अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को चाहिए कि वह अपने साथ सभी सेक्युलर पार्टियों को लेकर चले। इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि आगामी चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियां और क्षेत्रीय मुद्दे अपनी भूमिका निभाएंगे और उन्हें नजरअंदाज करना गलत होगा।

उन्होंने कहा कि युवाओं मे भारी बेरोजगारी का माहौल है और किसानों की दशा बद से बदतर होती जा रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा सबका साथ सबका विकास की बात ही करती है, लेकिन जब हम सभी लोगों की बात करते हैं तो कहा जाता है कि हम तुष्टिकरण की नीति अपना रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हम तभी एक मजबूत भारत बना सकते हैं, जब हम सबको साथ लेकर चलें। यदि किसानों की हालत खराब रहे, तो देश विकास नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि आगामी 2019 का लोकसभा चुनाव युवकों की बेरोजगारी और किसानों की बदहाली के मुद्दों पर लड़ा जाना चाहिए।

अखिलेश यादव ने कहा कि उनकी पार्टी गुजरात में कांग्रेस के साथ गठबंधन करना चाहती थी और मात्र 5 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस ने उनकी मांग नहीं मानी और कहा कि सपा की गुजरात में कोई उपस्थिति नहीं है।

उन्होंने कहा कि अपना समर्थन आधार फैलाने के लिए उन्होंने अपनी पार्टी के पांच उम्मीदवार गुजरात में उतारे और उनके लिए प्रचार भी किया। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस और सपा के बीच तालमेल होता, तो वह पूरे गुजरात में कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए भी प्रचार करते।

अखिलेश ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपनी उदारता दिखाई थी और कांग्रेस को 115 सीटें गठबंधन के तहत दी थीं, जबकि कांग्रेस का प्रदर्शन वहां बहुत ही खराब था। लेकिन कांग्रेस को मात्र 7 सीटें ही मिल सकी थीं। सच तो यह है कि अखिलेश ने कांग्रेस को उतनी सीटें इस तथ्य के बावजूद दे दी थी कि उनके पिता मुलायम सिंह यादव कांग्रेस के साथ किसी प्रकार के गठबंधन के ही खिलाफ थे।

बसपा प्रमुख मायावती भी गुजरात में कांग्रेस से गठबंधन करना चाहती थीं। बसपा के वरिष्ठ नेताओं ने इसके लिए कांग्रेस नेतृत्व से बातचीत भी की थी। लेकिन कांग्रेस के नेताओं ने यह कहते हुए बसपा से गठबंधन करने से मना कर दिया कि सीटों की उसकी मांग बहुत ज्यादा है। बसपा भी अपनी सीटों की मांग करने को तैयार नहीं हुई।

फिर तो मायावती ने गुजरात की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला कर डाला। उसके उम्मीदवारों के कारण कांग्रेस को कुछ स्थानों पर सीटों का नुकसान भी हुआ। हालांकि सच यह भी है कि बसपा को गुजरात में एक फीसदी मत भी नहीं प्राप्त हो सके। नोटा को जितने वोट मिले, उसके आधा भी बसपा को नहीं मिल सके। उसके कारण अब मायावती की भारी फजीहत हो रही है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता पूर्व मंत्री रामकृष्ण द्विवेदी, क्रांति कुमार और सत्यदेव त्रिपाठी कांग्रस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखने की योजना बना रहे हैं, जिसमें वे श्री गांधी से सेक्युलर ताकतों के साथ चुनावी गठबंधन के लिए पहल करने की अपील करेंगे।

एनसीपी के अध्यक्ष डाॅक्टर रमेश दीक्षित ने भी अखिलेश यादव और कांग्रेस नेताओं को कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा को हराने के लिए वे समान विचार वाले सभी छोटे- बड़े दलों के साथ गठबंधन करने की पहल करें।(संवाद)