सरकारी स्तर पर नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में लगातार नए टीके को जोड़ा जा रहा है, जिससे कि विभिन्न बीमारियों से बच्चों को बचाया जा सके। पिछले कुछ सालों में पेंटावेलेंट, आईपीवी और रोटा वायरस को सार्वजनिक टीकाकरण कार्यक्रम में जोड़ा गया। अब इस कड़ी में राष्ट्रीय स्तर पर पीसीवी टीके को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में जोड़ा जा रहा है। पीसीवी यानी (न्यूमोकोकल काॅन्ज्यूगेट वैक्सीन) से बच्चों को निमोनिया एवं दिमागी बुखार से बचाया जा सकेगा।

मध्यप्रदेश में एक साथ पूरे राज्य में पीसीवी टीकाकरण को लॉन्च किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर देश के अलग-अलग राज्यों के कुछ-कुछ जिलों एवं बिहार व हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों का चयन इसके लिए किया गया है। पूर्व में टीकाकरण के सफल अभियान के इतिहास को देखते हुए मध्यप्रदेश के सभी 51 जिलों को इसके लिए चयन किया गया है। पीसीवी पिछले 10 सालों से निजी क्षेत्र में उपलब्ध था, जिसकी लागत बहुत ज्यादा होने से गरीब लोग इसे नहीं लगवा पाते थे। अब यह सरकार के नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में सभी बच्चों को निःशुल्क उपलब्ध होगा।

मध्यप्रदेश में इसकी तैयारी को लेकर अलग-अलग स्तरों पर प्रशिक्षण एवं कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है। यूनिसेफ, यूएनडीपी, डब्ल्यूएचओ एवं मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में कई तैयारियां की है। अपनी-अपनी विशेषज्ञताओं के माध्यम से ये एजेंसियां नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में सहयोग कर रही हैं। यूनिसेफ द्वारा संचार कार्यशालाओं के माध्यम से जागरूकता की पहल की जा रही है। यूनिसेफ के संचार विशेषज्ञ अनिल गुलाटी के अनुसार प्रदेश में संपूर्ण टीकाकरण के कवरेज को बढ़ाने के लिए संचार के विभिन्न तरीकों को अपनाया जा रहा है, जिसमें सोशल मीडिया भी शामिल है। यूएनडीपी के सहयोग से टीकाकरण प्रक्रिया की माॅनिटरिंग की जा रही है। विभिन्न स्तरों पर पीसीवी टीके से जुड़ी कई तकनीकी पहलुओं एवं प्रदेश में टीकाकरण की स्थिति के बारे में जानकारी दी जा रही है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्यप्रदेश के संचालक एस. विश्वनाथन का कहना है कि प्रदेश में बाल मृत्यु दर में 5 प्वाइंट एवं शिशु मृत्यु दर में 3 प्वाइंट की गिरावट पिछले साल आई है, इसमें टीकाकरण कार्यक्रम के बेहतर क्रियान्वयन भी एक महत्वपूर्ण कारक है। राज्य टीकाकरण अधिकारी डाॅ. संतोष शुक्ला का कहना है कि अब हितग्राहियों को एक टीकाकरण कैलेंडर मुफ्त में दिया जा रहा है, जिससे उन्हें टीकाकरण के बारे में जानकारी मिलती है। प्रदेश में एक रिमाइंडर एप्प पर भी काम चल रहा है, जो टीकाकरण के लिए हितग्राही को रिमाइंड कराने का काम करेगा। यूनिसेफ, मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य विशेषज्ञ डाॅ. वंदना भाटिया का कहना है कि अब 10 टीका नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल हो गए हैं। नया पीसीवी टीका डेढ़ माह, साढ़े तीन माह और नौ माह पर बच्चों को लगाया जाएगा। इससे निमोनिया और दिमागी बुखार से बच्चों को बचाया जा सकेगा, जिससे उनकी मृत्यु दर में गिरावट आएगी।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में एसआरएस रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में 2016 में शिशु मृत्यु दर 47 प्रति हजार बच्चे और बाल मृत्यु दर 55 प्रति हजार बच्चे है। एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में हर साल निमोनिया के कारण 5 साल से कम उम्र के 13400 बच्चों की मौत हो जाती है। निमोनिया एक संक्रामक बीमारी है, जो पूरी दुनिया में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में संक्रामक बीमारियों से होने वाली मृत्यु में सबसे बड़ा कारण है। बच्चों में निमोनिया होने का खतरा कई कारणों से बढ़ जाता है, जैसे - कुपोषण या किसी दूसरी बीमारियों के कारण उनकी प्रतिरोधक क्षमता का कम हो जाना। गरीबी एवं इलाज न मिल पाने से बच्चों की मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। उम्मीद की जा रही है कि सीपीवी को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल होने के बाद निमोनिया एवं दिमागी बुखार से बच्चों की मौत नहीं होगी। (संवाद)