इस रिपोर्ट में यह रेखांकित किया गया है कि 10 में से 7 लोगों ने सार्वजनिक क्षेत्र की सेवा पाने के लिए घूस दिया था। शिक्षा के क्षेत्र में घूसखोरी की यह दर 58 फीसदी है, जबकि स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में घूसखोरी की दर 59 फीसदी है। पुलिस की सेवा पाने के लिए भी लोगों को भारी घूस देनी पड़ती है।

पहचान दस्तावेज बनाने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है। अन्य मौलिक सुविधाओं को पाने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है। सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार घूस देने वालों में कम आय वाले लोगों की हिस्सेदारी 73 फीसदी है। यानी भ्रष्टाचार की सबसे बड़़ी मार गरीब लोगों पर ही पड़ रही है।

पाकिस्तान में करीब तीन चैथाई लोगों ने बताया कि पुलिस भ्रष्ट है। 10 में से 7 ने बताया कि पुलिस या अदालती सेवा लेने में उन्हें रिश्वत की सहायता लेनी पड़ी।

जब व्यापार या काॅर्पोरेट का मसला आता है, तो इसमें 41 देशों की सूची में भारत का स्थान पांचवा है, जबकि पाकिस्तान इस मसले में चैथे स्थान पर है। 2015 के सर्वे में भारत छठे स्थान पर था। यानी स्थिति अब काॅर्पोरेट सेक्टर के लिए थोड़ी सुधरी है।

ट्रांस्पेरेंसी इंटरनेशनल ने भी स्तब्ध कर देने वाले रहस्योद्घाटन किए। उसने अपनी रिपोर्ट 1 देशों के 22 हजार लोगों के इंटरव्यू लेकर तैयार की है। ये सारे देश एशिया प्रशांत क्षेत्र के हैं।

उसने इस क्षेत्र के पांच सबसे भ्रष्ट देशों के नाम गिनाए, तो उसमें भारत सबसे ऊपर था। दूसरा स्थान वियतनाम, तीसरा थाईलैंड, चैथा पाकिस्तान और पांचवा म्यान्मार था। 69 फीसदी घूसखोरी दर के साथ भारत इस सूची में सबसे ऊपर था। दूसरी ओर जापान सबसे कम भ्रष्ट देश था।

व्यापार और काॅर्पोरेट सेक्टर के लोगों से जब बात की गई, तो उनमें से 78 फीसदी भारतीयों ने बताया कि घूसखोरी यहां बहुत ही आम बात है।

जब भ्रष्टाचार मिटाने के लिए सरकार की कोशिशों के बारे में पूछा गया तो 51 से 53 फीसदी लोगों ने मोदी सरकार के प्रति सकारात्मक रुख दिखाया। उनका कहना था कि उस दिशा में मोदी सरकार सही कोशिश कर रही है। उसी तरह पाकिस्तान में 45 फीसदी लोगों ने बताया कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार समाप्त करने की ईमानदार कोशिश कर रही है।

थाईलैड के 72 फीसदी लोगों ने अपनी सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी उपायों की सराहना की। (संवाद)