इस तरह के हालात ने सही मायने में अपराध पर नियंत्रण किया है जबकि लोकतंत्र का प्रशासनिक स्तंभ इस दिशा में सदा से ही निष्फल रहा है जिससे अपराध निरंतर होते रहे हैं। भ्रष्टाचार में भी नियंत्रण म,ें प्रेस जगत की भूमिका देखी जा सकती है। आज समाज के गलत लोगों को किसी से भय है तो प्रेस जगत से है। इस तरह के हालात ने प्रेस पर संकट भी बढ़ा दिये है जिसे किसी भी तरह का संरक्षण प्राप्त नहीं। इस तरह के लोग जिनकी भूमिका देश हित में कदापि नहीं हो सकती सŸाा पक्ष एवं विपक्ष के साथ- साथ प्रेस जगत में भी समा गये है जिससे प्रेस की सकरात्मक भूमिका कभी- कभी संदेह के दायरे में आ जाती है। जिसने पीत पत्रकारिता को उजागर कर निष्पक्ष पत्रकारिता पर अकुश लगाने का प्रयास किया। इसके वावयुद भी आज प्रेस जगत अपनी भूमिका सकरात्मक ढ़ंग से निभा रहा है । इस तरह के परिवेश में आज भी ऐसे पत्रकार है जो निडर एवं निष्पक्ष होकर अपना पत्रकारिता धर्म बाखूबी से निभा रहे है। जिनकी कलम सच्चाई उगलती है, विचार स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं परिपक्व होते है। जो अपना कर्तव्य निभाने में किसी तरह समझौता नहीं करते। आज इसी तरह के निडर, निष्पक्ष पत्रकारों की वजह से ही हम सभी सुरक्षित है, हमारा लोकतंत्र अभी तक बचा हुआ है। जागरूक पत्रकार लेाकतंत्र के महत्वपूर्ण चैथे स्तंभ पत्रकारिता जगत के सजग प्रहरी है जिनकी पैनी नजर समाज में घटित हर घटनाओं पर होती है, जिन्हें उजागर कर आमजन को जागृृत करना एवं घटनाओं से जुड़े लोगों का पर्दाफाश कर स्वस्थ समाज की संरचना में सकरात्ममक सहयोग देना मुख्य उदेश्य होता है। इस प्रक्रिया में वे सदा ही समाज में काले कारनामें करने वाले बाहुबलियों एवं माफियाओं की नजर में खटकते रहते है जिसके कारण अपने इस इमानदारी पूर्वक कर्Ÿाव्य निभाते- निभाते वे वीर सैनिक की तरह शहीद भी हो जाते है। इस तरह के निडर एवं निर्भीक कार्य करने वालें पत्रकारों को सुरक्षा दिये जाने का प्रावधान लोकतंत्र में कहीं भी नहीं है। जिसपर विचार किया जाना चाहिए।
देश आज भ्रष्टाचार एवं आतंकवाद से ग्रसित है। जिसे प्रत्यक्ष/ अप्रत्यक्ष रूप से देश के भीतर अपने ही लोगों से सहयोग भी मिल रहा है। आम जनता परेशान है। विकास कार्यो में अवरोध बनकर भ्रष्टाचार पहले से सामने खड़ा है। मंहगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार की ही देन है। देश में अब भ्रष्टाचार मौलिक अधिकार बन गया है। आज देश का हर महकमा इससे अछूता नहीं है। इसके नियंत्रण में कोई सजग नहीं दिख रहा । इस मामलें में पक्ष विपक्ष दोनो एक है। दोनों के पास दागी जनप्रतिनिधि हैं, जो सरकार को बनाते - गिराते है। इस तरह के जनप्रतिनिधियों की वजह से आज लोकतंत्र का वास्तविक स्वरुप बदल गया है। लोकतंत्र की मर्यादा दिन पर दिन भंग होती जा रही है। संसद एवं विधान सभा में हो हल्ला, गाली - गलौज होना आम बात हो गई है । कौन जनप्रतिनिधि किसका गला पकड ले , कब चप्पल , जुते चला दे कोई नहीं जानता । अध्यक्ष की गरिमा का तो कोई ख्याल