प्रधानमंत्री का उनसे एकाएक मिलने के इरादे के पीछे क्या है? क्या यह सिर्फ शिष्टाचार वश की गई मुलाकात थी या प्रधानमंत्री अपनी पार्टी के लिए तमिलनाडु में एक नये विकल्प की तलाश कर रहे हैं? उन्होंने करुणानिधि को आराम करने के लिए प्रधानमंत्री निवास में आमंत्रित तक कर डाला। उनके साथ उन्होंने 20 मिनट का समय बिताया।
उनकी इस मुलाकात के बाद दो घटनाएं घटीं। पहली घटना तो डीएमके द्वारा नोटबंदी की पहली बरसी पर 8 नवंबर को काला दिवस ममाने की अपनी घोषणा को वापस ले लिया जाना था। उसे वापस लेते हुए कहा गया कि प्रदेश के 8 राज्यों में भारी वारिस के कारण स्थिति अस्त व्यस्त् हो गई है, इसलिए काला दिवस मनाने की घोषणा को वापस लिया जाता है। इससे पता चलता है कि डीएमके भी भारतीय जनता पार्टी के करीब आना चाहती है।
एक दूसरी घटना शशिकला और उनसे जुड़े लोगों पर आयकर विभाग द्वारा की गई छापेमारी है। यह तो सबको पता है कि शशिकला करुणानिधि और उनकी पार्टी की आंखों में चुभती है। अभी कुछ दिन पहले ही आॅल इंडिया अन्ना डीएमके की अंदरूनी लड़ाई में शशिकला केा मुह की खानी पड़ी है। मुख्यमंत्री पलानीसामी और पूर्व मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम ने शशिकला के खिलाफ हाथ मिला लिया है और शशिकला केा राजनीति के हाशिए पर डाल दिया है। उनके और उनके परिवार के ठिकानों पर की गई छापामारी से उनकी स्थिति और कमजोर हुई है, जिससे सत्तारूढ़ दल के नेता ही नहीं, बल्कि विपक्षी डीएमके भी खुश हो रहे होंगे।
फिलहाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी पार्टी के सत्तारूढ़ आॅल इंडिया अन्ना डीएमके के साथ अच्छा संबंध है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों में तमिलनाडु के सत्तारूढ़ दल ने भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन किया था। संसद में उसके सदस्यों की संख्या अच्छी खासी है। उनका समर्थन राज्यसभा में अल्पमत हैसियत रखने वाली भाजपा के काम आ सकता है। इसलिए वे उससे संबंध इस समय नहीं खराब कर सकते।
तो फिर करुणानिधि से मिलने का कारण 2019 के चुनाव के लिए एक विकल्प तैयार रखना तो नहीं है? यह सच है कि इस समय आॅल इंडिया अन्ना डीएमके सत्ता में है और उसके पास सांसदों की संख्या भी ज्यादा है, लेकिन सच यह भी है कि अभी भी पलानीसामी और पनीरसेल्वम गुटों में ठनी रहती है। भारतीय जनता पार्टी ने दोनों में सुलह कराने की कोशिश की है, लेकिन उनकी कोशिश काम करती नहीं दिखाई पड़ रही है।
जाहिर है, भाजपा को लगता होगा कि विभाजित आॅल इंडिया अन्ना डीएमके 2019 के लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकती और डीएमके वहां मजबूत स्थिति में है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी के लिए 2019 में वहां डीएमके के साथ जाना ज्यादा मुफीद लग सकता है।
करुणानिधि की पार्टी पहले भी कभी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में थी। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वह शामिल भी थी, लेकिन उसने उसके बाद गठबंधन से अपने को बाहर कर लिया। इसलिए यदि वह एक बार फिर इस गठबंधन में वापस आ जाए, तो कोई अचरज नहीं होना चाहिए। (संवाद)
भाजपा की तमिलनाडु राजनीति
करुणानिधि से मिलकर क्या हासिल करना चाहते हैं मोदी
कल्याणी शंकर - 2017-11-15 12:03
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा एकाएक गोपालपुरम स्थित करुणानिधि के घर की यात्रा करने के क्या निहितार्थ हो सकते हैं? पिछले सप्ताह जब प्रधानमंत्री चेन्नई में थे, तो उन्होंने एकाएक प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री करूणानिधि से मिलने के लिए उनके घर जा धमके। श्री करुणानिधि अधिक उम्र होने के कारण कुछ समय से अस्वस्थ हैं और स्वास्थ्य लाभ के लिए वे लंबे समय से आराम कर रहे हैं। उन्होंने अपनी राजनैतिक विरासत अपने बेटे स्टालिन को थमा दी है।