इसलिए राहुल गांधी को माफी मांगने की मुद्रा में नहीं होनी चाहिए। उन्हें ‘‘नैतिक विजय’’ की आड़ में भी छिपने की जरूरत नहीं है। कांग्रेस पार्टी ने कई चुनाव लड़े हैं और अगर हम इनके परिणामों को देखेंगे तो ज्यादातर उसे जीतते पाएंगे। यही कारण है कि पार्टी एक चुनाव हारती है तो बड़ी खबर बनती है। बहुत बड़ी खबर बनी थी जब इंदिरा गंाधी और राजीव गंाधी चुनाव हारे। तो इसने राजनीतिक आकाश को ही हिला दिया था लेकिन दोनों में से कोई भी ‘‘नैतिक विजय’’ की आड़ में नहीं छिपा। उन्होंने अपनी सेना को फिर से इकट्ठा किया,लड़े तथा जीते। यह ठीक है कि वक्त बदल गया है। आजादी के बाद राजनीतिक माहौल आज जैसा खराब तथा विभाजनकारी कभी नहीं था। जातिगत तथा सांप्रदायिक विभाजन लगातार एक हो रहे भारत के खिलाफ काम कर रहा हैं। भारत ऐसे युवा और आशावान लोगों का देश है जो समय के साथ बदलना चाहते हैं वर्जनाओं से मुक्त होना चाहते हैं और एक सर्वसमावेशी, विविधता भरे देश के निर्माण करने के लिए लड़ रहे हैं। सिर्फ कंाग्रेस ही ऐसी पार्टी है, राहुल गांधी जिसे ‘पुरानी युवा पार्टी’ कहते हैं, युवा भारत के युवा भारतीयों को सुख और शांति वाला मुल्क दे सकती है।
इसलिए राहुल गंाधी को आने वाले समय में चुनावी विजय, जो कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए आवश्यक है, को ध्यान में रखकर एक चुनावी मशीनरी का निर्माण करना चाहिए ताकि मोदी-शाह की चुनावी मशीनरी को याद रखने लायक टक्कर दी जा सके। आज क्यों सेवा दल एक कोग्रेस की एक पतनशील शाखा है जो उसी समय दिखाई देती है जब 24 अकबर रोड पर पटाखे जलाने की जरूरत होती है ? कांग्रेस नेतृत्व इसे क्यों नहीं अनिवार्य कर देता है कि एनएसयूआई तथा युवक कंाग्रेस के हर व्यक्ति को सेवा दल से होकर जाना होगा ? उन्हें कम से कम दो साल के लिए सेवा दल में भर्ती होना होगा जैसा इजरायल की सेना के लिए होता है। युवक कंाग्रेस के नौजवानों तथा नवयुवतियों को इस मानसिकता से बाहर आना होगा कि उनका एक ही लक्ष्य है-चुनाव लड़ने के लिए टिकट पाना। सेवा दल को चुनाव लड़ने की युद्ध मशीनरी में तब्दील होना होगा। इसके अलावा उसे देश में आपदा के समय सबसे पहले पहुंचना होगा। खाकी निकर वालों के लिए यह लंबे समय से सहज रहा है। यही समय है जब उन्हें ‘‘जर्बरदस्त झटका’’ दिया जाए। बूथ ले लेकर ऊपर तक एक चुनावी मशीनरी बनाने का यही एकमात्र रास्ता है।
जानना जस्री है कि पर्दे के पीछे कंाग्रेस इसका आत्ममंथन कर रही है। विचार करना होगा कि क्यों पुनर्यौवन प्राप्त राहुल गंाधी के रूप में फिर से उठ खड़ी हो रही कंाग्रेस अपनी गतिशीलता बनाए रखने में नाकामयाब हो गई और गुजरात का चुनाव हार गई ? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली, जिन्हें गुजरात के चुनाव अभियान के पोस्टमार्टम की जिम्मेदारी सौंपी गई है, ने दो नेताओं पर अपना ध्यान केंद्रित किया है-मणिशंकर अय्यर तथा कपिल सिब्बल। दोनों ने अपने अनियंत्रित बयानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात की जनता को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करने का मौका दिया है। वीरप्पा मोइली कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से है और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के प्रमुख सलाहकारों में से हैं। वह कांग्रेस के महासचिव हैं और एक पूर्व मुख्यमंत्री। वह कानून मंत्री और कारपोरेट मामलों के मंत्री रह चुके हैं।
