यह कार्यक्रम पिछले 14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती पर शुरू किया गया था और 5 मई को समाप्त भी हो गया। इसके तहत वरिष्ठ मंत्रियों, पार्टी के सांसदों और विधायकों से गांवों में चैपाल रखने और वहां रहकर दलितों के साथ भोजन करने के लिए कहा गया था। उनसे उम्मीद भी कुछ वैसी ही की जा रही थी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उस समय खुद चैंक गए जब प्रतापगढ़ के गांव में उनके दो दिवसीय प्रवास के दौरान लोगों ने शिकायत की कि केंद्र और राज्य की सरकारी योजनाएं उन तक नहीं पहुंच पाई हैं। योगी ने तुरंत वरिष्ठ अधिकारियों को मंच पर बुलाया और उनसे ग्रामीणों को जवाब देने के लिए कहा। वह स्थानीय अधिकारियों से बहुत नाराज थे और उनके खिलाफ कार्रवाई का आदेश भी दिया।
यही कहानी उन अन्य स्थानों पर दोहराई गई, जहां ग्रामीणों, विशेष रूप से दलितों ने मंत्रियों और बीजेपी नेताओं से मिलने पर शिकायत की कि उनके लिए बनी योजनाएं सरकारी दावों के विपरीत गांवों तक नहीं पहुंच पाई हैं। सरकार और पार्टी यह रिपोर्ट पाकर शर्मिंदा थी कि कुछ मंत्रियों और नेताओं ने ग्राम स्वराज योजना को दलित पर्यटन के रूप में लिया।
ऐसी खबर भी आईं कि मंत्री सुरेश रैना ने अपना खाना और पानी बाहर से लिया और मध्यरात्रि में दलित के घर पहुंचे, लेकिन उन्होंने वही खाना खाया जो बाहर से लेकर आए थे और उसके बाद अपनी रात वहीं बिताई। रिपोर्टों के मुताबिक, मंत्री के लिए एक आरामदायक बिस्तर की भी व्यवस्था की गई थी। एक अन्य मंत्री अनुपमा जायसवाल ने कहा है कि बीजेपी के मंत्रियों ने मच्छरों के बावजूद गांवों में रातें बिताई थीं।
कई रिपोर्टें आई हैं कि मंत्रियों ने रात को गांवों में दिए गए लक्ष्य को पूरा करने के लिए रात बिताई, लेकिन सुबह अपने आरामगाह पहुंच गए। कुछ स्थानों पर तो आने वाले बीजेपी नेताओं के लिए नए बर्तनों की व्यवस्था की गई थी।
ऐसी रिपोर्टों से आश्चर्यचकित वरिष्ठ भाजपा सांसदों ने खुलेआम मीडिया में इस योजना के बारे में शिकायत की। उमा भारती, सांसद उदितराज और सावितिबाई फुले ने अपने क्रोध को व्यक्त किया कि कुछ बीजेपी नेताओं ने इस योजना का मजाक उड़ाया। उनका मानना था कि दलितों के साथ भोजन साझा करना और रात उनके घरों में व्यतीत करना दलितों की समस्याओं का समाधान नहीं करेगा।
बीजेपी के नेताओं और रणनीतिकार चिंतित हैं क्योंकि विपक्षी इस मुद्दे को नूरपुर विधानसभा क्षेत्र और कैराना लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव में उठाएगा।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र पांडे ने स्थिति से निपटने के लिए वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक बुलाई और चुनाव जीतने की रणनीति तैयार की, जिसे विशेष रूप से फुलपुर और गोरखपुर उप-चुनाव में हार के बाद पार्टी के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। (संवाद)
ग्राम स्वराज योजना पर नकारात्मक प्रचार से भाजपा चिंतित
यह योजना एक दलित टूरिज्म योजना बनकर रह गई है
प्रदीप कपूर - 2018-05-10 10:28
लखनऊः कर्नाटक में चुनाव अभियान के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहे जो भी दावा करें, उत्तर प्रदेश में दलित तक पहुंच बनाने के उद्देश्य से चलाई जा रही ग्राम स्वराज योजना ने बीजेपी और सरकार के लिए बड़ी शर्मिंदगी की स्थिति पैदा कर दी है।