प्राचीन हिन्दू मान्यताएं हैं कि हिमालय पर्वत पर स्थित मानसरोवर से शिव की जटा से निकली पापनाशनी गंगा अनवरत गोमुख , गंगोत्री ,रूद्रप्रयाग, हरिद्वार, इलाहाबाद, वाराणसी होती हुई सभी के पापों को धोती हुई गंगासागर में विलीन हो जाती है। जिसका जल आज भी पवित्रता का अनुपम धरोहर है। उत्तराखंड की पहाड़ियों के बीच से कलरव करती गंगा कहीं पतली, कहीं विशाल स्वरूप धारण करती आज भी सैलानियों का आकर्षण का केन्द्र है। यहां की सर्पनुमा सड़क एवं पगडंडिया भी आकर्षण का केन्द्र है। हिमालय पर्वत के किनारे चीन, तिब्बत एवं नेपाल की सीमा से जुड़ा देवभूमि से विख्यात यह पर्वतीय प्रदेश केदारनाथ, बद्रीनाथ, हेमकुंड, नंदा देवी, अमरनाथ आदि प्रमुख धार्मिक स्थलों का केन्द्रबिन्दु है जहां लाखों दर्शन को दर्शनार्थी प्रतिवर्ष आते है। जिनकी सुरक्षा की जिम्मेवारी प्रदेश सरकार की रहती है।
उत्तराखंड पहाड़ी राज्य की अनुपम मनोरम प्राकृृतिक छटा को देखने एवं मन में घार्मिक भावनाओं को सजोये धर्मिक स्थलों के दर्शन के लिये आने वाले सैलानियों एवं दर्शनार्थियों पर घाटियों में छिपे आतंकवादियों की भी पैनी नजर रहती है, जो इनकी यात्राओं में बाधा पहुंचाने का सदा प्रयास करते रहते है। यहां का भौगोलिक परिवेश भी कुछ ऐसा ही है जहां इस अनुपम सुंदरता में बाधक बनते है। आतंकवादी गतिविधियों के साथ - साथ अचानक आई वर्फबारी, भूकंपन, बादलों का फटना, भूकंप जैसी प्राकृृतिक आपदा यात्रा में बाधक बनती जरूर है पर यहां अनवरत यात्रा जारी है। यात्रा को सुगम बनाने एवं मार्ग में आये व्यावधानों को दूर करने में भारतीय सेना का बहुत बड़ा योगदान है। जो संकट आने पर मार्ग से अवरोध हटाने से लेकर आतंकवादियों पा पैनी नजर रखते हुए यात्रियों एवं सैलानियों को हर प्रकार की मदद पहुंचाती है।
विश्व विरासत में शामिल फूलों की घाटी से अपनी पहचान बनाने वाला यह प्रदेश सैलानियों का मुख्य आकर्षण बन चुका है जिससे वहां पर रह रहे लोगों के जीविका का प्रमुख संसाधन भी उपलब्ध हो जाता है। इस प्रदेश में सैलानियों के भ्रमण एवं तीर्थ यात्रा में धर्मिक स्थलों पर आने वाले तीर्थ यात्रियों के लिये सुविधा का अभाव ही है। यहां खाने - पीने की हर चीज मिल तो जाती है पर महंगी मिलती है। इस दिशा में सरकार की ओर से कोई व्यवस्था नहीं है। सड़के कई जगह सकरी एवं टूटी - फूटी है। जो मार्ग में बाधक होती है।
उŸाराखंड राज्य जब से अलग हुआ है, विकास अवश्य हुआ है। सरकार भी बदलती रही है। पर प्रदूषण की समस्याएं जटिल होती जा रही है। जिसके कारण प्रदेश में बार - बार भूकंप के आने का खतरा बना रहता है। नदियों में भी पानी कम होता जा रहा है। प्रदेश के सीमांचल पर आतंकवाद का खतरा बना हुआ है, जिससे भविष्य में सैलानियों के कम होने की भी संभावना बनी हुई है। इस दिशा में वहीं की सरकार को सकरात्मक कदम उठाने होंगे। इस प्रदेश के लोगों के जीवनयापन का मुख्य आधार ये सैलानी ही है।
हरिद्वार ,रूद्र प्रयाग , जोशी मठ, चमोली, उत्तरकाशाी, नीलकंठ, हेमकुंड, नंदादेवी, गोमुख गंगोत्री, अमरनाथ, केदारनाथ, बद्रीनाथ अनेक तीर्थस्थल इस प्रदेश की रौनक है जहां जाने की हर सुगम व्यवस्था करने का दायित्व वहां की चुनी सरकार के उपर है। नैनीताल, अलमोडा ,मंसूरी यहां के हिलस्टेशन, नेशनल पार्क इस प्रदेश में बार - बार सैलनियों को आने का निमंत्रण देते है। सरकार एवं वहां के निवासियों का पुनीत कर्तव्य बना जाता है कि सैलानियों एवं तीर्थयात्रियों को हर सुविधा मुहैया करायें जिससे अस प्रदेश की शानशौकत बनी रहे। (संवाद)
सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र अनुपम धरा उत्तराखंड
भ्रमण और तीर्थ स्थलों पर बेहतर सुविधा का अभाव
डाॅ. भरत मिश्र प्राची - 2018-06-21 09:16
उत्तराखंड भारत का हरा - भरा प्राकृृतिक सौदर्य से भरपूर पहाड़ी राज्य है जिसकी छटा अपने आप में निराली है। देश की प्रमुख नदियों का यह उद्गम स्थल है, जहां गंगोत्री से गंगा एवं यमुनोत्री से यमुना निकलकर पहाड़ियों के बीच से अपना कलरव करती हुई सदियों से निरंतर बह रही है। उसकी हिन्दू मान्यताएं अपने आप में विशेष महत्व रखती है। हिन्दु गंगा को माता का दर्जा दे रखे है जिसमें स्नान करने एवं जल का पयपान करने से सारे पाप धूल जाते है। आज भी ये मान्यताएं बनी हुई हैं।