इस महाअधिवेशन की शुरूआत बंदे मातरम के साथ विधिवत ढंग से कांग्रेस के नये अध्यक्ष राहुल गांधी ने झंडारोहण कर के किया जिससे कांग्रेस की पारम्परिक परम्परा का निर्वहन एवं पार्टी के प्रति वफादारी की झलक मिलती दिखाई दी। महाधिवेशन के अंतिम दौर में कांग्रेस के सामने खड़ी चुनौतियों से संघर्ष कर आम जनता का विश्वास हासिल करने पर अध्यक्ष राहुल गांधी ने जोर दिया।

महाधिवेशन के शुरूआती दौर में कार्यकर्ताओं के बीच केन्द्र सरकार के खिलाफ तैयार की गई बुकलेट को वितरित कर आगामी चुनाव में कांग्रेस को पूर्ण सफलता दिलाने की पृष्ठिभूमि की रणनीति पर विचार विमर्श हुआ। महाअधिवेशन में इस बार कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के वक्तव्य में सरकार पर तीखे प्रहार के साथ गंभीरता नजर आई जहां वे भविष्य में कांग्रेस को नये सिरे से खड़े होने में सफल नायक बनते नजर आ रहे थे ।

शुरुआती संबोधन में वर्तमान सरकार को देश को बांटने वाला एवं कांग्रेस को जोड़ने वाला बताकर एवं अंतिम दौर में कार्यकर्ताओं को एकजूट होकर कार्यकरने की सलाह देते हुए पार्टी के वरिष्ठ कार्यकताओं एवं आम कार्यकर्ताओ के बीच उभरती दरार को पाटने का वक्तव्य परिपक्व विचार की पुष्टि करता है। महाअधिेवेशन में राहुुुुुुल की छवि नई उभरती दिखाई दी जहां वे आत्मविश्वास के साथ केव्द्र सरकार की नीतियों पर तीखे प्रहार करते देखे गये।

महाअधिवेशन में पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी सरकार पर प्रहार करते हुए पूरे समय तक राहुल का मार्गदर्शन करती रही। देशभर से कांग्रेस कार्यकर्ताओं की विशाल उपस्थिति में कांग्रेस का यह महाअधिवेशन वर्ष 2019 में होनेवाले लोकसभाचुनाव में पूर्णरूपेण जीत का मिशन बना जो भाजपा के लिये चुनौती भी है।

फिलहाल कांग्रेस का ग्राफ गिरता ही जा रहा है जहां देश की सर्वोपरि रहने वाली पार्टी आज हासिये पर खड़ी नजर आ रही है। इस तरह के हालात में कांग्रेस का यह महाअधिवेशन काफी महत्वपूर्ण है, जो कांग्रेस के गिरते मनोबल में संजीवनी का कार्य कर सकता है। वर्तमान हालत में देश में मोदी का बढ़ता वजूद घटता नजर आ रहा है जहां उपचुनाव में भाजपा की सीट दिन पर दिन कम ही होती जा रही है।

जिन उम्मीदों के साथ देश की जनता ने कांग्रेस का दामन छोड़ मोदी के नेतृत्व में भाजपा को भारी जनमत देकर केन्द्र की सत्ता संभाली, अंततः निराशा ही हाथ लगी। देश में न तो युवाओं को रोजगार मिला न ही देश के अन्नदाता ही निहाल हुए। कालाधन तो विदेश से आजतक नहीं आया ,देश से भ्रष्टाचार कम भी नहीं हुआ । नोटबंदी एवं जीएसटी से देश ंकी आमजनता परेशान ही हुई। सरकार की आर्थिक नीतियों से न तो देश का युवा वर्ग खुश है, न आम जनता ही संतुष्ट हैं। एनडीए के सहयोगी दल एक एक करके साथ छोड़ते जा रहे है।

इस तरह के हालात कांग्रेस के लिये बेहतर पृष्ठिभूमि उभार सकते है वशर्ते कांग्रेस महाअधिवेशन के माध्यम से आम जन तक यह संदेश पहुंचा सके कि आने वाले समय में देश में पहले की तरह रोजगार देने वाले नये उद्योग खड़े किये जायेंगे,बंद पड़े उद्योग चालू कर दिये जायेंगे, किसानों के ़कर्ज माफी के साथ - साथ फसलों के उचित मुवावजे की व्यवस्था की जायेगी, आर्थिक मोड़ पर आम आदमी को राहत मिलेगी एवं मुनाफाखोरों के चंगुल से देश आजाद हो जायेगा।

महाअधिवेशन में शिक्षा, रोजगार, अर्थव्यवस्था एवं सुरक्षा को लेकर चर्चा अवश्य शामिल की गई है पर इन विषयों पर की गई चर्चा आम जन को कितना विश्वास दिला पाती है। कहीं महाधिवेशन में की गई चर्चा पूर्व सरकारों की तरह केवल जुमलेबाजी बनकर न रह जाय, इस बात का भी भय आम जनता के मन में समाया हुआ है। नई आर्थिक नीतियों के कारण देश की अवाम कांग्रेस एवं भाजपा को एक जैसा ही मानती रही हैं। जनता का विश्वास जीतने के लिये कांग्रेस को अपने पुराने समाजवादी दृष्टिकोण को जागृत करना होगा।

देश में वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव होने है, इससे पूर्व वर्ष के दौरान राज्यों के विधानसभा चुनाव भी है। लोकसभा चुनाव से पूर्व होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम लोकसभा चुनाव को पूर्णरूपेण प्रभावित करे्रंगे। कांग्रेस को वर्ष 2019 के मिशन पर सफलता पाने से पूर्व विधानसभा चुनावों में ही मोदी के नेतृत्व में बढ़ते भाजपा के कदम को रोकना होगा तभी महाअधिवेशन का लक्ष्य पूरा हो सकेगा। इसके लिये कांग्रेस को अपने पुराने सक्रिय नेताओं को सामने लाने का प्रयास करना हितकर साबित हो सकता है। (संवाद)