छवि खराब होती है। (संवाद)
अपने आदेशों पर अमल नहीं करवा पा रहे हैं योगी
अनुभव की कमी और बाहरी हस्तक्षेप से समस्या हो रही है जटिल
प्रदीप कपूर - 2017-06-09 12:12
लखनऊः योगी सरकार के 100 दिन पूरे होने वाले हैं, लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री प्रशासन पर अपनी पकड़ पाने में नाकाम रहे हैं। 100 दिन की उपलब्धियों की सूची तैयार करने को नौकरशाही को कहा गया है, लेकिन सरकार की क्या उपलब्धियां रहीं, यह ढूृढ़े नहीं मिल पा रही है।