मुख्यमंत्री बनने के पहले महीने में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने कुछ अच्छे कदम उठाए थे और नौकरशाही मे उसका अच्छा संदेश गया था। नौकरशाह अनुशासित होते दिखाई दे रहे थे। लेकिन वह सबकुछ क्षणिक साबित हुआ और पूरा प्रशासन जल्द ही अपने पुराने ढर्रे पर लौट गया।

इसका एक कारण तो यह है कि मुख्यमंत्री सत्ता के एकमात्र केन्द्र नहीं रह गए हैं। प्रदेश में सत्ता के अनेक केन्द्र बने हुए हैं और इसके कारण नौकरशाह व मंत्री योगी को ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं। सच तो यह है कि आज उत्तर प्रदेश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति योगी नहीं, बल्कि सुनील बंसल हैं।

सुनील बंसल मूल रूप से राजस्थान के वासी हैं। लेकिन वे अमित शाह के बहुत खास हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले वे वे प्रदेश में पार्टी के उपनेता हुआ करते थे। इस समय वे पार्टी के महासचिव हैं। सत्ता के गलियारों में उनकी ही तूती बोलती है और इसके कारण प्रदेश के मंत्री उनके आवास व कार्यालय पर लाइन लगाकर बैठे दिखाई पड़ते हैं। जब मंत्री ही उनके दरबार में हाजिरी दे रहे हैं, तो फिर नौकरशाहों का क्या कहना? जाहिर है, नौकरशाहों में भी उनकी हाजिरी लगाने की प्रतिस्पर्धा है। लेकिन इसके कारण योगी की सत्ता प्रभावित होती है।

स्थानांतरण और पदस्थापन में भी योगी की ज्यादा नहीं चल रही है। प्रधानमंत्री कार्यालय सीधे दखल दे रहा है। नृपेन्द्र मिश्र प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यरत हैं। वे उत्तर प्रदेश के ही मूल निवासी हैं। सुनील बंसल के अलावा स्थानांतरण और पदस्थापन में नृपेन्द्र मिश्र की अच्छी खासी चलती है।

सुनील बंसल और नृपेन्द्र मिश्र के अलावा खुद अमित शाह भी प्रदेश प्रशासन में बहुत दिलचस्पी ले रहे हैं। उन्होंने सबकुछ आदित्यनाथ योगी पर नहीं छोड़ रखा है। उनके अलावा उत्तर प्रदेश के सरकार के दो प्रवक्ता बना दिए गए हैं। वे सीधे योगी से निर्देश नहीं लेते और सत्ता के बड़े केन्द्र के रूप में काम कर रहे हैं। एक प्रवक्ता तो सिद्धार्थ नाथ सिंह हैं और दूसरे प्रवक्ता श्रीकान्त वर्मा हैं।

योगी आदित्यनाथ यह महसूस कर रहे हैं कि प्रशासन में उनकी बहुत ज्यादा भूमिका नहीं है, तो उन्होने अपने लिए एक नई भूमिका का ईजाद कर लिया है और वह भूमिका है हिन्दूत्व का पोस्टर बाॅय बनने की। वे कभी गोरखपुर, तो कभी बनारस तो कभी चित्रकूट की यात्राएं कर रहे हैं। अपनी इस छवि को मजबूत करने के लिए योगी ने अयोध्या में दीपावली का विशेष आयोजन कर डाला। सरयू तट पर रिकार्ड संख्या में दिए जलवा डाले। अयोध्या में राम की एक विशालकाय मूर्ति बनवाने की घोषणा भी कर दी।

अपनी इसी छवि को लेकर योगी आदित्यनाथ केरल और गुजरात भी हो आए हैं। जब वे मुख्यमंत्री बने थे, उसके बाद के कुछ समय तक उन्हें भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखा जाने लगा था, लेकिन बहुत जल्द ही उनकी सरकार की विफलताएं सामने आने लगीं। अपनी सरकार का सही नेतृत्व कर पाने में विफल योगी अब हिन्दुत्ववादी छवि के साथ देश का नेता बनना चाह रहे हैं। लेकिन इस क्रम में प्रशासन लगातार पंगु होता जा रहा है। (संवाद)