वर्तमान में संसद में विपक्ष द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सत्ता पक्ष के साथ कौन - कौन राजनीतिक दल एक साथ खड़े हैं, इसकी पहचान के साथ उसे अपनी वास्तविेक शक्ति की परख भी हो पाई जिसके आधार पर आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष को पटकनी देने की भरपूर तैयारी के साथ एक बार फिर से आम जनमानस को अपने पक्ष में करने की रणनीति बनाने की सफल भूमिका बना सके । इस दिशा में विपक्ष द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव अपने -अपने तरीके से दोनों पक्ष के लिये मददगार साबित हो सकता है। वर्तमान में संसद में सŸाा पक्ष के पास पुर्ण बहुमत होने की स्थिति दिखाई देने के बावजूद सत्ता पक्ष से अभी हाल ही में अलग हुए धड़ा टीडीपी द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के पीछे जिसके साथ समस्त विपक्ष एक साथ खड़ा हो, शक्ति परीक्षण की मानसिकता उभर कर सामने साफ - साफ झलक रही है।

आखिर वहीं हुआ, जिसकी उम्मीद की जा रही थी। संसद में टीडीपी द्वारा सरकार के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से आगामी वर्ष में होने वााले लोकसभा चुनाव को केन्दित करते हुए विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर प्रहार करते हुए वर्तमान सरकार को जन विरोधी बताने का भरपूर प्रयास किया तो सŸाा पक्ष की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं सरकार के पक्ष में अपनी बात रखने वाले संासदों तथा राजनीतिक दलो के प्रतिनिधियों ने सरकार के वर्तमान कार्यकाल को देश एवं आमजन के प्रति सर्वाधिक हितकारी बताते हुये उपलब्धियों का पिटारा खोला जिसे अंत में अविश्वास लाने प्रस्ताव लाने वाले टीडीपी के ही सांसद ने अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष द्वारा सरकार पर लगाये गये आरोपों के संदर्भ में सŸाा पक्ष की ओर से दिये गये जबाब को महज नौटंकी बताते हुए मतदान किये जाने की मांग की। जिसपर अंत में मतदान हुआ।

मतदान के दौरान संसद में 451 सदस्यों में 325 सदस्यों ने सरकार के पक्ष में एवं 126 सदस्यों ने विपक्ष में मतदान किया जिससे अविश्वास प्रस्ताव गिर गया । जबकि संसद में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सत्ता पक्ष में केवल भाजपा के ही 272 सदस्य उपस्थित रहे जो अविश्वास प्रस्ताव को गिराने के लिये काफी थे। इस बात को विपक्ष भी जानता था कि वर्तमान परिवेश में अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सरकार को गिराना संभव नहीं। शिव सेना सहित अनेक दल जो कहीे न कहीं सरकार की नीतियों के विरोधी रहे , अंत में सरकार के पक्ष में होते दिखाई दिये। अविश्वास प्रस्ताव के प्रारम्भ में संसद में 496 सदस्यों की उपस्थिति में विपक्ष में कांग्रेस, टीएमसी , टीडीपी, एवं अन्य सहित 151 के आकड़े होने के अनुमान रहे जिसमें से अविश्वास प्रस्ताव पर हुए मतदान के दौरान केवल विपक्ष को 126 ही मिले , इसी तरह सत्ता पक्ष के पास शिव सेना को छोड़ भाजपा, एलजीपी, एसएडी,एवं अन्य सहित 294 के आकडे़े होने के अनुमान रहेे जो मतदान के दौरान 325 हो गये। निश्चित तौर पर जिसने अपने पत्ते शुरू में नहीं खोले अंत में सत्ता पक्ष के साथ खड़े दिखाई दिये।

अविश्वास प्रस्ताव पर हुुए बहस के दौरान विपक्ष की ओर से कांग्रेस अघ्यक्ष राहुल गांधी ने सŸाा पक्ष को जन विरोधी बताते हुए जुमलों की सरकार की संज्ञा देते हुये कहा कि वर्तमान सरकार के प्रधानमंत्री की बात छोटे दुकानदारों से नहीं केवल सूट - बूट वालों से ही होती है। राफेल डील पर सरकार ने तथ्यों को देश से छिपाया है जबकि कांगे्रस कार्यकाल के दौरान जो डील 520 करोड़ की होनी थी वह वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 1600 करोड़ में की गई। कांग्रेस कार्यकाल में लाई जा रही जीएसटी का विरोध भाजपा ने ही किया था। सरकार ने प्रतिवर्ष 2करोड़ युवाओं को रोजगार देने की जो बात कहीं वो कहीं से भी नजर नहीं आ रहा । कभी पकौडें बनाने तो कभी दुकान खोलने की बातें कर सरकार रोजगार के मामलें में आमजन को भटकाती रही। पीएम चैकीदार नहीं भागीदार है। नोटबंदी का मेसेज कहां से आया ? एमएसपी का नया जुमला किसानों को दिया जा रहा है।

सपा के मुलायम सिंह यादव ने सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि सरकार ने आजतक किसानें को नुकसान ही पहुंचाया है। जम्मू कश्मीर नेशनल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुला ने हिन्दु - मुस्लिम के नाम पर देश को बांटने की प्रकिया पर तत्काल रोक लगाये जाने की मांग करते हुये सरकार पर बटवारे की नीति का आरोप लगाते हुए कहा कि देश के मुसलमान पाकिस्तानी नहीं हिन्दुस्तानी है, मुसलमानों पर शक करने की प्रवृृति पर रोक लगनी चाहिए। विपक्ष के तमाम सवालों का जबाब देते हुये एवं अविश्वास प्रस्ताव को खारिज किये जाने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सभी का चेहरा आज साफ हो गया। विपक्ष का विकास के प्रति विरोध का भाव है, नकरात्मक राजनीति है। सरकार ने हर कदम पर विकास का कार्य किया है। विकास हमारा मूलमंत्र है। देश के 125 करोड़वासियों का साथ हमारे साथ है जिसके कारण आज हमारे पास संख्याबल है और यह कल भी रहेगा । अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा भाषण उपरान्त अपने सीट से उठकर प्रधानमंत्री के पास जाकर गले लगाने की प्रक्रिया पर उपहास करते हुए कहा कि मुझे यहां से हटाने एवं स्वयं बैठने की इतनी जल्दी क्यों ? कुल मिलाकर बहस स्तरहीन था, लेकिन विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के अपने उद्देश्य में सफल रहा। (संवाद)