सत्तारूढ़ आॅल इंडिया अन्नाडीएमके अभी तक अपने आंतरिक संघर्षों से ही जूझ रहा है। उनके अलग अलग गुट पार्टी को अपनी अपनी दिशा में खीच रहे हैं। इस बीच इन दो सितारों के राजनीति में आने से सत्तारूढ़ पार्टी की उलझनें और भी बढ़ सकती हैं।

तमिलनाडु में राजनीति और सिनेमा में नजदीकी संबंध रहा है। कम से कम चार मुख्यमंत्री सिनेमा लगत से जुड़े रहे हैं। वे हैं सीएन अन्नादुरै, करुणानिधि, एमजीआर और जयललिता। वे चारों 1967 से ही प्रदेश की सत्ता पर बारी बारी से हावी रहे हैं। एक अन्य सफल स्टार विजयकांथ ने भी एक पार्टी बनाई थी, लेकिन वे सफलता नहीं पा सके।

दक्षिण भारत में अनेक अभिनेता नेता बने हैं। पड़ोसी आंध्र प्रदेश में एनटी रामाराव 1982 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। तमिलनाडु ने उपरोक्त मुख्यमंत्रियों के अलावा शिवाजी गणेशन, नपोलियन और वैजयन्तीमाला जैसे राजनीतिज्ञ दिए। आंध्र प्रदेश में भी मोहन बाबू, दसरी नारायण राव, चिरंजीवी और जयप्रदा राजनीति में आए। कर्नाटक में अंबरीश और रम्या ने भी राजनीति में प्रवेश किया।

तमिलनाडु में द्रविड़ विचारधारा बहुत ही गहरे से पैठी हुई है। 1967 मे कांग्रेस वहां सत्ता से बाहर हुई। उसके बाद डीएमके और एआईएडीएमके ने वहां बारी बारी से शासन किया है। जब प्रदेश के मुख्यमंत्री करुणानिधि बने तो उनकी पार्टी के एमजी रामचन्द्रन ने विद्रोह कर दिया और आॅल इंडिया अन्ना डीएमके का गठन कर लिया। एमजीआर एक सुपर स्टार थे और उनकी छवि कमजोर और गरीबों से लड़ने वाले एक मसीहा की थी। एमजी रामचन्द्रन के बाद उनकी पार्टी की ही जयललिता ने उनकी जगह ले ली। जयललिता भी तमिल फिल्मों की एक सुपर स्टार थीं।

जब हम रजनीकांत और कमल हासन को देखते हैं, तो पाते हैं कि दोनांे का व्यक्तित्व अलग अलग किस्म का है। रजनी आध्यात्मिक होने का दावा करते हैं तो कमल हासन अपने को अनीश्वरवादी कहते हैं। दोनों कुछ फिल्मों में एक साथ भी काम किया है। कमल हासन ने कुछ वैसी फिल्मों में काम किया है, जिन्हें काफी सराहा गया है। आॅस्कर के लिए आधिकारिक रूप से उनकी सात फिल्मों को नामित किया गया है। वे अभिनय के अलावा निदेशक का काम भी कर चुके हैं।

उधर रजनीकांत की छवि गरीबों के एक महानायक की है। उनके अनेक फिल्में सुपरहिट रही हैं। वे राॅबिनहुड की छवि रखने वाले किरदारों को निभाते रहे हैं। इसी तरह की छवि एमजीआर की भी थी। रजनीकांत की तमिलनाडु मंे लोकप्रियता को साबित हो चुकी है। 1996 में चुनाव के पहले उनके एक बयान ने जयललिता को भारी पराजय की ओर धकेला था और करुणनिधि की शानदार जीत हुई थी। उस बयान में रजनीकांत ने कहा था कि यदि जयललिता जीतती हैं, तो तमिलनाडु को भगवान भी नहीं बचा सकता। रजनीकांत उसी समय से राजनीति में प्रवेश करने के बारे में सोच रहे हैं, जबकि कमल हासन का राजनीति से प्रेम नया है। वे कह रहे हैं कि राजनीति में आना उनकी पसंद नहीं है, बल्कि विवशता है। (संवाद)