परिवहन मंत्री चांडी नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के विधायक हैं। यह पार्टी सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट की घटक है। मंत्री के खिलाफ अलाप्पुझा जिले के जिलाधिकारी ने एक नकारात्मक रिपोर्ट दी है। उस रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीन अधिग्रहण कानून का दुरुपयोग किया गया है और इसके अलावे मंत्री चांडी और उनके परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए अन्य प्रकार की अनियमितताएं भी की गईं।
वहां की जिलाधिकारी टीवी अनुपमा हैं। उन्होंने अपनी रिपोर्ट राजस्व मंत्री ई चन्द्रशेखरन को सौंपी और चन्द्रशेखरन ने उसे उचित कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री को अग्रसारित कर दिया। राजस्व विभाग इस नतीजे पर पहुंचा है कि भूमि अधिग्रहण कानून के अमल में धांधली हुई। इसके कारण सरकारी जमीन का अतिक्रमण भी हुआ। धानभूमि और वेटलैंड एक्ट का भी उल्लंघन किया गया। अधिकारियों और जिले के पूर्व जिलाधिकारी के संलिप्तता उस उन अवैध घटनाओं को अंजाम दिया गया।
राजस्व विभाग तो धांधली की बात स्वीकार कर रहा है, लेकिन राजस्व मंत्री जो सीपीआई के विधायक हैं, इस पर किसी प्रकार की कार्रवाई करने से बच रहे हैं। उन्होंने गंेद मुख्यमंत्री के पाले में डाल दिया है। इसके कारण मुख्यमंत्री भारी दबाव में आ गए हैं। मुख्यमंत्री परिवहन मंत्री का समर्थन कर रहे थे, लेकिन दबाव में आकर उन्होंने इस मामले पर कानूनी राय लेने की बात कर मामले को कुछ समय तक के लिए टालने की कोशिश की है।
इससे परिवहन मंत्री को कुछ समय के लिए राहत मिली है और मुख्यमंत्री भी अपने लिए कुछ समय पाने में सफल हुए हैं। लेकिन विपक्ष काफी आक्रामक है। वह मुख्यमंत्री पर परिवहन मंत्री को हटाने की मांग कर रहा है और इस मसले पर आंदोलन चलाने का कार्यक्रम भी बना रहा है। उसने घोषणा की है कि जबतक मंत्री अपने पद से इस्तीफा नहीं देते, तबतक वे अपना आंदोलन चलाते रहेंगे।
गौरतलब हो कि मंत्री ने पहले विधानसभा में कहा था कि उनके ऊपर लगाए गए आरोप यदि सही पाए गए, तो वे न केवल मंत्री पद से बल्कि विधानसभा से भी इस्तीफा दे देंगे और सार्वजनिक जीवन से ही संन्यास ले लेंगे। अब जब जिलाधिकारी की रिपोर्ट में उन्हें दोषी पाया गया है, तो उनसे इस्तीफे की मांग की जा रही है। विपक्ष कह रहा है कि यदि परिवहन मंत्री इस्तीफा नहीं देते हैं, तो मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।
दूसरी ओर मुख्यमंत्री इस मसले पर जल्दीबाजी में कोई निर्णय नहीं लेना चाहते। सरकार कह रही है कि यह मामला अदालत में है, इसलिए जिलाधिकारी की रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई करना अदालत की अवमानना होगी। यही कारण है कि सरकार अब इस पर कानूनी राय प्राप्त करना चाहती है।
सरकार का दावा आंशिक रूप से ही सही है। एक मामला अदालत के विचाराधीन है लेकिन मंत्री पर अनेक आरोप लगे हैं और सारे आरोपों से संबंधित मामले अदालत में नहीं चल रहे है। इसलिए अदालत में चल रहे मामले से कार्रवाई करने पर किसी तरह की रोक नहीं लगती।
इस मसले ने सीपीआई और सीपीएम के बीच मतभेद को भी उजागर कर दिया है। सीपीआई इसलिए नाराज है कि मुख्यमंत्री ने राजस्व मंत्री की रिपोर्ट को तो नजरअंदाज कर दिया, जबकि उन्होंने राजस्व सचिव की रिपोर्ट को तवज्जो दे दी है। (संवाद)
मंत्री टाॅमस चांडी के इस्तीफे की मांग
मुख्यमंत्री भारी दबाव में
पी श्रीकुमारन - 2017-10-30 11:07
तिरुअनंतपुरमः प्रदेश का राजनैतिक तापमान काफी ऊंचा हो गया है, क्योंकि विपक्ष परिवहन मंत्री टाॅमस चांडी के इस्तीफे पर अड़ गया है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री दबाव से बचने के लिए मामले को टालने की कोशिश कर रहे हैं। टालने के लिए उन्होंने कानूनी सलाह लेने की बात की है।