मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने स्वयं कानून और व्यवस्था की स्थिति, विशेष रूप से महिलाओं की सुरक्षा के लिए खतरा होने के कारण ‘अहाता’ (शराब की दुकानों से सटे आंगनों) को बंद करने की घोषणा की। लेकिन महिलाओं का एक वर्ग मुख्यमंत्री के इस निर्णय से सहमत नहीं है। वे अहाता को रहने देना चाहती हैं।
एक असामान्य घटना के रूप में, 18 जनवरी को सैकड़ों महिलाओं ने मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन कर शिवराज सिंह चैहान से आग्रह किया कि लोगों को शराब के पीने के लिए बनाए गए अहातों बंद न करें, जैसा कि अगले वित्तीय वर्ष के लिए पेश नई उत्पाद शुल्क नीति में प्रस्तावित किया गया।
जागृति महिला संघटन की नेता प्रगति गुप्ता का तर्क है कि ‘अहाता’ को बंद करना नुकसानदेह साबित होगा और यह महिलाओं की सुरक्षा को और भी खतरे में डाल देगा। हर दिन भोपाल के अहातों में रोजाना 2 से 3 लाख लोग शराब पीते हैं। यदि यह बंद हो जाते हैं, तो उन्हें सड़क के किनारे, पार्कों और अन्य सार्वजनिक स्थानों या घर में शराब पीने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। दोनों स्थितियों में वे बाहर और घर पर भी महिलाओं के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करेंगे। घर में शराब पीने का बच्चों पर भी खराब असर पड़ेगा।
मुख्यमंत्री को संबोधित किया गया एक तीन-पृष्ठीय ज्ञापन प्रधान मंत्री के स्वच्छता अभियान के तहत सार्वजनिक शौचालयों और अहातों के बीच समानता दिखाता है। जैसा कि सार्वजनिक शौचालय शहर को साफ रखने और लोगों को खुले में शौच करने से रोकने के लिए आवश्यक है, अहाता पियक्कड़ों को एक निश्चित जगह तक सीमित करते हैं।
जहां अहाता होते हैं, वहा कानून और व्यवस्था की स्थिति बनाए रखना पुलिस के लिए आसान हो जाता है। पियक्कड़ों की लडाई यदि अहाते में ही होती है, तो वहां पुलिस जल्दी पहुँच जाती है, लेकिन यदि अहाते नहीं होंगे तो पता नहीं पियक्कड़ कहाँ कहा लड़ेंगे और सभी जगह पुलिस को पहुंचना आसान भी नहीं होगा।
भोपाल में एक और अजीब विरोध का दृश्य था, जब सरकारी शिक्षकों ने अपने लंबे समय से लंबित मांगों के लिए दबाव डालने के लिए अपना सर घुटवाने का फैसला किया। यहां तक कि महिला शिक्षक भी विरोध में शामिल हुई और उनमें से कई ने अपने सिर को टकला कराया। कुछ शिक्षक अपने सहयोगियों को सर छिलवाते देख बेहोश हो गए। शिक्षकों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार इस संबंध में उच्च न्यायालय के निर्देश को अनदेखा कर रही है। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग यह है कि उनकी सेवाओं को शिक्षा विभाग के तहत लाया जाय और उन्हें सरकारी कर्मचारियों को दी गई सुविधाएं प्रदान की जाय। वर्तमान में वे स्थानीय निकाय विभाग के तहत हैं। शिक्षकों ने मुख्यमंत्री की पत्नी साधना सिंह को कटा हुआ बाल प्रस्तुत करने की योजना बनाई थी, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री के आवास तक पहुंचने से रोका गया। गौरतलब हो कि पुरानी परंपराओं के मुताबिक, केवल विधवाएं ही अपने सिर को घुटवाती हैं। (संवाद)
मध्य प्रदेश की महिलाएं शराब अहातों को बंद करने के खिलाफ
महिला शिक्षकों ने अपनी मांग मनवाने के लिए बाल घुटवाये
एल एस हरदेनिया - 2018-01-25 11:23
भोपालः मध्य प्रदेश में अजीब बातें हो रही हैं। महिलाओं को आम तौर पर शराब की दुकानें, बार और अन्य ऐसे आउटलेट के खिलाफ माना जाता हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में इसका उलटा हो रहा है। यहां महिलाएं शराब के अहातों को बंद करने के सरकार के निर्णय का विरोध कर रही हैं।