इस तरह के कानून लाने के पीछे वर्तमान राजस्थान की भापजा सरकार की क्या मंशा हो सकती है जबकि भाजपा वर्चस्व वाली केन्द्र सराकर के प्रमुख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कालाधन विदेश से वापिस लाने एवं देश में भ्रष्टाचार रोकने की दिशा में बार - बार वकतव्य दे रहे है। इस तरह के परिवेश में उभरते दोहरे चरित्र मापदंड में देश से कैसे भ्रष्टाचार मिटेगा ? जहां कालाधन उगाही करने वालों को बचाने की दिशा में विधेयक लाने का प्रयास जारी हो।
आज देश का हर महकमा खनन, भू ,जल आदि जो प्रकृृति का दिया अनुपम उपहार है, जिसमें तेजी से हो रहे दोहन के बीच समाये माफिया गिरोह से फैले भ्रष्टाचार के साथ - साथ उद्योग, यातायात, परिवहन, व्यापार, सरकारी कारोबार, रोजगार आदि इस तरह के हालात से ग्रसित है जहां माफियाओं का राज्य कायम है। इस तरह के माफियाओं के सरगना , जिनसे पूरे देश में भ्रष्टाचार फैला है, जो देश - विदेश तक काला धन बटोरने के संसाधन है, राजनीतिक दलों के शीर्ष पर विराजमान राजनेताओं के संगे -संबंधी, रिश्तेदार है जिन्हें पूर्ण संरक्षण मिला हुआ है। राज्य हो या केन्द्र सभी जगह इस तरह के हालात के जिम्मेवार प्रत्यक्ष/ अप्रत्यक्ष रूप से सŸाा पक्ष ही है जिसकी सरकार होती है। जिसका प्रशासन एवं हर तरह की व्यवस्था पर नियंत्रण होता है। जिसके शह के बिना कोई काम संभव नहीं। इस तरह के परिवेश में इस तरह के हालात के लिये सŸाा पक्ष एवं विपक्ष दोनों पूर्ण रूप से जिम्मेवार है। जिनकी टिम में काला धन उगाही करने वाले माफिया सरगंनाओं का वर्चस्व है । जिनके कारण आज देश में घोटालों की भरमार है। इन घोटालों के पीछे ही भ्रष्टाचार पनप रहा है। इस तरह के परिवेश से आज कोई भी राजनीतिक दल अछूता नहीं है। फिर कालाधन उगाही करने वालों के बीच से कैसे मिटेगा भ्रष्टाचार ? यह विचारणीय मुद््दा है।
पूर्व में देश का चर्चित चारा घोटाला, कोयला प्रकरण में हुए घोटाले को लेकर आई महत्वपूर्ण रिर्पोट के बाद देश भर में मची हलचल जहां संसद एक सप्ताह ठप्प भी रही। 2जी घोटाले का प्रकरण जिसमें मंत्री तक को जेल हुई। इस प्रकरण से जुड़े विŸा मंत्रालय के प्रभारी तत्कालीन विŸा मंत्री विवादों के घेरे में आये , पर परिणाम क्या निकला ? भ्रष्टाचार से जुड़े मुद््दे पूर्व में भी उजागर हुए पर परिणाम क्या रहा। सŸाा तक बदल गई पर मुद््दे आज भी कायम है। इस तरह के मुद््दे सवार्थपूर्ण राजनीतिक परिेवेश में समा गये है जिनका परिणाम राष्ट्रहित में सदा ही आज तक अहितकर होता रहा है।
धीरे - धीरे देश में भ्रष्टाचार मौलिक अधिकार बनता गया। आज देश का हर सरकारी महक्मा इससे अछूता नहीं है। रेल में सफर करना हो या बस में, जमीन का पट््टा लेना हो या बेचना हो, गाड़ी चलाने के लाईसेंस बनवाने हो या पंजीकरण के कागजात पाने हो , चक्कर से बचने के लिये सभी जगह सुविधा शुल्क चुकाने पड़ते है। कोर्ट कचहारी पुलिस थाना की कहानी से कौन नहीं परिचित ? आखिर जाएं तो जाएं कहां ? भ्र्रष्आचार , काला धन के विरोध में आंदोलन भी हुए। पर इनका क्या हस्र हुआ सभी भलीभाॅति परिचित है। इस तरह के मसले पर सरकार सदा मौन रही, विपक्ष हंगामा करता रहा। फिर अुत में सबकुछ टांय - टांय फिस। हर के अपने अपने स्वार्थ है।
देश आज भ्रष्टाचार से ग्रसित है। आम जनता परेशान है। मंहगाई भ्रष्आचार की ही देन है। विकास कार्यो में अवरोध बनकर भ्रष्टाचार सामने खड़ा है। इसके विरूद्ध लड़ाई सभी पर एक साथ हमला बोलकर कदापि नहीं लड़ी जा सकती। माना कि आज के दिन पक्ष विपक्ष दोनो एक है। पर सŸाा पक्ष की भूमिका एवं जिम्मेवारी इस दिशा में पहले है। सŸाा पक्ष चाहे तो इस दिशा में नियंत्रण हो सकता है। भ्रष्टाचार पर लगाम कस सकता है। पर कैसे संभव होगा जब तक कालाधन उगाही करने वाले ही साथ खड़े हो ।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन भी समय - समय पर हुये पर दोहरे चरित्र मापदंड के कारण प्रभावहीन रहे । इस तरह के आंदोलन में सŸाा प्रेमी बढ़ - चढ़ कर आगे भाग लिये और फिर सŸाा तक पहुंच गये । भ्रष्टाचार इनके साथ सŸाा पर फिर से कब्जा जमा लिया । आज पक्ष हो विपक्ष , सभी के साथ दागी खड़े है । ये दागी ही सरकार बनाते एवं गिराते है। लोकतंत्र में इनका विशेष प्रभाव है । इनके रहते देश कभी भी भ्रष्टाचार मुक्त नहीं हो सकेगा ? इन्हे साथ लेकर चलने वाले भ्रष्टाचार मुक्त देश होने का केवल झूठा दिलासा दिला सकते भ्रष्टाचार मुक्त भारत कभी नहीं बना सकते । भ्रष्टाचार पनपाने में वर्तमान लोकतांत्रिक चुनाव प्रणाली भी जिम्मेदार है जहां चुनाव में अनाप - शनाप खर्च होते है। जहां चुनाव व्यापार का रूप ले चुका है। जब तक लोकतांत्रिक व्यवस्था व्यापारिक भावना एवं दागियों के प्रभुत्व से अलग नहीं होगी तब तक देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने का सपना साकार नहीं हो सकेगा। (संवाद)
कालाधन उगाही वालों के बीच से कैसे मिटेगा भ्रष्टाचार ?
भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के लिए सरकार बना रही है कानून
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2017-11-09 11:53
कालाधन उगाही करने वालों के संरक्षण में अभी हाल ही में राजस्थान राज्य में वर्तमान भाजपा नेतृृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा विधेयक लाने का मामला उजागर हुआ है जिसका विरोध होने के कारण फिलहाल यह विधेयक प्रवर समिति को सौंप दिया गया है। इस विधेयक के विरोध में पत्रकारिता जगत में विशेष अभियान जारी है । साथ ही इस कानून के विरोध में विपक्षी दल के अलावे भाजपा के विशेष सहयोगी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संध ने भी आपति जतायी है। इस कानून को लोकतंत्र पर प्रहार बताते हुए काला कानून के रूप में विरोध हर जगह जारी है। जब तक कानून काला तब तक ताला प्रसंग प्रदेश में विशेष चर्चा का विषय आज बना हुआ है।