उन्हें नहीं पता था कि दुश्मनों की धरती पर उन्हें क्या मिलने वाला था। भारत और पाकिस्तान के बीच एक समझौता था कि भारतीय उच्चायोग का आदमी उन महिलाओं के साथ जाएगा और वह उस समय भी उनके साथ रहेगा जब जाधव से उनकी मुलाकात होगी। इस्लामबाद ने समझौते के हर शब्द को तोड़ा। उसने वह सब होने दिया जो कोई भी सभ्य देश नहीं करेगा। दुश्मन सदैव दुश्मन ही रहता है।

कैद में बंद भारतीय नागरिक की पत्नी और मां को उन सारी बेइजज्तियों को सहना पड़ा जो सिर्फ सजा पाए लोगों के लिए होती है। पाकिस्तान ने एक दुश्मनी रखने वाले पत्रकारों की टोली को अवंती जाधव तथा चेतना जाधव परेशान करने तथा नीचा दिखाने की अनुमति दे दी मानो उन्होंने ही फांसी की सजा पाई हो।

पाकिस्तान की ओर से दिखाई गई ‘‘मानवीय व्यवहार’’ महज एक सुनियोजित स्टंट था जिसने पाकिस्तान के इरादे को सामने ला दिया। उसने भारत-पाकिस्तान संबंधों के सभी कुरूप पक्ष को दिखाया है। दुश्मन का इरादा तो खूनी था, लेकिन अंतराष्ट्रीय निंदा ने उसे रोक रखा था। यह यूंही नहीं था कि पलटवार जाने के पहले जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ अमानवीय व्यवहार की खबरें आई थीं। उस व्यक्ति के साथ जो पाकिस्तान का प्रधानमंत्री रह चुका था।

क्या यह अचरज की बात थी कि इस्लामिक रिपब्लिक आफ पाकिस्तान ने सांस्कृतिक और धार्मिक संवेदनशीलता तथा बुनियादी मानवीय मूल्यों की अनदेखी की? अवंती तथा चेतना के शरीर की जांच की गई और उनके कपड़े बदलाए गए और मंगजसूत्र तथा ंिबंदी समेत हिंदु धर्म के जो भी निशान थे वे हटा दिए गए। इससे बड़ा क्या सबूत होगा कि वह हिंदु नाम की हर चीज से नफरत करते हैं?

उसकी सबसे नजदीक और प्यारी दो औरतों को उसकं सामने इस तरह पेश किया गया जैसे वह मर चुका हो और उसका अंतिम संस्कार हो चुका हो। शीशे के पीछे बैठा वह आदमी हर दृष्टिकोण से एक लाश बन चुका था। इसके पीछे का इरादा काफी कुछ बयान कर रहा था।

अवंति और चेतना के बायोमेट्रिक निशान उस तरह लिए गए जैसे कि वे कोई अपराधी हों। उन औरतों की उंगलियों तथा पुतलियों के निशान की उस देश को क्या जरूरत थी जिसकी धरती पर उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है? भारतीय टेजीविजन चैनलों पर कई पाकिस्तान ने इसके जवाब में कहा ,’’ लेकिन वे उस आतंकवादी की मां तथा पत्नी हैं जिसने हजारों पाकिस्तानियों की जान ली है, क्या वे नहीं हैं?’’अमेरिका में पाकिस्तान के एक पूर्व राजदूत ने पूछा। आप किसी सजा पाने वाले से जुड़े हों तो आपको भी सजा मिलेगी!

इस हिसाब से ईसा मसीह के माता-पिता को भी सलीब पर चढ़ाना चाहिए था। क्रिसमस के दिन उस आदमी की मां और पत्नी को हर तरह से असम्मानित किया गया जो फांसी का इंतजार कर रहा है। शायद पाकिस्तान की प्रकृति का अंधेरा पक्ष किसी लावा की तरह निकल आया क्योंकि यह कायदे-आजम मुहम्मदअली जिन्ना का भी जन्मदिन था। जो धर्म पर आधारित दो राष्ट्रों के सिद्दंात से जन्मे पाकिस्तान के पिता थे।

उन्होंने जाधव की पत्नी चेतना की चप्पल भी ले ली और रख ली। वह सिर्फ पैतावे में विदेश मंत्रालय से बाहर आईं। उन लौह दीवारों के भीतर, जहां उन्हें मुलाकात की इजाजत दी गई थी, उनकी मां को जाधव से उनकी मातृभाषा मराठी में बात करने की इजाजत नहीं दी गई। अवंति को बार-बार टोका गया और अंत में उन्हें आगे बातचीत करने नहीं दी गई। इसमें अचरज की कोई बात नहीं है क्योंकि वे कई भाषाओं का कत्ल कर चुके हैं। नवाजशरीफ को पंजाबी या कशमीरी लिपी में एक वाक्य लिखने के लिए कह कर देखें वह आपको संदेह से देंखेगे?

अवंति तथा चेतना के लिबास बदलवा दिए गए मानो भारत से आया लिबास जहर से बुझा हो। शीशे की दीवार को बीच में रखकर हुई इस बातचीत के बाद पाकिस्तानी विदेश विभाग के प्रवक्ता आदेश का पालन करना नहीं भूले और कहा, ‘‘पाकिस्तान अपना वायदा पूरा करता है।’’

अगर कूटनीतिक स्तर की बात है तो उस पर भी, अपनी आदत के मुताबिक, उन्होंने चूक की। समझौता यही हुआ था कि भारत के उप-उच्चायुक्त जेपी सिंह इस मुलाकात में हर वक्त मौजूद रहेंगे। लेकिन उन्हें दूर रखा गया उसी तरह जिस तरह उन असहाय औरतों को, जिसके साथ वह गए थे।

पाकिस्तानी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने इसके पहले दावा कर चुके थे कि एक इस्लामिक देश होने की वजह से पाकिस्तान के पास करूणा है। उस स्टील कंटेनर, जिसमें कुलभूषण जाधव की मुलाकात उसकी मां और पत्नी से कराई गई थी, के भय से भरे माहौल में कोई करूणा दिखाई नहीं दे रही थी।

मंगलवार को भारत के विदेश विभाग ने कहा,‘‘जाधव के परिवार वालों ने परिस्थिति को बहादुरी और सूझबूझ से संभाला। सवाल उठता है कि क्या वे किसी दूसरे तरीके का व्यवहार कर सकते थे। क्या मां और पत्नी को मिलने की इजाजत देने के लिए जाधव पाकिस्तान को धन्यवाद देने के अलावा कुछ और कर सकता था?

कोट और टाई पहने मध्ययुगीन लागों, जिनके हाथ में इस्लामिक तलवार हो, की कैद में रहनेवाला और क्या कह सकता था, चाहे उसे यह कहने के लिए कहा गया था या नहीं? जाधव ने जो कोट पहन रखी थी वह दुनिया को दिखाने भर के लिए था। जेल के अंधेरे सेल के अकेलेपन में जेल की लिबास पहने वह अपने कैद करने वालों का शिकार होगा जो उसे तरह-तरह से प्रताडित करते होंगे। यह उससे काफी अधिक बुरा होगा जो सलूक उसकी पत्नी और मां के साथ इस्लामबाद के विदेश विभाग के दफ्तर के बाहर हुआ। पाकिस्तान कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान से बाहर जिंदा नहीं जाने दे सकता। क्रिसमस के दिन सलीब पर टांगने के बाद तो बिलकुल नहीं। (संवाद)