घटनाओं का सिलसिला इस प्रकार रहा कि गुजरात के पहले चरण के मतदान के एक दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनाव-सभा में पाकिस्तान के एक सैनिक अधिकारी के गुजरात चुनाव में कथित तौर पर अनुचित रूचि लेने और अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बनाने का समर्थन करने की बात कही। भोजन पर की गई बैठक के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात चुनाव के बारे में ‘‘गुप्त बातचीत’’ की गई। प्रधानमंत्री के बयान के महत्व को नजर अंदाज नही किया जा सकता। उन्होंने एक हीं सांस में कंाग्रेस, पाकिस्तान, मुख्यमंत्री के लिए मुसलिम उम्मीदवार की बात कही और यह इशारा किया कि वे एक अपवित्र गठबंधन बल्कि राष्ट्द्रोही साजिश में हिस्सेदार हैं। एक ही झटके में उन्होंने अपने विरोधियों को देशद्रोही बता दिया।

प्रधानमंत्री के ठीक-ठीक शब्द ये थे.-जब पाकिस्तान में अहमद पटेल को मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा हो रही है, पाकिस्तान के उच्चायुक्त उसके पूर्व विदेश मंत्री पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा पूर्व उप राष्ट्रपति हमीद अंसारी मणि शंकर अय्यर के घर पर मिलते हैं।

मोदी के बयान पर मनमोहन सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और प्रधानमंत्री से उस ‘‘झूठी अफवाह और असत्य’’ के लिए राष्ट्र से माफी मांगने की मंाग की जिसमें पाकिस्तान के अतिथियों के साथ उनकी ीाागीदारी में हुई बैठक को गुजरात चुनाव तथा भाजपा के खिलाफ साजिश से जोड़ा गया है। सदा शांत रहने वाले मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के एक पूर्व उच्च-पदस्थ सैनिक अधिकारी के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की जिसमें उसने सोनिया गंाधी के राजनीतिक सचिव, अहमद पटेल को मुख्यमंत्री पद पर बिठाने की बात कही।

डा. सिंह ने कहा,‘‘ पूर्व प्रधानमंत्री तथा सेना प्रमुख समेत सभी संवैधानिक पदों को कलंकित कर मोदी एक खतरनाक परंपरा का निमार्ण कर रहे हैं। ’’ मणि के घर पर वास्तव में क्या हुआ? इस सामाजिक कार्यक्रम में भाग लेने वालों के अनुसार गुजरात चुनावों पर जरा भी चर्चा नहीं हुई। ‘‘गद्दारी, देशद्रोह की जिस शर्मनाक तथा भयानक चीजों का दावा प्रधानमंत्री कर रहे हैं। उनमें से एक भी चीज इस कार्यक्रम में नहीं हुई। यही ईमानदार सच है।’’

एक वरिष्ठ सेवा निवृत्त राजनायिक ने कहा,’’ हमने भारत-पाकिस्तान संबंधों समेत दुनिया भर की बातें की।’’ अतिथि आमतौर पर भारत के पाकिस्तान के साथ खराब रिश्ते के बीत रहे समय को लेकर अफसोस जाहिर कर रहे थे। वे लोग सबसे ज्यादा इसमें दिलचस्पी रखते थे कि मनमोहन सिंह क्या कहते है क्योंकि वे विरले राजनीतिज्ञों में से है जिन्होंने भारत पाकिस्तान तनाव की गंाठ खोलने का ईमानदार प्रयास किया। लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री ने लोगों को सुनना पसंद किया। कसूरी ने भी ज्यादातर अपनी किताब के बारे में बातें की जो उन्होंने भारत पाकिस्तान रिश्ते के बारे में चार साल की कठिन मेहनत से लिखी हैं।

पाकिस्तान में भारत के पिछले राजदूत राघवन ने भी अपनी किताब प्रशंसा में कहे गए शब्दों का आनंद लिया।

पूर्व राजदूत भद्राकुमार लिखते हैं,‘‘ मुझे इससे धक्का लगा कि भारत के प्रधानमंत्री ने अय्यर के डिनर पर इतना हल्ला-गुल्ला मचाया। प्रधानमंत्री ने जो कहा उसकी डिनर में हुई चर्चा से कोई संबंध नहीं था। कसूरी के होटल जाने की जल्दी के कारण डिनर समय से पहले खत्म हो गया। डिनर के प्रधानमंत्री के काल्पनिक विवरण में एक ही ठोस तथ्य था कि तीन घंटे तक चले डिनर में शराब, कबाब तथा अच्छा खाना था। इसमें कोई गुप्त सूचना का आदान प्रदान नहीं हुआ, भारत के राष्ट्रीय हित का कोई नुकसान नहीं हुआ, पाकिस्तान से किसी ने कोई निर्देश नहीं लाया और सबसे पक्की बात कि उस पूरी शाम में किसी ने ‘गुजरात’ शब्द का जिक्र नही किया। (संवाद)