ही नहीं रखता। अध्यक्ष सŸाा पक्ष का होने एवं सŸाा पक्ष की ओर विशेष झुकाव होने से हमेशा विवादों में ही उलझा रहता है। सŸाा पाने के लिये हर राजनीतिक दल अलोकतांत्रिक पहल करता है जिससे लोकतंत्र की मर्यादा का भंग होना स्वाभाविक है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन भी समय- समय पर हुये पर दोहरे चरित्र मापदंड के कारण प्रभावहीन रहे। इस तरह के आंदोलन में सŸाा प्रेमी बढ़- चढ़ कर आगे भाग लिये और फिर सŸाा तक पहुंच गये। सŸाा भी बदली पर झांसा नीति के कारण कोई परिवर्तन नजर नहीं आया। इसी तरह के लोगों के बचाव में जिनसे देश में भ्रष्टाचार, आतंकवाद पनाह ले रहा है, विधेयक लाने का प्रयास समय- समय पर होता रहा और आज भी जारी है ।
इस तरह के परिवेश में निष्पक्ष, जागरूक एवं निर्भीक पत्रकार ही इस तरह की ज्वलंत समस्याओं से देश को निजात दिलाते हुए लोकतंत्र को मजबूत बना सकते है। पत्रकार की कलम से ही गलत लोगों को भय लगता है। इस दिशा में प्रेस की स्वतंत्रता, जागरूकता एवं निर्भीकता लोकतंत्र के हित में बहुत जरूरी है। जिन्हें सुरक्षा दिये जाने का प्रावधान संविधान में होना चाहिए। आज प्रेस जगत की सकरात्मक भूमिका के चलते ही प्रशासन से लेकर सामाजिक स्तर पर भ्रष्ट आचरण से जुड़े संत, महात्माओं, कारोबारियों, अधिकारियों, कर्मचारियों एवं बलात्कारियों का पर्दाफाश हो सका है, जिन्हें गुनाह के लिये मौत से लेकर जेल की सलाखों तक की सजा मिली है। सŸाा में समय- समय पर बदलाव में भी सकरात्मक पत्रकारिता की भूमिका अहम्् देखी जा सकती है। आज सभी की नजरें प्रेस जगत की ओर है। लोकतंत्र का जीवंत स्वरूप प्रेस की सकरात्मक भूमिका पर ही निर्भर है। प्रेस जगत अपनी भूमिका सकरात्मक रूप से सही दिशा में निभा सके, इसके लिये इसकी स्वतंत्रता एवं सुरक्षा दोनों जरूरी है। साथ ही प्रेस जगत की मर्यादा की रक्षा के लिये संगठनात्मक एवं रचनात्मक आपसी एकता एवं सामंजस्य का होना बहुत जरूरी है । प्रेस जगत पर अर्थतंत्र एवं अपराधतंत्र का हमला सदैव होता रहा है फिर भी प्रेस जगत अपनी मर्यादा को बनाये रखते हुए अपनी जिम्मेवारी बाखूबी से निभा रहा है। इस जिम्मेवारी को निभाने में निडर, निष्पक्ष पत्रकार की सकरात्मक भूमिका महत्वपूर्ण एवं सराहनीय है। जिससे लोकतंत्र की मर्यादा अभी तक बनी हुई है। (संवाद)
प्रेस की स्वतंत्रता, जागरूकता एवं निर्भीकता लोकतंत्र के हित में जरूरी
निष्पक्ष, निर्भीक एवं जागरूक पत्रकार ही देश को बचा सकते है
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2017-11-29 12:11
लोकतंत्र के जागरूक स्तंभ मीडिया की भूमिका सदा से ही महत्वपूर्ण रही है। आजादी से लेकर वर्तमान परिवेश में समय- समय पर बदलते हालात एवं सच्चाई से देश के आमजन को अवगत कराना एवं उन्हें जागरूक बनाना पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य सदा से रहा है। इस दिशा में इलेक्ट्रानिक एवं प्रिंट मीडिया दोनों की भूमिका सराहनीय है जिसकी वजह से आज हर छोटी से छोटी घटना की खबर आमजन तक पहुंच जाती है।