भारत सहित कई देशों में बिज़ली का उत्पादन मुख्य रूप से कोयले पर निर्भर है इसलिए सरकार स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी पर जोर दे रही है। इस प्रौद्योगिकी के माध्यम से कोयले को स्वच्छ बनाकर और उसके उत्सर्जन को नियंत्रित करके पर्यावरण पर पड़ने वाले कुप्रभावों को कम किया जा सकता है।

स्वच्छ कोयला प्रौद्यांगिकी में कोयले की धुलाई, कोल बेड मीथेन/कोल माइन मीथेन निष्कर्षण, भूमिगत कोयले को गैस उपचारित करना एवं कोयले का द्रवीकरण करना आदि शामिल है।

कोयला प्रक्षालन

पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के दिशा: निर्देंशों के अनुसार 34 प्रतिशत से अधिक राख वाले कोयलेे का उपयोग उन थर्मल पावर स्टेशनों में मना किया गया है जो लदान केन्द्रों से दूर तथा अत्यधिक प्रदूषित क्षेेत्रों में हैं। ऐसे में प्रक्षालित कोयले का इस्तेमाल करना महत्वपूर्ण हो गया है। इससे ऐसे पावर स्टेशनों के संचालन से संबंधित खर्च में भी कमी आती है। धुले कोयले की आपूर्ति 10वीं पंचवर्षीय योजना के आरंभ में 170 लाख टन थी जो इस योजना के अंत में बढ़कर 550 लाख टन हो गई। 11वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक इसके 2500 लाख टन होने की संभावना है।

थर्मल पावर स्टेशनों के लिए कोयला धुलाई केंद्रों की मौजूदा क्षमता 1080 लाख टन है जिसे इस अवधि में बढ़ाकर 2500 लाख टन करने की कोशिश की जा रही है। इसमें से अधिकतर निजी क्षेत्र से संबंधित हैं। इसके अलावा कोल इंडिया लिमिटेड कंपनी ने भी अपनी खदानों से धुले कोयले की आपूर्ति करने का फैसला किया है। इसके लिए वह 20 कोयला धुलाई केंद्रों का निर्माण करेगी जिनकी क्षमता 1110 लाख टन होगी। 11वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक इन केंद्रों के शुरू होने की संभावना है।

सीबीएम तथा सीएमएम

जो मीथेन गैस कोयले की अनछुर्ई परतों से निकाली जाती है उसे कोल बेड मीथेन (सीबीएम) कहते हैं और जो चालू खदानों से निकाली जाती है उसे कोल माइन मीथेन (सीएमएम) कहते हैं। कोल बेड मीथेन/कोल माइन मीथेन के विकास को भारत सरकार ने 1997 में एक नीति के ज़रिए बढ़ावा दिया था। इस नीति के अनुसार कोयला मंत्रालय तथा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय दोनों मिलकर कार्य कर रहे हैं। सरकार ने वैश्विक बोली के तीन दौरों के ज़रिए कोल बेड मीथेन के लिए 26 ब्लॉकों की बोली लगाई थी। इनका कुल क्षेत्र 13,600 वर्ग किलोमीटर है और इसमें 1374 अरब घनमीटर गैस भंडार होने की संभावना है। वर्ष 2007 में रानीगंज कोयला क्षेत्र के एक ब्लॉक में वाणिज्यिक उत्पादन आरंभ कर दिया गया था और दो केंद्रों में भी उत्पादन जल्द ही आरंभ हो जाएगा। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तहत हाइड्रोकार्बन महानिदेशक (डीजीएच) कोल बेड मिथेन संबंधी गतिविधियों के लिए विनियामक की भूमिका निभाता है। डीजीएच ने सीबीएम-4 के तहत 10 नये ब्लॉकों की पेशकश की है।

भारत कोकिंग कोल लि0 में भूमिगत बोरहोल के ज़रिए यूएनडीपी/ग्लोबल एन्वायरमेंटल फेसिलिटी के साथ मिलकर भारत कोकिंग कोल लिमिटेड में भूमिगत बोरहालों के माध्यम सीएमएम की एक प्रदर्शनात्मक परियोजना को लागू किया गया है। इस परियोजना में कोल बेड मीथेन को एक ऊध्र्वाधर बोर के ज़रिए प्राप्त किया गया है जहां 500 कि.वा.. बिजली पैदा होती है और उसे बीसीसीएल को आपूर्ति की जाती है।

