पाकिस्तान और बंगलादेश की सीमाओं से घुसपैठ, तस्करी और अन्य राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिये सरकार ने इन दोनों सीमाओं पर बाड़ लगाने और तीव्र प्रकाश पऊलड लाइटिंग का प्रबंध करने का काम हाथ में लिया है।
भारत-बांग्लादेश सीमा पर चौकसी
बांग्लादेश के साथ भारत की सीमा 4097 कि.मी. लम्बी है। यह सीमा पश्चिम बंगाल (2216.7 कि.मी.), असम (263 कि.मी.), मेघालय (443 कि.मी.), त्रिपुरा (856 कि.मी.) और मिज़ोरम (318 कि.मी.) के साथ लगी हुई है। यह पूरी सीमा, मैदानी इलाकों, नदी-नालों, पहाड़ियों और जंगलों से होकर गुजरती है और बीच में कोई बड़ी प्राकृतिक बाधा नहीं है। पूरा इलाका घनी आबादी वाला है और सीमा के अन्तिम छोर तक खेती होती है।
बाड़ लगाना
बांग्लादेश से भारत में अवैध रूप से प्रवेश करना सबसे बड़ी समस्या है। सीमा से अवैध रूप से प्रवेश, घुसपैठ, और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को रोकने के लिये सरकार ने दो चरणों में सीमा पर सड़कों के निर्माण और बाड़ लगाने के काम को मंजूरी दी है। भारत-बांग्लादेश की सीमा पर बाड़ लगाने की जो मंजूरी दी गई है, उसकी लम्बाई 3436.56 किलोमीटर है, जिसमें से 2712.81 कि.मी. में बाड़ लगाई जा चुकी है। शेष बची 725 किलोमीटर की सीमा पर बाड़ लगाने का काम जारी है। इस सीमा पर नदियों, निचले इलाकों, सीमा रेखा से 150 गज की दूरी तक आबादी बसी होने और भूमि अधिग्रहण के लम्बित मुकदमों के कारण कुछ क्षेत्रों में बाड़ लगाने में समस्याओं का सामना करना पड़ा है। इससे परियोजना के पूरे होने में देरी हुई है। यूं तो परियोजना के पूर्ण होने की अंतिम तिथि मार्च 2010 निर्धारित है, परन्तु जमीनी समस्याओं के कारण इसमें कुछ समय और लग सकता है।
सीमा पर बाड़ लगाने के अलावा 3330.32 कि.मी. लम्बी सीमावर्ती सड़कों का निर्माण भी किया जा चुकी है जबकि स्वीकृत लम्बाई 4326.24 कि.मी. की है।
पहले चरण के अन्तर्गत पश्चिम बंगाल, असम और मेघालय की सीमा पर बाड़ लगाने का जो काम किया गया था, उसका काफी बड़ा हिस्सा जलवायु जनित विपरीत परिस्थितियों के कारण नष्ट हो चुका है। सरकार ने, पहले चरण में निर्मित कार्य के स्थान पर समूचे 861 कि.मी. में, नए सिरे से बाड़ लगाने के लिये तीसरे चरण के तहत 884 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। यह कार्य केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग, राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम और राष्ट्रीय परियोजना निर्माण निगम को सौंपा गया है। अब तक 494 कि.मी. की लम्बाई में बाड़ दोबारा लगाई जा चुकी है। पूरी परियोजना मार्च 2010 तक पूरी हो जाने की आशा है।
तीव्र प्रकाश
सरकार ने बांग्लादेश की सीमा से लगे 2840 कि.मी. लम्बे क्षेत्र में तीव्र प्रकाश (पूर-प्रकाशतेज रोशनी) की व्यवस्था करने का निर्णय लिया है। पश्चिम बंगाल, मेघालय, असम, मिज़ोरम और त्रिपुरा से लगी सीमा पर कुल 1327 करोड़ रुपये की लागत से तीव्र प्रकाश (पऊलड लाइटिंग) की व्यवस्था की जाएगी। इसमें से मार्गदर्शी परियोजना के रूप में पश्चिम बंगाल में 277 कि.मी. की लम्बाई में तीव्र प्रकाश का प्रबंध पूरा हो गया है। जनवरी 2010 में 50 कि.मी. की लम्बाई वाले इलाके में खम्बे गाड़े जा चुके थे और 30 कि.मी. में केबल (तार) डाले जा चुके थे। यह कार्य केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग, इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट इंडिया लिमिटेड और राष्ट्रीय परियोजना निर्माण निगम को सौंपा गया है। कार्य 2011-12 तक पूर्ण हो जाने की संभावना है।
भारत-पाकिस्तान सीमा पर बाड़ और तीव्र प्रकाश
