रेलमंत्री ने अपने बजट में कई ऐसी योजनाओं को शुरू करने की बात कही है जो उनके मंत्रालय के क्षेत्र से अलग नजर आती है। योजना आयोग से अनुमति मिलने की आशा में किए गए रेल बजट के कई प्रावधानों से रेल मंत्री के इरादे पर प्रश्नचिन्ह भी लगने शुरू हो गए हैं।प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने इसपर ऐतराज भी जताना शुरू कर दिया है।
यूपीए सरकार के पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल के बारे में सफेद पत्र जारी करनी वाली ममता ने लालू के पदचिन्हों पर चलते हुए अपने मन मुताबिक रेल बजट प्रस्तुत किया है। उन्होंने यात्रियों, महिलाओं, तीर्थयात्रियों, रेलवेकर्मिओं समेत अपने राज्य की जनता को भी बजट में कई तोहफे दिए हैं। ममता ने रेलवे की सीमा लांघ कर स्वास्थ्य, शिक्षा, खेल, वाणिज्य, कला व संस्कृति जैसे क्षेत्रों से संबंधित योजनओं की घोषणाएं की है।
पहली बार क्षेत्रीय फिल्म उद्योग क तकनीशियनों को रेलवे टिकट में रियायत दी गयी है। वही तीर्थयात्रियों के लिए भारत तीर्थ नामक विशेष पर्यटक गाड़ियां, जो सभी धार्मिक समुदायों के प्रमुख तीर्थ स्थलों से गुजरेंगी,चलाने का प्रावधान इस बजट में किया गया है। ममता ने पश्चिम बंगाल केंद्रीत रेलवे की कई नई रेल गाड़ियां चलाने तथा परियोजनाओं की घोषणा की है।कोलकाता मेट्रो, संस्कृति एक्सप्रेस, पूरी-हावड़ा, हावड़-दीघा दो दुरंतो गाड़ियां, कई पैसेंजर गाड़ियां, कल कारखाने खोलने जैसे बजट में अनेक किए प्रावधान इस बांत को इंगित करती है कि ममता पश्चिम बंगाल विधानसभा के चुनाव की तैयारी मे लग गयी है। ममता ने इस बजट में आम के साथ साथ खास यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए भी कई घोषणाएं की है। मसलन, आरक्षण टिकट जारी करने के लिए ई आधारित मोबाइल वैनें शुरू करने के अलावा जिला मुख्यालयों तथा गांव पंचायतों में टिकट केंद्र खोलने का प्रस्ताव भी बजट भी किया है। उन्होंने 94 रेलवे स्टेशनों को आदर्श स्टेशन तथा 10 और स्टेशनों को विश्वस्तरीय स्टेशन के रूप में परिवर्तित करने की घोषणा की है।
ममता बैनजी की रेल बजट में किए गए लीक से हट कर प्रावधानों पर प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी को मुंह खोलने का मौका भी दे दिया है।
लोकसभा में उप नेता विपक्षा गोपीनाथ मुंडे ने बजट पर पार्टी की प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पिछले बजट की एक मात्र उपलब्धि एक श्वेत-पत्र प्रकाशित किया जाना है।जिसने यह साबित किया कि संप्रग प्रथम के दौरान रेलवे का लाभ अर्जित करने तथा सुधार लाने का दावा पूरी तरह बोगस तथा कूटरचित था। वर्तमान बजट उनके अपने गत वर्ष के वायदों पर निष्पादन का आंकलन करने के बजाय अन्य नए वायदे लेकर आया है, जिनमें स्पोर्ट एकेडेमी स्थापित किया जाना, कर्मचारियों के बच्चों के लिए 20 हॉस्टल, 10 इको-पार्क और 381 निदान केन्द्र स्थापित किया जाना शामिल है। भारतीय रेलों के विस्तार के बारे में इस बजट में न कोई व्यापक विज़न है और न ही कोई नीति है। गत वर्षों के प्रत्येक रेलवे बजट में विश्व स्तरीय स्टेशन बनाने का वायदा किया गया था। इस दिशा में एक भी स्टेशन को इस दृष्टि से सुधारा नहीं गया।गत वर्ष प्रधानमंत्री ने रेलों को एक आनंददायी अनुभव बनाने का वायदा किया था। वर्ष भर में ऐसा कुछ भी नहीं किया गया।
श्री मुंडे ने कहा कि इस वर्ष विश्व में रेलवे के विशालतम नेटवर्क के लिए यात्री सुविधाओं में सुधार लाने के लिए मात्र 1302 करोड़ रूपए निर्धारित किए गए है। इसके बजाय छह मिनरल वाटर बोटलिंग प्लांट लगाने का वायदा किया गया है। ममता जी का फोकस उन क्षेत्रों पर है, जो रेलवे के मुख्य कार्यकलापों का हिस्सा नहीं है। उनका सारा फोकस नॉन कोर क्षेत्रों पर है। रेलवे परिचालन सुरक्षा के लिए भी कोई प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया गया है। इस प्रयोजन के लिए संसाधन भी नहीं जुटाए गए है। ममता का बजट रेल छोड़ कर दूसरे मंत्रालय में हस्तक्षेप करता लगता है।
भारत: रेल बजट 2010-2011
आश्वासनों और घोषणाओं से भरपूर है ममता का पश्चिम बंगाल केंद्रित रेल बजट
एस एन वर्मा - 2010-02-24 12:35
नई दिल्ली। रेल मंत्री ममता बनर्जी ने अपने दूसरे रेल बजट में भी यात्री भाड़े में कोई वृद्धि नहीं करके मंहगाई की मार से त्रस्त जनता को सकून पहुंचाया है।ममता ने रेलवे में निजीकरण को बढ़ावा देते हुए अनेक ऐसी लोकलुभावन घोषणाएं की हैं जो सहज ही पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने वाली दिखती है।