सरकार ने 8 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज खरीदने की घोषणा 10 जून को की थी। उसके बाद किसान ट्रैक्टर-ट्राॅलियों में भरकर प्याज सरकारी खरीद केन्द्रों पर पहुंचने लगे। आने वाले प्याज की मात्रा इतनी ज्यादा थी कि उन्हें हैंडिल करने के लिए सरकारी सुविधाएं छोटी पड़ने लगीं।
किसानों की बेचैनी बढ़ने लगी, क्योंकि उन्हें अपने माल बेचने में अनेक दिनों का इंतजार करना पड़ रहा था। कुछ स्थानों पर तो उन्होंने अपना आपा भी खो दिया था। इंदौर में प्याज का भंडारन करने की व्यवस्था कम पड़ रही थी, जिसके कारण प्याज की खरीद भी बंद हो गई। उसके बाद गुस्साए किसानों ने रोड ही बंद कर डाला।
प्रतिदिन प्याज की खरीद सुबह 6 बजे से शुरू होती है और शाम 6 बजे तक चलती है। यह सरकार की निर्णय है, लेकिन किसानों की शिकायत है कि बिक्री केन्द्र ज्यादा समय तक बंद ही रहते हैं और उन्हें बताने वाला वहां कोई नहीं होता कि केन्द्र कब खुलेगा और उनके माल को कब खरीदा जाएगा।
जब किसानों ने हंगामा किया उस समय करीब 11 सौ गाड़ियांे में भरे प्याज मंडी के अंदर थे और प्याज से लदी 300 गाड़ियां मंडी के बाहर सड़कों पर खड़ी थीं। 500 किसानांे ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। उसी तरह की खबरे प्रदेश के अन्य शहरों और मंडियों से आ रही हैं।
मानसून की भविष्वाणी करने वाले कह रहे थे कि भारी वर्षा होने वाली है, लेकिन सरकार ने किसानों को उसके बारे में आगाह नहीं कराया। किसानों को मना किया जाना चाहिए था कि वे अपने उत्पाद मंडियों में नहीं लाएं। इसका नतीजा यह हुआ कि 5 हजार टन से ज्यादा प्याज भोपाल की एक मंडी के बारह वर्षा के कारण पानी से भींगने लगा। ट्रालियों और ट्रकों में भरे प्याजों का भी वही हाल था।
इस साल 32 लाख टन से भी ज्यादा प्याज का उत्पादन मध्यप्रदेश में हुआ, जबकि उसके भंडारन की क्षमता 3 लाख टन ही है। जाहिर है, कुल प्याज उत्पादन का 10 फीसदी भी भंडारों में नहीं रखे जा सकते। इसके कारण भारी मात्रा में प्याज खुले में रखे हुए हैं। भोपाल मंडी के सचिव पटेरिया ने बताया कि किसानांे से वहां 85 हजार क्विंटल प्याज खरीदे गए हैं और उनके पैसे उनके खाते में डाल दिए गए हैं।
लेकिन सच्चाई यह भी है कि जब पिछले बुधवार को बरसात शुरू हुई तो करीब 500 टैªैक्टर- ट्राॅलियों व ट्रकों में प्याज बिना बिके हुए पड़े हुए थे। किसान उन्हें बेचने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। उसी तरह पड़ोस के सेहोर मंडी में 1000 ट्रकों और ट्रालियों के प्याज अपनी बिक्री का इंतजार कर रहे थे और वे बरसात की मार भी झेल रहे थे।
अभी तक सरकार ने 4 लाख टन प्याज की खरीद की है। इसमें सरकार के 320 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। महीने के अंत तक 7 लाख टन प्याज खरीद लिए जाएंगे, लेकिन सरकार के पास इतने प्याज रखने की भंडारन क्षमत नहीं है। जाहिर है, प्याज के एक बड़े हिस्से को बर्बाद होना है।(संवाद)
अति उत्पादन ने किसानों को किया बेहाल
भंडारन के अभाव में लाखों टन अनाज खुले में सड़ रहे हैं
एल एस हरदेनिया - 2017-06-27 11:24
भोपालः मध्यप्रदेश के किसानों की समस्या का कोई हल नहीं दिखाई पड़ रहा है। प्रदेश सरकार ने फैसला किया कि वह प्याज 8 रुपये प्रति किलो खरीदेगी। गौरतलब है कि ज्यादा उत्पादन के कारण प्याज की कीमतें जमीन चाट रही हैं। इसके कारण किसानों का उग्र प्रदर्शन शुरू हो गया था।