इस बात को भाजपा भी अब समझने लगी है, इसी कारण गुजरात चुनाव पर अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। इस चुनाव को प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा के साथ जोड़कर सहानुभूति वोट लेने का प्रयास किया जा रहा है। तभी तो इस बात के संकेत मुख्य रूप से उभर कर सामने आने लगे है जहां सीधे तौर पर कहा जा रहा है कि क्या गुजरात के लोग अपने प्रधानमंत्री को हराना चाहेंगे , कतई नहीं ? जब कि इस चुनाव से प्रधानमंत्री की कोई प्रतिष्ठा नहीं जुड़ी है। पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जुड़ाव गुजरात से होने के कारण चुनाव को संवेदनशील बनाने का भी प्रयास जारी है। चुनाव को हिन्दुत्व वोट से जोडने का भी प्रयास जारी है। इस घेरे में कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर गुजरात में भाजपा जनाधार को अपने पक्ष में करने के प्रयास में सक्रिय नजर आ रही है। इस तरह के हालात भाजपा के आतंरिक हलचल को भी दर्शाते है। वर्तमान में हो रहे गुजरात चुनाव के परिणाम आगामी चुनावों को भी प्रभावित करेगें। इसी कारण भाजपा ऐनकेन प्रकारेण गुजरात चुनाव को पूर्व की तरह अपने पक्ष में लाने का भरपूर प्रयास कर रही है।
गुजरात राज्य में सर्वाधिक समय वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृृत्व का ही रहा है। नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री तक पहुंचाने में गुजरात राज्य के विकास के साथ - साथ वहां की जनता की भावना भी सर्वापरि रही है। यह स्वाभाविक भी है । वर्तमान हालात पूर्व जैसे नजर तो नहीं आ रहे है पर गुजरात में तगड़ा विपक्ष भी नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस का शासन भी भापजा से पूर्व कई वर्षो तक रहा। आज कांग्रेस भी वहां के असंतुष्ट एवं भाजपा विरोधी ताकतों को अपने साथ खड़ा कर अपना पूर्व वजूद कायम करने के प्रयास में प्रयत्नशील नजर आ रही है। कांग्रेस के साथ खड़े गुजरात में हार्दिक पटेल युवा नेता है जिनके विरोधी तेवर भाजपा को नुकसान पहुंचा सकते है। जीएसटी से गुजरात का व्यापारी घराना असंतुष्ट एवं भाजपा से नराज नजर आ रहा है जिसे मनाने की भाजपा भरपूर कोशिश कर रही है। इसी दिशा में केन्द्र सरकार द्वारा जीएसटी की दर में कमी लाना एवं व्यापारी वर्ग को अन्य सहुलियत दिया जाना शामिल है पर इसका प्रभाव गुजरात के असंतुष्ट व्यापारी वर्ग पर कितना पड़ता है, यह तो चुनाव परिणाम ही बता पायेंगे।
देश में दिन पर दिन बढ़ती जा रही महंगाई,,पनपते भ्रष्टाचार एवं घटते रोजगार के संसाधन, अशांत एवं असुरक्षित होते जा रहे परिवेश, राजनीति में उभरते दागी नेतृृत्व आदि आम जन मानस पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे है, जिससे जुड़े प्रसंग राजनीति परिवर्तन के कारण बनते जा रहे है। जिसे नकारा नहीे जा सकता। पाटीदार आरक्षण का मुद््दा चुनाव से पूर्व से ही भी गुजरात राज्य में प्रमुख बना हुआ है जिसे लेकर राजनीति पहले से ही गरमाई हुई है। केन्द्र की वर्तमान सरकार की अभी तक रोजगार देने के कोई ठोस योजना सामने नजर नहीं आ रही है। जिसे देश का युवा वर्ग स्वीकार करे । वर्तमान सरकार की योजना में भी कहींे से भी आमजन को राहत नजर नहीं आ रहा है। टैक्स के दायरे बढ़ते जा रहे है , जहां समाधान नहीं जटिलताएं नजर आ रही है। बैंक भी आम आदमी की जेब से बाहर होता जा रहा है। इस तरह के हालात गुजरात चुनाव को प्रभावित कर सकते।
गुजरात विधान सभा चुनाव को वर्तमान केन्द्र सरकार की आर्थिक नीतियों से आमजन एवं व्यापारी वर्ग में उभरे असंतोष , असंतुष्ट पटेल समुदाय का प्र्रतिकूल जनमत एवं साथ - साथ वहां की बेरोजगार युवा शक्ति के जनाक्रोश के हालात प्रभावित कर सकते। इस बात को भाजपा अच्छी तरह से समझ रही है इसी कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुनाव प्रचार में आगे कर वहां के जनमानस को संवेदनशीलता की लहर से जोड़ने का भरपूर प्रयास कर रही है। वर्तमान में गुजरात चुनाव पर हावी हो रही संवेदनशीलता की लहर से प्रभावित वहां का जनमानस हर प्रकार के आक्रेाश एवं विरोध को एक तरफ रख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिष्ठा बचाने में यदि सक्रिय हो गया तो इस तरह के हालात में गुजरात में उभरते नई युवा शक्ति के जननायक हार्दिक पटेल की विरोधी भूमिका भी विधान सभा चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर पाये, कहना मुश्किल है। विधान सभा चुनाव तो हिमाचल में भी हुये है पर गुजरात राज्य में उभरी उपरोक्त सभी विशेष परिस्थितियों के चलते गुजरात चुनाव जहां सौदेबाजी युक्त राजनीति तालमेल का गणित भी शुरू हो गया है, विशेष बन चुका है। इस तरह के हालात में वर्तमान गुजरात चुनाव भले संवेदनशीलता के कारण फिलहाल भाजपा के पक्ष में चले जाय जहां के परिणाम पूर्व के भाॅति नजर नहीं आ रहे है पर उभरते परिदृृश्य भाजपा की वर्तमान नीतियों पर ठोस मोहर अवश्य लगायेंगे। (संवाद)
गुजरात चुनाव पंर संवेदनशीलता की लहर
मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर
भरत मिश्र प्राची - 2017-12-05 10:47
जैसे -जैसे गुजरात विधान सभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे है राजनीतिक सरगर्मिया तेज होती जा रही है। दो प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस एवं भाजपा चुनाव मैदान में एक दूसरे के प्रतिद्वन्दी है। गुजरात चुनाव को अपने प़क्ष में करने की दिशा में हर तरह की पैंतरेबाजी शुरू हो गई । चुनाव को संवेदनशील बनाने का प्रयास जारी है। केन्द्र सरकार की नेतृृत्वधारी भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है जिसके कारण गुजरात चुनाव विशेष आकर्षण का केन्द्र बन चुका है। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का गृृह प्रदेश होने एवं इन दोनों के प्रभाव से वर्तमान में भापजा का वर्चस्व पूरे देश में छाये रहने की स्थिति में गुजरात विधानसभा का चुनाव विशेष रूप ले चुका है जहां भाजपा की वर्तमान नई आर्थिक नीति नोट बंदी , बैंकीकरण , बढ़ती बेरोजगारी एवं जीएसटी के कारण वर्तमान हालात पुर्व जैसे भापजा के पक्ष में दिखाई नहीं दे रहे है जिसका प्रतिकूल प्रभाव गुजरात चुनाव पर पड़ सकता है।