अनर्गल बहस इस तरह के परिवेश में आग में घी का काम करती है। जिससे दोनों देश के रिश्तें में तनाव बढ़ने के ज्यादा आसार बनते है। जो युद्ध के परिणाम में भी बदल सकते है। इस दिशा में पाक के बदलते हालात जहां अमेरिका द्वारा आतंकवाद के मसले पर पाक को आर्थिक मदद रोकने को लेकर जारी बहस के दौरान पाक प्रतिनिधि तारिक पीरजादा द्वारा भारत के खिलाफ बोल एवं जवाब में भारत के प्रतिनिधियों द्वारा पाक के खिलाफ की जा रही चर्चा से दोनों देश के रिश्तें और बिगड़ सकते है। अमेरिका की कार्यवाही आतंकवाद के खिलाफ बेहतर मानी जा सकती है। पर इस तरह के परिवेश पर अनर्गल बहस नहीं होनी चाहिये जिससे दोनों देश के रिश्तें और बिगड़े एवं भारत विरोधी ताकतों को और बल मिले । अनर्गल बहस राष्ट्रहित में कदापि नहीं हो सकती। इससे हालात बिगडे ही है जिसे इतिहास के आइनें में देखा जा सकता ।

पड़ोसी देश पाक में आतंकवाद से जुड़े गिरोह की पकड़ प्रशासन एवं सरकार पर सदैव ही प्रभावी रही है। समय - समय पर पाक प्रशासन के बदलते तेवर एवं वकतब्य इस बात के प्रमाण है। इस तरह के हालात में पाक का आतंकवाद पर नियंत्रण की पृष्ठभूमि कमजोर होती दिख रही है, जिससे पाक - भारत के रिश्तें में सुधार होने की गुजाईश नाम मात्र नहीं रह गई। जब पड़ोसी पड़ोसी की ही परिभाषा को नहीं समझ पा रहा है, तो उसके साथ पड़ोसी धर्म निभाने की ऐसी कौन सी मजबूरी रही जिसके तहत सभी बंद द्वार खोल दिये जाते रहे, जिन रास्तों से देश के भीतरी भाग तक आतंकवादी पसर गये। कब कहां बम विस्फोट कर जाय, कह पाना मुश्किल है।

पड़ोसी देशों के नापाक इरादों के चलते आज देश की सीमा असुरक्षित हो चली है। सियासती चालें कभी भी युद्ध का परिवेश कायम कर सकती है। विश्व के विकासशील देश कभी नहीं चाहते कि भारत आगे बढ़े। इसी कारण भारत के पड़ोसी देश पाक को वे प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष रूप से अपने अपने तरीके से भारत के खिलाफ खड़ा करने की साजिश करते रहते है। इस दिशा में हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और वाली कहावत ज्यादा चरितार्थ हो सकती है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि जब जब भारत ने हजारों कुर्बानी के बाद युद्ध में पड़ोसी देश पाक की जमीन पर कब्जा किया तो विश्व के विकसित देशों ने बीच में समझौता करा कर कब्जा की हुई जमीन को वापिस करा देने में भूमिका निभाई पर चीन ने जो हमारे देश की जमीन युद्ध में कब्जा कर रखा है उसे भारत को वापिस करने में विश्व के किसी देश ने आज तक कोई भूमिका नहीं निभाई, आखिर ऐसा क्यों ? इस तरह के हालात हमारे देश की अस्मिता को चुनौती दे रहे है।

इस तरह के उभरते हालात के बीच अनर्गल बहस की प्रक्रिया को ज्यादा तुल न देकर सकरात्मक चर्चा पर मंथन करना चाहिये। पाक आज तक न तो अच्छा पड़ौसी बन सका है न भविष्य में बन सकता है, इस बात को ध्यान में रखते हुये पाक एवं पाक संरक्षण में पल रहे आतंकवादियों से देश की अस्मिता की रक्षा करने के तौर तरीका पर ज्यादा ध्यान देना चाहिये। पाक के संरक्षण में पल रहे आतंकवादी सदा ही भारत के खिलाफ भड़काउ भाषण देकर युद्ध का परिवेश बनाने की पूरी कोशिश में लगे हुये है ताकि भारत विकास से कोसों दूर रहे एवं विश्व के हथियार के सौदागर अपने हथियारों को आसनी से खपा सके । इस तथ्य को समझना आवश्यक है। इस दिशा में मंथन करते हुए अनर्गल बहस की प्रक्रिया जारी न रखने एवं उसका मीडिया पर प्रर्दशन किये जाने पर रोक लगाने पर विचार करना चाहिये जिससे दो देशों के बीच तनाव की स्थिति पैदा न हो सके।

चीन भी हमारा पड़ोसी राष्ट्र है पर पाक की तरह वहां आतंकवाद पनाह नहीं ले रहा है। पाक की तरह चीन की सोच भारत के प्रति कभी नहीं रही है। भारत चीन के लिये सबसे बड़ा बाजार भी है। इसलिये चीन की सोच भारत के लिये सदा ही सकरात्मक रही है। भारत - चीन के रिश्तें में दरार पैदा हो इस तरह की प्रक्रिया भी जारी है जिससे बचना बहुत जरूरी है। अनर्गल बहस के दौरान इस तरह के उभरते परिवेश को आसानी से देखा जा सकता है। जिस तरह अमेरिका भारत का मित्र राष्ट्र है उसी तरह चीन भी भारत का अभिन्न मित्र है। इस तथ्य को सार्थक बहस से उजागर करना चाहिए जिससे पाक के नापाक इरादों पर विराम लग सके । देश को अमेरिका एवं चीन दोनों का सहयोग जरूरी है। अनर्गल बहस को रोक कर देशहित में इस दिशा में सकरात्मक बहस होनी चाहिए। आतंकवादी गतिविधियों पर विराम लगाने के लिये उनकी अनर्गल वाचाल प्रवृृतियों को महत्व न देकर प्रसारण प्रक्रिया से तत्काल हटा दिया जाना चाहिये। (संवाद)