आधार के विरोधियों का कहना था कि इससे उनकी निजता का अधिकार प्रभावित होता है और निजता का अधिकार उनका मौलिक अधिकार है। इसलिए आधार को उनपर थोपना उनके मौलिक अधिकार का हनन है। आधार संबंधित आपत्तियों पर फैसला देने के पहले सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को स्पष्ट करना उचित समझा, क्योंकि केन्द्र सरकार कह रही थी कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है ही नहीं।
तो सबसे पहले निजता के अधिकार पर छिड़ा विवाद हल किया गया। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार ही है। हालांकि अभी यह तय किया जाना बाकी है कि आधार को सेवाओं व अन्य चीजों से लिंक किए जाने के बाद किसी व्यक्ति की निजता के अधिकार का उल्लंघन होता भी है या नहीं। अब इसे स्पष्ट करने के लिए एक अलग से संविधान पीठ का गठन किया जा रहा है, जो यह तय करेगा कि आधार कानूनों के द्वारा कहीं निजता के अधिकार का उल्लंघन तो नहीं किया जा रहा है। यदि सुप्रीेम कोर्ट सुनवाई के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि इससे निजता के अधिकार का उल्लंधन होता है, तो फिर आधार का बढ़ता प्रयोग अवैध और असंवैधानिक है।
लेकिन यदि सुप्रीम कोर्ट को सरकार संतुष्ट करने में सफल हुई कि आधार के कारण किसी की निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं होता, तो आधार का सरकारी सेवाओं के लिए इस्तेमाल करना संभव हो जाएगा। उसके बाद प्रशासनिक कार्यो, सेवाओं और अन्य कार्यों के लिए आधार अनिवार्य कर दिया जाएगा।
फिलहाल पैन के साथ आधार को लिंक करने को चुनौती दी जा रही है। आधार को मोबाइल नंबर के साथ भी लिंक करने का आदेश है और इसके साथ साथ बैंक अकाउंट को भी इससे लिंक करने की प्रक्रिया जारी है। 31 दिसंबर तक बैंक खातों और पैन को लिंक करने के लिए कहा गया था। अब ये तारीखें बढ़ाकर अगले साल 31 मार्च तक की जा रही है, पर समय सीमा की बढ़ोतरी उनके लिए है, जिन्होंने अभी तक आधार कार्ड नहीं बनाया है। जिन्होंने आधार कार्ड बनवा लिया है, उन्हें 31 दिसंबर तक अपने आधार नंबर को बैंक खातों और पैन से लिंक कराना अनिवार्य है। कोर्ट से इसमें दखल देने की मांग की गई थी। कोर्ट कोई दखल देती, उसके पहले ही सरकार ने अपनी तरह से इस तरह की घोषणा कर दी।
आधार की संकल्पना मनमोहन सिंह सरकार के समय हुई थी और इसके बनने की शुरुआत भी उसी समय हो गई थी। यह मूल रूप से एक पहचान पत्र के रूप में तैयार किया जा रहा था, जिसका शुरुआती उद्देश्य विदेशी नागरिकों से भारतीय नागरिकों को अलग करना था। पर जब आधार बनना शुरू हुआ, तो यह आरोप लगा कि इसे बनाते समय यह ध्यान रखा ही नहीं जा रहा है कि आधार नंबर पाने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक है भी या नहीं। इस तरह का आरोप उन राज्यों में लगाए गए, जहां विदेशी नागरिकों को लेकर पहले से ही तरह तरह की गतिविधियां चल रही हैं।
उसके बाद आधार का नागरिकता से संबंध समाप्त कर दिया गया। यानी यदि आपके पास आधार नंबर और कार्ड है, तो यह भारतीय नागरिकता का अकाट्य सबूत नहीं माना जा सकता, हालांकि आधार कार्ड भारतीय नागरिकों के लिए ही बनाया जा रहा है। आधार परियोजना के पहले ही एक राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर बनाने की चर्चा भी थी, जिसके तहत बहुद्देश्यीय नागरिकता कार्ड जारी किया जाना था। आधार कार्ड और नागरिकता कार्ड को लेकर विवाद भी हुए और एक समय ऐसा आया कि लगा दोनों तरह के कार्ड जारी किए जाएंगे, लेकिन एक ही तरह का दो कार्ड जारी कर धन की बर्बादी ही होती, इसलिए नागरिकता कार्ड सीमावर्ती इलाकों के लिए सीमित कर दिया गया, जहां लोगों की नागरिकता को लेकर सवाल खड़ा हो रहे थे।
लेकिन मोदी सरकार के गठन के बाद आधार को अनेक सेवाओं से लिंक करने की प्रक्रिया शुरू हो गई, हालांकि इस तरह की अवधारणा पहले ही हवा में तैर रही थी। पहले सरकारी सब्सिडी से संबंधित सेवाओ में इसके लिंक का इस्तेमाल किया गया और फिर धीरे धीरे इसका विस्तार किया जाने लगा। मोबाइल फोन से इसे लिंक करने का आदेश तो खुद सुप्रीम कोर्ट का ही है, जिसनके मोबाइल द्वारा किए जा रहे फ्राॅड को रोकने और फ्राॅड करने वालों को पकड़ने के लिए आधार से सभी मोबाइल नंबर को लिंक करने के आदेश दे दिए।
आधार को भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चलाने में एक बड़े सहयोगी के रूप में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बार बार इसकी चर्चा करते हैं कि कैसे सरकारी सब्सिडियों के दुरुपयोग को इससे बचाया जा रहा है। अब तो पैन के साथ लिंक कर अनेक किस्म के वित्तीय फ्राड को भी रोका जा सकेगा, क्योंकि एक एक व्यक्ति अनेक पैन बनाकर तरह तरह के फ्राॅड को अंजाम देता है और टैक्स की चोरी भी करता है। किसी व्यक्ति द्वारा एक से ज्यादा पैन बनाना अपराध भी है, लेकिन यह धड़ल्ले से हुआ है।
बैंक अकाउंट को आधार से लिंक करने के कारण अनेक प्रकार के करों को चुराने का काम लगभग असंभव हो जाएगा। आधार के साथ पैन और बैंक एकाउट के लिंक हो जाने के साथ ही आयकर अधिकारियों को यह पता चलेगा कि कौन बैंकों के मार्फत कितना लेन देन कर रहा है और किनके ऊपर टैक्स की कितनी देनदारी बनती है।
अब तो प्रधानमंत्री सभी संपत्तियों को आधार से लिंक करने की बात कर रहे हैं। यदि ऐसा कर दिया जाय, तो वास्तव में बेनामी संपत्ति और काले धन पर बहुत बड़ा हमला होगा। लेकिन क्या ऐसा करने की संकल्पशक्ति सरकार के पास है? (संवाद)
आधार आधारित प्रशासनः क्या इससे भ्रष्टाचार मिट पाएगा?
उपेन्द्र प्रसाद - 2017-12-11 13:20
मोदी सरकार प्रशासनिक कार्यो में आधार के इस्तेमाल को लगातार बढ़ावा दे रही है। हालांकि इसका जबर्दस्त विरोध भी हो रहा है और इससे जुड़े अनेक मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। उन मामलों की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक संवैधानिक पीठ के गठन का फैसला भी किया है। इसके पहले निजता के अधिकार का मसला भी सुप्रीम कोर्ट में उठा था। यह मसला भी उन लोगों ने ही उठाया था, जो आधार से पैन कार्ड को लिंक करने का विरोध कर रहे थे।