इस तरह के हालात में अभी मध्यप्रदेश में हुये उपचुनाव में दोनों सीट पर कांग्रेस की जीत ने साबित कर दिया कि भाजपा के प्रति आमजनमानस का विश्वास पूर्व की भाॅति नहीं रहा । इस तरह के उभरते परिवेश में जहां भाजपा केन्द्र में फिर से 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी के नेतृृत्व में पूर्व की भाॅति बहुमत पा लेने की जो अभिलाषा मन में पाल रखी है, वह निराधार ही दिखाई दे रही है। इस तरह के हालात में इस वर्ष के अंतराल में होने वाले भाजपा शासित तीनों राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ भापजा के हाथ से निकल सकते है। उप चुनावों एवं अभी हाल में हुये भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एवं भाजपा प्रमुख केन्द्र में भाजपा शासित सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृृहप्रदेश गुजरात राज्य में हुये विधानसभा के परिणाम इस बात के द्योतक रहे है कि भाजपा की वर्तमान कार्यशैली को देश की जनता नकार चुकी है, जिसके कारण इन चुनावों में भापजा को वह जनाधार नहीं मिला जो शुरू - शुरू में मिला था। इसकी वजह से देश भर मे मोदी की तूती बोलने लगी थी।

भाजपा के इस तरह के उभरते हालात के लिये उसकी आर्थिक नीतियां एवं कार्यशैली है जिसे देश की आम जनता नकार चुकी है। जिस तरीके से देश की आमजनता पूरे देश में भाजपा से विगत 4 वर्ष पूर्व से जुड़ती गई, जहां भाजपा नेता नरेन्द्र मोदी में एक नया विश्वास जागृृत हुआ और देशभर में मोदी की आंधी चल पड़ी, जिसके कारण भाजपा लोकसभा की अपने इतिहास में सर्वाधिक सीट पाकर देश की एक नं. की पार्टी ही केवल नही बनी बल्कि देश के अन्य राज्यों में हुये विधानसभा चुनाव में भी अपना विजय पताका लहरा दिया । देश की आमजनता ने तकलीफ सहकर नरेन्द्र मोदी सरकार के हर निर्णय का स्वागत इस विश्वास के साथ किया कि देश से भ्रष्टाचार मिटेगा, महंगाई कम होगी, बंद पड़े उद्योग चलेंगे, नये उद्योग खुलेंगे, बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलेगा।

पर आज तक कुछ हाथ नहीं लगा । बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने की केन्द्र एवं भाजपा शासित राज्य सराकर की सारी की सारी घोषणाएं थोथी साबित हुई। बेरोजगार युवाओं को न तो केन्द्र सरकार रोजगार दे पाई न भापजा शासित राज्य सरकारें । नोटबंदी एवं जीएसटी से आमजन की परेशानियां ही बढ़ी। केवल छलावे की राजनीति होती रही जिसे बदलने के लिये आम जनता ने सत्ता परिवर्तन किया था। यहां बैंक लूट कर लूटेरे देश छोड़ भागते रहे। केन्द्र सरकार इस तरह के हालात का दोष पूर्व कांग्रेस सरकार के मथ्थें मढ़ अपनी जवाबदेही से पीछे़ भाग रही है । इस तरह के हालात ने देश की अस्मिता पर चोट किया है। जिसके कारण आज उसी नेतृृत्व के प्रति देश की आमजनता उदासीन नजर आने लगी है। इस तरह के बदलते परिवेश आगामी चुनावों को प्रभावित करेंगे ।

भाजपा नेता एवं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कुशल नेतृृत्व के धनी होने के साथ- साथ अच्छे वक्ता भी है, जिनकी अभिव्यक्ति ने पूरे देश को ही नहीं विश्व के अनेक देशों को भी आकर्षित कर लिया। अपनी इसी अभिव्यक्ति के चलते विदेशों में भी आज ये चर्चित बने हुये है। विदेशों में आज तक के इतिहास में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सर्वाधिक यात्राएं हुई है जहां आतंकवाद के मसले पर विश्व के अनेक देशों को अपने साथ लेने का प्रयास किया और कुछ हद तक सफल भी रहे । देश में गांधी जयन्ती पर घोषित सफाई अभियान का सपना धीरे - धीरे साकार नजर आने लगा है जहां देश का हर नागरिक इस पहलू को समझने लगा है। इस दिशा में ये सफल तो रहे है पर केवल इसी से तो देश नहीं चलता ।

देश में रोजगार देने वाले उद्योग रहे नहीं, इस दिशा में सरकार बिल्कुल मौन है। अन्नदाता किसान मुनाफाखोरों के चंगुल में फंसे है जिसे केवल झांसा ही सरकार की ओर से मिलता दिखाई दे रहा है। बाजार पर अभी भी मुनाफाखोरों का वर्चस्व है। शिक्षा एवं चिकित्सा सेवाएं आमजन से दूर होती जा रही है। देश के उद्योगपति विदेशों में उद्योग लगाते जा रहे है और बेईमान बैंक को लूट कर विदेश में पनाह ले रहे है। सीमा पर निर्दोष लहू बह रहा है। इस तरह के अनेक सवाल सामने है जिनका आमजनता समाधान सरकार से चाहती है। समाधान न मिलने पर जनाक्रोश उभरता है जो सत्ता परिवर्तन का कारण होता है। वर्तमान की भाजपा सरकारें आमजन के इस पैमाने पर खरा नहीं उतर पा रही है। (संवाद)