स्वतंत्रता उपरान्त ही भाषा, क्षेत्र, जाति आदि के नाम स्वयंभू तŸवों द्वारा अपने हित में देश को बांटने की साजिश यहां सदा चलती रही है। वह आज भी जारी है । देश में आज भी जारी गतिविधियां इसी तरह के परिवेश का ही प्रमुख भाग है ,जहां भाषा, जाति के नाम स्वहित की राजनीति में देश को अलग थलग करने की सोची समझी राजनीति क्रियाशील है जहां के विकास में सभी हिन्दुस्थानीयों का येगदान है। इसीलिये उनमें आज वर्ग विभेद कर अलग थलग करने की राजनीति करना सर्वदा ंअनुचित कदम है। पाकिस्तान, बंगला देश, श्री लंका , नेपाल, भूटान जो कभी इसी देश के प्रमुख अंग रहे है, वे आज अलग - थलग दिखाई दे रहे है, तथा इस अलगाव का विदेशी हुकुमतंे किस तरह फायदा उठा रही , सभी भलीभॅाति परिचित है। स्वहित की राजनीति कभी भी राष्ट्र का भला नहीं कर पाई है। इस परिवेश से उभरे हालात चारों ओर अशांत वतावरण पैदा करने के साथ - साथ आपस की दूरियां भी बढ़ाते एवं नफरत को पनपाते है। इससे कभी भी किसी का भला नहीं हुआ है। आज यह देश किसी एक का नहीं, सभी का है। देश के किसी भी भाग में जाने, रहने एवं काम करने का अधिकार सभी भारतवासियों को है, जिससे वंचित करना संवैधानिक अपराध के तहत माना जा सकता है। पर स्वहित की राजनीति की तहत क्षेत्रवाद की बू पैदा कर देश को बांटने की प्रकिया आज भी जारी है।

पूर्व के इतिहास पर नजर डालें जहां सियासती राज्य अपने अस्तित्व में थे। एक दूसरे को नीचा दिखाने एवं अपने अधीन किये जाने की जो कुटनीतिक चालें चली जाती थी, सभी भलीभाॅति परिचित है। इस तरह के परिवेश से जुड़े लोग आज भी है जो समय- समय पर यहां क्षेत्रवाद ,भाषावाद ,जातिवाद का विषैला जहर फैलाकर अपने स्वार्थ की रोटी सेंकने में विभिन्न रूप में अपनी गतिविधियां जारी किये हुए है, जिनसे राष्ट्र की एकता को सदा खतरा बना हुआ है। पूर्व के अलग - अलग सियासती राज्यों को खत्म कर एक देश का स्वरूप देकर ही यहां अंग्रेज वर्षो तक राज्य करने में सफल रहे, जिन्हें भगाकर स्वाधीन भारत का स्वरूप हासिल करने में देश के सभी भागों के लोगों का अमूल्य योगदान रहा है, जिसे किसी भी कीमत पर भुलाया नहीं जा सकता। आजादी के साथ ही स्वहित से जुड़े कुछ लोगों के चलते भारत के टूटन के असहनीय दर्द का जो अहसास हमें हुआ है उसे आज तक नहीं भूल पाये है तथा समय- समय पर यह टीस किसी न किसी रूप में अभी भी मिल रही है। यदि सियासती राज्यों का पूर्व में अलग - अलग स्वरूप कायम नहीे हुआ होता तो विदेशी यहां अपना पैर जमाने में कभी भी सफल नहीं हो पाते। इसी तरह स्वाधीनता उपरान्त यदि पाक नहीं बना होता तो आज अखंड भारत विश्वपटल पर सर्वोपरि शक्ति उभर कर सभी के सामने आता। आज भारत से पाक के अलग होने से जो विषम विपरीत परिस्थितियां उभर कर सामने आ रहीं है, जिसे भलीभाॅति देखा व परखा जा सकता है। इसी कारण आज देश में अलगाववादी प्रवृृतियां, अहितकारी गतिविधियां सबसे ज्यादा पनाह पा रही है, जिससे देश की एकता और अखंडता को खतरा बना हुआ हैं। इस तरह के हालात से हम सभी को सबक लेना चाहिए।

इस देश की भाषा सीखने का अधिकार सभी को है। यदि कोई किसी प्रांत की भाषा जानने या सीखने का प्रयास करता है, तो उस प्रांतवासी को तो विशेष खुशी होनी ही नहीं चाहिए, बल्कि इस प्रयास में उसे भी बढ़ चढ़ कर भाग लेकर उसकी पूरी मदद करनी चाहिए। देश की प्रचलित भाषाओं को सभी भारतवासियों को सीखना ही चाहिए, जिससे एक दूसरे सेें संवाद स्थापित करने में सुविधा हो सके। खान- पान , पहनावा में भी एकरूपता झलके तो बहुत ही अच्छी बात हैै। इससे देश की एकता स्थापित करने में काफी हद तक सहयोग मिल सकता है। तब कोई विदेशी ताकत हमारे लिए कभी घातक नहीं बन सकेगी।

आज इस देश को स्वाधीनता हजारों कुर्बानियों के बाद बहुत मुश्किल से मिली है जिसमें सभी का सहयोग है। जिसे जाति, भाषा, क्षेत्र के नाम अलग थलग करने का प्रयास कतई नहीं करना चाहिए एवं जो इस तरह की प्रकिया में शामिल है उसका विरोध हर पैमाने में किया जाना चाहिए। लोकतंत्र में विरोध जताने का अधिकार सभी को है पर इसके पुराने तौर तरीके को बदला जान चाहिए जिससे देश को नुकसान किसी भी तरीके से नहीं पहुंचे । यह देश अपना है किसी और का नहीं, इस तथ्य को सही मायने में समझना राष्ट्रहित में जरूरी है। (संवाद)