भारत और पाकिस्तान की जमीनी सरहद की लम्बाई 3323 कि.मी. है। इसमें जम्मू-कश्मीर राज्य की नियंत्रण रेखा भी शामिल है। यह सीमारेखा गुजरात, राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर राज्यों से होकर गुजरती है। भारत-पाकिस्तान सीमा का क्षेत्र विविधताओं से भरा है जिसकी भौगोलिक विशेषतायें स्पष्टतया भिन्न हैं। इस सीमा से आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ और हथियारों तथा प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी के प्रयास होते रहते हैं। ज्यादातर प्रयास नियंत्रण रेखा से होते हैं। भारत-पाक सीमा के चिन्हित 2043.63 कि.मी. लम्बाई वाले क्षेत्र में से 1915.72 कि.मी. लम्बे भाग पर तीव्र प्रकाश का कार्य पूरा हो गया है। कुल 2009.52 कि.मी. की लम्बाई वाली सीमा पर तीव्र प्रकाश की व्यवस्था की जानी है। समूचे पंजाब क्षेत्र में 462.45 कि.मी लम्बाई में बाड़ और तीव्र प्रकाश की व्यवस्था की जानी है, जिसमें से 460.72 कि.मी. में काम पूरा हो गया है। केवल कुछ दरियाई इलाकों में ही काम नहीं हो पाया है। राजस्थान क्षेत्र में भी 1048.27 कि.मी. में बाड़ लगाई जा चुकी है, जबकि 1022.80 कि.मी. तीव्र प्रकाश का काम पूरा कर लिया गया है। केवल कुछ रेतीले और परिवर्तनशील इलाके में काम पूरा नहीं हो सका है। जम्मू क्षेत्र में, 186 कि.मी. लम्बे भाग पर बाड़ लगाने का कार्य पूरा हो चुका है। इसके अलावा 176.40 कि.मी. लम्बे सरहद पर तेज रोशनी की व्यवस्था की जा चुकी है। गुजरात क्षेत्र में सरकार ने बाड़ लगाने, तीव्र प्रकाश और सीमासंपर्क सड़कों तथा सीमा सुरक्षा बल के लिये चौकियों के निर्माण हेतु एक व्यापक प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है। इस क्षेत्र में स्वीकृत 340 कि.मी. के विभिन्न कार्यों में से 219 कि.मी. में बाड़ लगाई जा चुकी है, 202 कि.मी. में तीव्र प्रकाश की व्यवस्था की जा चुकी है और 241 कि.मी. सीमावर्ती सड़कों का निर्माण हो चुका है।
संशोधित लागत
सरकार ने बाड़ लगाने और तीव्र प्रकाश परियोजना को पूरा करने की समय सीमा बढा़ दी है और लागत राशि को संशोधित कर 1201 करोड़ रुपये कर दिया है। पहले कुल 380 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई थी। परियोजना को मार्च 2012 तक पूरा करने का लक्ष्य है।
जम्मू की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर लगाई गई 38.01 कि.मी. लम्बी बाड़ और पंजाब क्षेत्र की सीमा पर 23.38 कि.मी. की लम्बाई में की गई तीव्र प्रकाश की व्यवस्था को वहां से हटाने का फैसला किया गया है ताकि इन सरहदी क्षेत्रों में रह रहे लोग बिना किसी समस्या के अपनी जमीन पर खेती कर सकें। वर्तमान में, जमीन के समतलीकरण, अवरोध खड़े करने और कंटीले तार लगाने का काम प्रगति पर है।
आशा है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं पर बाड़ लगाने और तीव्र प्रकाश की व्यवस्था पूरी हो जाने पर सीमा पर प्रभावी ढंग से चौकसी रखी जा सकेगी। इससे सीमा पार से अवैध रूप से आने-जाने,घुसपैठ और अन्य अपराधों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा। (पीआईबी फीचर्स)
भारतीय सीमा पर बेहतर चौकसी हेतु बाड़ और तीव्र प्रकाश की व्यवस्था
रविन्दर सिंह - 2010-02-26 05:49
पड़ोसी देशों के साथ भारत की सीमायें काफी छिद्रिल यानी भेद्य (पोरस) हैं। सीमा के दोनों और भौगोलिक, प्रजातीय और सांस्कृतिक समानताओं के साथ-साथ भारतीय क्षेत्र में बेहतर आर्थिक अवसरों के कारण निहित स्वार्थी लोगों के लिये अवैध रूप से सीमा पार कर इस ओर आना हमेशा से आकर्षण का विषय रहा है। इन्हीं कारणों के चलते घुसपैठ, तस्करी और सीमाओं के उल्लंघन की घटनाएं, जब तब सुनने में आती रहती हैं। इन असामाजिक तत्वों से सीमा की सुरक्षा के लिये सरकार ने बहुकोणीय रास्ता अपनाया है। बाड़ लगाना और तेज रोशनी करना सीमा पर चौकसी बनाए रखने की व्यवस्था के प्रमुख घटक हैं।