पर इसके विपरीत पहली बार टेक्नोलौजी से संबंधित विषयों के बारे में सबसे प्रमाणिक मानी जाने वाली आवाज, गार्टनर ने भविष्यवाणी की है कि आटोमेशन कुल मिला कर नौकरियों को खत्म करने के बदले ज्यादा नौकरियां पैदा करेगा। गार्टनर का कहना है कि यह 2020 तक 18 लाख नौकरियां खत्म करेगा, लेकिन 23 लाख नई नौकरियां पैदा करेगा। यानि कुल मिलाकर नौकरियां बढ़ेंगी। इस उद्योग में भारत एक महत्वपूर्ण किरदार है, इसलिए इन नौकरियों का बड़ा हिस्सा इस देश में आएगा।

आटोमेशन से संबंधित रोजगार में 2020 एक महत्वपूर्ण साल है क्योंकि उस साल टेक्नोलौजी में हुई नई खोज नौकरियां बढ़ाने वाली बन जाएंगी। 2019 में आटोमेशन का अलग-अलग उद्योगों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। हेल्थकेयर, पब्लिक सेक्टर तथा शिक्षा में मंाग बढ़ेगी लेकिन मैन्युफैक्चरिंग को बड़ी चोट पहंुचेगी। 2021से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित रोजगार सकारात्मक क्षेत्र में पहंुच जाएंगे और 2026 में उसकी संख्या 20 लाख तक पहुंच जायेगी।

निस्संदेह, नौकरियां कम होने के काल बीच में आएंगे लेकिन इसके बाद फिर से सब कुछ पटरी पर आ जाऐगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कई रोजगारों की उत्पादकता बढ़ाएगी। वह कई मध्यम तथा नीचे के स्तर के काम को खत्म करेगी, लेकिन लाखों काफी कौशल वाले प्रबंधन और यहां तक कि शुरुआती तथा कम कौशल वाले पदों का सृजन भी करेगी। गार्टनर के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में होनेवाले हर निवेश को नौकरियों के खत्म होने, नए काम पैदा होने और बदलाव के तरीकों, काम करने वाले का दूसरों के साथ सहयोग और फैसला लेने तथा काम करवा लेने जैसे विषयों पर अवश्य विचार करना चाहिए।

गार्टनर का सुझाव है कि उद्योगों को काम करने की संस्कृति में बदलाव करना चाहिए ताकि आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस से संबधित कामों के साथ कामगार का तालमेल हो सके। गार्टनर ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित कई और भविष्यवाणियों की पहचान की है। 2022 तक पांच में से एक कामगार गैर-नियमित कामों के लिए आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस पर निर्भर होगा। आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस उन कामों में पहले से ही इस्तेमाल की जा रही है जहां चीजें बार-बार दोहराई जाती है और जिनमें एक पैटर्न होता है। गैर-नियमित कामों, जिनमें दोहराने वाली चीजें कम होती है, में आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल जल्द ही अच्ळे परिणाम देने लगेगा। गैर-नियमित कामों में आर्टिफिशयल इंटेलिजंेस काम करने वाले आदमी की मदद करेगा, वह काम करने वालों को हटाएगा नहीं।

‘एक साप्ताहिक रिपोर्ट तैयार करने या इनबाक्स के पांच ई-मेलों को चुनने में आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का उपयोग, किसी बीमारी को ठीक करने से अलग है। अक्सर, इन व्यावहारिक उपयोगों को नजर अंदाज कर दिया जाता है,’’ गार्टनर के शोध उपाध्यक्ष कैग रो का कहना है, ‘‘गैर नियमित कामों को आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के जरिए करने के अवसर को कंपनियां ने पकड़ना शुरू कर दिया है। यह काम सामान्य उद्देश्यों के लिए बने तरीकों से किया जाता है। कोई आईटी कामगार अगर आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस को अपने काम में शामिल कर लेता है तो एक वर्चुअल सेक्रेटरी या इंटर्न या रोबोट कामगार की जरूरत तैयार हो जाएगी,’’वह कहते हैं।

लेकिन गार्टनर का कहना है कि सेल्स एसोसिएट्स की जगह आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के जरिए मल्टी चैनल रिटेल्स को लाने का प्रयास कम से कम 2022 तक असफल साबित होगा। हालंाकि कैशियर और आपरेशन के काम प्रभावित हो जाएंगे। उसके अनुसार खुदरा उद्यमी मुख्यालय से वितरण केंद्रो तथा स्टोर के बीच होने वाले कामों को आदमियों के बदले आर्टिफिशयल तथा रोबोटिक्स के जरिए कराएगा और कामगारों पर होने वाला खर्च घटाएगा। अपने गोदामों की भी चेक-आउट प्रकिया में कुछ खुदरा उद्यमी यह तरीका अपनाने लगे हैं। हालंाकि शोध बताते हैं कि बहुत सारे खरीददार एक जानकारी वाले सेल्स एसोसिएसेट से मिलना पसंद करता है, खासकर घर को बेहतर बनाने वाली चीजें, दवा तथा सौंदर्य प्रसाधनों के लिए। यहंा जानकारी वाले सेल्स एसोसिएसेट अच्छा प्रभाव डालते हैं। हालांकि वह चेक-आउट आदि के कामों से लोगों को हटाएगा, उनके लिए परंपरागत सेल्स एडवाइजरों को हटाना मुश्किल होगा। खुदरा उद्यमी बार-बार दोहराई जान वाले और लेन-देन वाले कामों को खत्म कर पैसे बचाएगा। गार्टनर का कहना है कि आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के जरिए 2.9 अरब डालर के बराबर व्यावसायिक मूल्य पैदा किए जा सकते हैं और यह 6.2 अरब घंटे पैदा श्रम पैदा कर सकता है। श्रमिक उत्पादकता का यह परिणाम 2021 में पैदा होगा। जबकि कई उद्योग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से व्यापारिक मूल्य प्राप्त करेंगे, मैक्युफैक्चरिंग ऐसा क्षेत्र है जिसे बहुत ज्यादा व्यापारिक मूल्य प्राप्त होगा। सप्लाई-चेन तथा ‘गो-टू-मार्केट’ गतिविधियों में आटोमेशन से राजस्व में और भी बढ़ोतरी होगी।

भारत में आउटसोर्सिंग जैसे उद्योगों के बिजिनेस माडल में बुनियादी परिवर्तन होंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तथा नए बिजिनेस माडल को अपनाने के लिए लागत में की गई कमी से की गई बचत को फिर से निवेश करना पड़ेगा। (संवाद)