मोइली ने निष्कर्ष निकाला है कि कांग्रेस नेताओं के विवादास्पद बयानों को प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस को बदनाम करने तथा गुजरात की जनता को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करने के लिए ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया। अगर मणिशंकर अय्यर का ‘नीच आदमी’ का उल्लेख नहीं हुआ होता तो ‘गुजराती अस्मिता’या ‘गुजराती सम्मान’ का मामला चुनावी मुद्दा नहीं बना होता। गुजरात चुनावों के दौरान अय्यर तथा सिब्बल के एकदम गैर-जरूरी बयानों ने गुजरात चुनाव अभियान में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की उपलब्धियों बेकार कर दिया। उन्होंने कहा है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कंाग्रेस का प्रदर्शन सर्वोत्कृष्ट था। हालंाकि इस कथन को नमक मिर्च लगाया हुआ मान लेना चाहिए क्योंकि कांग्रेसजनों में खुशामद करने तथा चाटुकारिता के गुण गहरे तक पैठे होते हैं। राहुल गांधी को यह संदेश देना चाहिए कि खुशामद और चाटुकारिता तनिक भी बर्दास्त नहीं की जाएगी और सिर्फ कड़ी मेहनत को ही पुरस्कृत किया जायगा।
राहुल का एकमात्र लक्ष्य वर्तमान और 2019 के बीच आनेवाले राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेशों के विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव जीतने की मशीन बनाने का होना चाहिए। रहुल गांधी को अपने दिमाग में रखना चाहिए कि 2019 के पहले उनके पास सीमित समय है। मोदी सरकार को एक दूसरी अवधि कांग्रेस को जबर्दस्त झटका देगी और मोदी शाह किसी भी तरह भारत को कंाग्रेस-मुक्त बना दे्रगे।
अंतिम किंतु महत्वपूर्ण बात यह है कि राहुल गंाधी को उन्हें सारे कांग्रेसजनों के अनियंत्रित तथा अश्लील बयानों पर रोक लगाने का आदेश देना चाहिए। मोदी और शाह को गिरिराज तथा साक्षी महाराज जैसों से निबटने देना दीजिए। कंाग्रेसजनों को ऊंचा स्तर बनाए रखना चाहिए। कांग्रेस के पास एक भी ऐसा अनियंत्रित व्यक्ति न हो जो उसे हानि पहुंचा सके। मोइली ने कांग्रेस जनों के बुनियादी गुणों की पहचान की है। उसके पास सहज बुद्धि और विवेक हो कि ताकि वह दुश्मनों के हाथ में नहीं खेल सके। (संवाद)
राहुल गांधी अनियंत्रित बयान देने वालों कांग्रेसियों को रोकें
सुशील कुट्टी - 2017-12-22 10:55
हर राजनीतिक पार्टी यही करती है कि पार्टी की राजनीतिक विफलताएं उसके नेता को नहीं छुए। अभी कांग्रेस में इसी का समय है। इसके बावजूद कि राहुल गंाधी ने ‘‘नैतिक विजय’’ का दावा किया है, उन्हें गुजरात की पराजय से अलग रखने के लिए काफी मेहनत चल रही है। उन्हें ऐसी प्रवृति को हतोत्साहित करना चाहिए। उन्हें कांग्रेसजनों को इसका स्मरण दिलाना चाहिए कि कांग्रेस 132 साल पुराना पार्टी है जिसके इतिहास से ईष्र्या की जा सकती है। एक मजबूत इतिहास है इसका। यही पार्टी है जिसने भारत को आजादी पाने में नेतृत्व दिया। आधुनिक भारत के कुछ बड़े दिग्गजों को कांग्रेस ने आधार दिया और वे आजादी की लड़ाई के उतार-चढाव से होकर गुजरे।