अभी हाल ही अमेरिका एवं उत्तर कोरिया के बीच बहुत दिनों तक वाक युद्ध होता रहा जिसमें उत्तर कोरिया का प्रधान शासक किंम जौंग उन के धमकी भरे बाण किसी खतरनाक हथियार से कम नहीं रहे जिसके चलते किंम जौंग को सनकी तानाशाह तक की उपाधि मिल गई। ऐसा लगने लगा कि अमेरिका एवं उत्तर कोरिया के बीच कभी भी विनाशक युद्ध हो सकता है पर अब बात टल गई। दोनों देश इससे महाविध्वंशक स्थिति को समझ गये जिससे फिलहाल तनाव की स्थिति कम हो गई।
पर अब अमेरिका एवं सीरिया के बीच सैन्य कार्यवाही शुरू हो गई, जिससे दोनों मे तनाव बढ़ता जा रहा है। उसके इस कार्यवाही का रूस विरोध करता नजर आ रहा है । इधर चीन भारत सीमा पर अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करता दिखाई दे रहा है। इस तरह के हालात में कौन कब कहां टकरा जाय, कह पाना मुश्किल है। इस तरह के परिवेश से तीसरे विश्व युद्ध के हालात बनते नजर आ रहे है जहां आने वाले समय में सभी एक दूसरे से कहीं टकरा न जाय पर सब मिलाकर देखा जाय तो उभरते हालात विश्व स्तर पर मानवता के हित में नहीं हो सकते।
एक तरफ आज परमाणु एवं खतरनाक रसायनिक हथियारों का जमवाड़ा विश्व के सभी देशों के पास है तो दूसरी ओर विश्व के कई देश इन खतरानाक हथियारों की खरीद फरोक्त में संलग्न है। इस तरह के परिवेश में ये खतरनाक हथियार मानवता के दुश्मन आतंकवादियों के पास भी विशाल मात्रा में उपलब्ध है जो ज्यादा अहितकारी है। इनके विध्वंश परिणाम समय - समय पर हर जगह देखने को मिल ही रहे है जिससे अघोषित युद्ध की स्थिति हर समय बनी दिखाई देती है। आतंकवाद से विश्व का हर देश प्रभावित है और इन आतंकवादियों के पास हथियार एवं खतरनाक बम विश्व के देशों के पास से ही पहुंच रहे है। यानि विनाश के संसाधन एवं मार्ग दोनों को हमसभी खुद ही तैयार कर रहे है।
आतंकवाद अपने आप में अघोषित युद्ध हो गया है जिसका छद्म रूप युद्ध से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है। आये दिन विश्व का कौन सा प्रभाग इसके चंगुल का शिकार हो जाय, कह पाना मुश्किल है। विश्व के अनेक देशों के भीतरी भाग में घटित आतंकवादी घटनाएं, युद्ध से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। इस तरह के विनाशकारी परिवेश से आज हम कहीं भी अछूते नहीं रह गये हैं। जब से शांति पहल एवं पड़ोसी देश पाक से बेहतर संबंध बनाने की दिशा में सदियों से बंद पड़े रास्ते खोल दिये गये तब से हमारे देश के भीतरी भाग में आतंकवादी गतिविधियां सर्वाधिक सक्रिय होती दिखाई देने लगी है।
देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली जाली नोटों का देश में बड़े पैमाने पर विस्तार होता गया। इस तरह के निर्णय देश के हित में अहितकारी ही साबित हुए। जब-जब यह द्वार खुला है आतंकवादी घुसपैठियों की जमात देश के भीतरी तह तक आसन जमाती गई हैं। दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद, मुम्बई जैसे अनेक चर्चित शहर तो इसके शिकार हो होते रहे हैं, देश की सर्वोच्च अस्मिता संसद भी इस तरह के परिवेश से अछूती नहीं रही है। जब संसद ही सुरक्षित नहीं रही है तो हम सब कहां तक सुरक्षित हैं, विचारणीय मुद्दा है।
आखिर इस तरह की घटनाएं कब तक घटती रहेगी, इस पर गंभीर मंथन की आवश्यकता है। इस तरह के उभरते हालात विश्व पटल पर नजर आ रहे जहां अनेक देश युद्ध के कगार पर खड़े दिखाई दे रहे है। विश्व में फैले आतंकवादी गिरोह पहले से विध्वंशक मानसिकता को मन में बिठाये अवसर की तलाश में है पर अभी भी विश्व के अनेक देश जो खतरनाक हथियारों के विनाशक प्रभाव को अच्छी तरह से पहचान पा रहे है , आपसी तनाव को दूर करने के प्रयास में किसी न किसी रूप में सक्रिय अवश्य है जिसके वजह से फिलहाल उभरती तीसरे विश्व युद्ध स्थिति टल सकती है जिस तरह अमेरिका एवं उत्तर कोरिया के बीच सामंजस्य स्थापित हो सका वैसे ही अमेरिका एवं सिरिया के बीच भी आपसी तालमेल बैठ सकता है।
आज विश्व के सभी देश भलीभाॅति इस सच्चाई के करीब है कोई किसी से कम नहीं, सभी के पास एक से बढ़कर एक खतरनाक विनाशकारी आयुद्ध है जिनके परिणाम सभी के लिये अमंगलकारी है। तीसरे विश्वयुद्ध की ओर बढ़ते कदम मानवता के लिये महाविनाशक हो सकते है । आज यहीं सोच फिलहाल विश्व को तीसरे विश्वयुद्ध से दूर रख सकती है। (संवाद)
क्या हम तीसरे युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं?
यदि यह युद्ध हुआ तो तो फिर महाविनाश ही होगा
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-04-26 10:58
आज फिर से विश्व की महाशक्तियां एक दूसरे को चुनौती देने लगी है जिससे तीसरे विश्वयुद्ध की स्थितियां बनती नजर आने लगी है जिसका स्वरूप पहले से भी कहीं ज्यादा भयानक एवं विध्वंशक हो सकता है। दूसरे विश्वयुद्ध की भयानक स्थिति को नकारा नहीं जा सकता जिससे विश्व के प्रभावित देश जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी आज तक नहीं सुधर सके। वहां आज भी उसके विकृृत प्रतिकूल प्रभाव जन्म लेने वाली पीढ़ियों पर देखा जा सकता । आज जबकि पहले से कहीं ज्यादा मानव अहितकारी विध्वंसक परमाणु से लेकर रसायनिक हथियार सभी के पास विशाल मात्रा में पड़े है, जो सभी के लिये खतरे की घंटी बने हुये है। जब इस तरह के हथियारों की गूंज हवा में टकरायेगी, मानवता का विनाश होना निश्चित है, जहां किसी के बचने की कहीं गुंजाईश नजर नहीं आती ।