हाल ही में संयुक्त राज्य पर्यावरण संरक्षण अभिकरण के सहयोग से सीएमपीडीआईएल, रांची में सीबीएमसीएमएम निपटारा केन्द्र स्थापित किया गया है जो भारत में कोल बेड मीथेनकोल माइन मीथेन के विकास के लिए आवश्यक जानकारियां उपलब्ध कराएगा ।

भूमिगत कोयला गैसीकरण(यूसीजी)

भूमिगत कोयला गैसीकरण अप्रयुक्त कोयले को दहनशील गैस में बदलने की प्रक्रिया है । यह गैस उद्योगों, विद्युत उत्पादन तथा हाइड्रोजन सिंथेटिक प्राकृतिक गैस एवं डीजल र्इंधन के निर्माण में इस्तेमाल की जा सकती है । भूमिगत गैसीकरण में उन कोयला भंडारों का दोहन करने की क्षमता है जिनका निष्कर्षण आर्थिक दृष्टि से मंहगा है या जो गहराई प्रतिकूल भूगर्भीय स्थिति सुरक्षा की दृष्टि से निष्कर्षण के लायक नहीं है ।

भूमिगत कोयला गैसीकरण की महत्ता तथा योजना आयोग की समेकित ऊर्जा समिति एवं कोयला क्षेत्र में सुधार के लिए रोडमेप पर टीएल शंकर समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कोयला गैसीकरण अधिसूचना जारी की है जिसमें खनन नीति के तहत भू एवं भूमिगत गैसीकरण को भी शामिल किया गया है ।

कोल इंडिया लिमिटेड ने अपनी साझीदार कंपनियों के साथ मिलकर सीसीएल कमांड एरिया में रामगढ क़ोलफील्ड के कैथा ब्लाक तथा पश्चिमी कोल फील्ड लिमिटेड कमांड एरिया में पेंच कोलफील्ड के थेसगोड़ा ब्लाक में यूसीजी के विकास के लिये दो स्थल चिन्हित किए हैं । साझीदार कंपनियों के चयन के संबंध में शीघ्र ही आशय पत्र जारी किए जाएंगे ।

इसके अतिरिक्त 5 लिंग्नाइट और 2 कोयला खंड भी यूसीजी के विकास के वास्ते भावी उद्यमियों को दिये जाने के लिए चिन्हित किए गए हैं ।

कोयला के लिए एस एंड टी कार्यक्रम के तहत सरकार ने राजस्थान के लिए एक यूसीजी परियोजना मंजूर की है जिसका क्रियान्वयन एनएलसी करेगा । एनएलसी ने इस परियोजना के लिए अभी सलाहकार अंतिम रूप से तय नहीं किए हैं।

कोयला द्रवीकरण

ऊर्जा सुरक्षा के दृष्टिकोण से देश में कोयला द्रवीकरण को बढा़वा देने के लिए नीतिगत निर्णय लिया गया है । गजट अधिसूचना जारी की गई है जिसमें कैप्टिव कोयलालिग्नाइट ब्लाकों के उन उद्यमियों को कोयला द्रवीकरण के बारे में जानकारी दी गई है जिन्हें इसे आबंटित किया जाना है । कोयला मंत्रालय के अंतर- मंत्रालीय समूह की सिफारिशों के आधार पर कोयला मंत्रालय ने तलचर कोल फील्ड के दो कोयला ब्लाकों क्रमश: मैसर्स स्ट्रैटेजिक इनर्जी टेक्नोलोजी सिस्टम लिमिटेड (एसईटीएल) तथा मैसर्स जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल) को आवंटित किए हैं । मैसर्स एसईटीएल को उत्तरी अर्खा

पाल श्रीरामपुर खंड तथा मैसर्स जेएसपीएल को रामचांदी खंड आवंटित किए गए हैं । हर परियोजना की प्रस्तावित उत्पादन क्षमता 80000 बैरल तेल प्रतिदिन है । प्रस्तावित तेल उत्पादन सात वषों में शुरू हो जाएगा ।