लेकिन राजनाथ सिंह की यह समझ संघ परिवार के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से मेल नहीं खाता, जिसका नारा है, एक लोग, एक राष्ट्र और एक संस्कृति। एक संस्कृति को थोपने का विचार ही हिन्दू संस्कृति कहलाता है और गौरक्षकों को यही आकर्षित करता है।
दुर्भाग्य की बात यह है कि न्यायपालिका भी इसी भगवावादी विचार को बढ़ावा देने में लगी हुई है। कुछ जज गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग कर रहे हैं और इसे माता और भगवान का दर्जा दे रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि हिन्दुओं का एक वर्ग ही ऐसा विश्वास रखता है।
गौमांस खाने पर चल रहा यह विवाद हिन्दुओं के इस मसले पर अलग अलग मत होने का नतीजा है। भाजपा के लिए समस्या इसलिए भी बढ़ जाती है कि गाय को लेकर उसका विश्वास केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पूर्वाेत्तर के हिन्दुओं की राय से भी मेल नहीं खाता, गैर हिन्दुओं से तो उसका मेल है ही नहीं।
जबतक भारतीय जनता पार्टी का प्रभाव पश्चिमी और उत्तरी भारत तक सीमित था, तबतक उसके लिए अपने इस गौभक्त एजेंडे पर चलने में कोई परेशानी नहीं थी। लेकिन अब पार्टी देश के अन्य हिस्सों मंे अपना पांव जमाना चाहती है। अब वह उन जगहो पर भी पहुंच चुकी है, जहां का खानपान उसके नेताओ के खानपान से मेल नहीं खाते। यही कारण है कि राजनाथ सिंह कह रहे हैं कि उनकी पार्टी लोगों को यह नहीं कह सकती कि वे क्या खाएं और क्या पहनें।
समय ही बताएगा कि राजनाथ सिंह की बात भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार के अन्य लोगों को कितना समझ में आएगी या आएगी भी या नहीं। फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि राजनाथ सिंह का यह विचार उन नेताओं के लिए कोई मायने नहीं रखता, जो गौभक्ति में लीन हैं।
भाजपा के अन्य बड़े नेता अपनी बात पर अड़े हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने गाय के हत्यारे के लिए मृत्युदंड का प्रावधान करने की मांग कर दी। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने तो यहां तक कह दिया कि वे पूरे प्रदेश को ही शाकाहारी बना देंगे।
इंटरनेट पर एक ब्लाॅग वाइरल हो रहा है, जिसमें कहा गया है कि वेदों के अनुसार मांस खाने से शरीर में राक्षसी आत्मा आ जाती है और समय के साथ हमारे अंदर पाप बढ़ता जाता है। जैन, बौद्ध, सिख और सनातन सभी धर्मों में शाकाहार को सराहा गया है। महाभारत युद्घ के सभी योद्धा शाकाहारी थे और मांसाहार कलियुग की देन है।
लेखक सतयुग से कलियुग लौटकर आता है और कहता है कि हरियाणा के सारे जाट जो खेल में बहुत ही शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं, शाकाहारी हैं।
जाहिर है कि राजनाथ सिंह को अपनी बात मनवाने में बहुत परेशानी होगी। पार्टी के अंदर उन्हें थोड़ा समर्थन मिल सकता है। यह समर्थन पूर्वाेत्तर राज्यों के कारण मिलेगा, क्योंकि वहां भारतीय जनता पार्टी अपनी उपस्थिति मजबूत करने में लगी हुई है।
अभी कहना कठिन है कि गाय को लेकर भाजपा के अंदर चल रहे मतभेद में कौन सा पक्ष जीतता है।(संवाद)
भाजपा में गाय पर घमसान
क्या संघ परिवार राजनाथ को सुनेगा?
अमूल्य गांगुली - 2017-06-15 12:28
राजनाथ सिंह ने रोशनी देख ली है, पर क्या संघ परिवार के अन्य लोग भी उसे देख पाएंगे? केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी किसी से यह नहीं कह रही है कि वे क्या खाएं और क्या पहनें? इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत बहुलतावादी देश है और हम इस वास्तविकता को समझते हैं कि यहां सांस्कृतिक विभिन्नताएं हैं।