मध्यप्रदेश विधान सभा में इस विधेयक पर चर्चा के दरम्यान पक्ष एवं विपक्ष के विधायकों ने विधेयक का विरोध नहीं किया, लेकिन इस दरम्यान कांग्रेस के वरिष्ठ विधायकों ने विधेयक पेश करने में की गई जल्दीबाजी, इस पर चर्चा के लिए कम समय रखे जाने और विशेषज्ञों द्वारा परीक्षण नहीं कराए जाने को लेकर आपति की। विधेयक को चर्चा के लिए विधि मंत्री रामपाल सिंह ने इसे पेश किया। चर्चा के बाद इस पर शासन की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जवाब दिया। उन्होंने विपक्ष के सुझावों पर अमल करने का आश्वासन दिया और कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए उपाय किए जाने की बात की।
इस विधेयक पर चर्चा करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डाॅ. गोविन्द सिंह ने कहा कि कानून बना देने से ही घटनाओं को रोकना संभव नहीं है। पुलिस का भय हो, तो अपराधी अपराध छोड़ देते हैं। उन्होंने आशंका जताई कि यदि इस तरह के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान कर दिया जाता है, तो अपराधी सबूत मिटाने के लिए पीड़ितों की हत्या कर सकता है। विधेयक के माध्यम से यह संशोधन किया गया है कि विवाह का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने पर तीन साल की सजा का प्रावधान किया गया है। इस पर भी कांग्रेस सदस्यों ने कहा कि यदि दो लोग सहमति से शादी के आशय से संबंध बनाते हैं और बाद में किसी कारण से शादी नहीं कर पाते, तो महिलाएं इस कानून का दुरुपयोग कर सकती हैं। यद्यपि मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे ज्यादातर मामलों में महिलाएं पीड़ित होती हैं। कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने मानव तस्करी और बालिकाओं की गुमशुदी की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अपराधियों को सजा मिलने का औसत बहुत कम है। ऐसे में घटनाओं को रोकने के लिए कानून बनाने से ज्यादा उसके सही क्रियान्वयन की जरूरत है। वरिष्ठ विधायक सुंदरलाल तिवारी ने कहा कि निर्भया कांड के बाद बनी जस्टिस वर्मा कमिटी की सिफारिशों पर प्रदेश में क्रियान्वयन नहीं हुआ। यदि ऐसा किया जाता, तो प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध में बढ़ोतरी नहीं होती। उन्होंने फांसी की सजा पर भी सवाल किया और कहा कि लोकतांत्रिक देशों में फांसी की सजा को खत्म किए जाने की बात की जा रही है, तब फांसी की सजा का प्रावधान करने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित कर उनकी राय ली जानी चाहिए थी। इसके जवाब में मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि ऐसे अपराधियों के लिए वे फांसी की सजा को सही मानते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे अपराध करने वाले नरपिशचों को धरती पर रहने का अधिकार नहीं है। उन्होंने चिंता जताई कि हाल के दिनों में महिलाओं के खिलाफ अपराध में पुलिस वाले भी लिप्त पाए गए।
उल्लेखनीय है कि हाल के दिनों में मध्यप्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाएं ज्यादा हुई हैं। राजधानी भोपाल में एक छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना एवं उसकी रिपोर्ट लिखे जाने में की गई लापरवाही से सरकार की किरकिरी हुई। हाल ही में एनसीआरबी की रिपोर्ट में आया है कि देश में सबसे ज्यादा बलात्कार की घटनाएं मध्यप्रदेश में हुई हैं। इसके साथ ही महिलाओं के साथ अपराध की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। इस विधेयक के माध्यम से भारतीय दंड संहिता की धारा 354, 376, 493 में और भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 29, 110, 198 एवं 437 में संशोधन की बात की गई है। (संवाद)
आईपीसी में बदलाव के लिए मध्यप्रदेश विधान सभा में सर्वसम्मति से विधेयक पारित
बलात्कार के दोषियों के लिए फांसी की सजा
राजु कुमार - 2017-12-05 10:40
महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने वाले अपराधियों को कड़ी सजा देने के लिए भारतीय दंड संहिता में संशोधन के लिए मध्यप्रदेश विधान सभा में दंड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक 2017 सर्वसम्मति से पारित हो गया। विधेयक के अनुसार 12 साल से कम उम्र के किसी बालिका के साथ यदि बलात्कार होता है, तो उसके दोषियों को फांसी की सजा दी जा सकती है। 12 साल से कम उम्र के किसी बालिका के साथ सामूहिक बलात्कार के मामले में सभी दोषियों को फांसी की सजा दी जा सकती है।