आधार की अवधारणा मनमोहन सिंह सरकार की देन है, लेकिन इस पर नरेन्द्र मोदी की सरकार बहुत ज्यादा जोर दे रही है। उसे लगता है कि सभी सरकारी सेवाओं और निजी दस्तावेजों से आधार को लिंक कर देने से भ्रष्टाचार बहुत हद तक समाप्त किया जा सकता है। अभी तो व्यक्तियों को आधार नंबर दिए जा रहे हैं। मोदी सरकार की योजना है कि कंपनियों के लिए भी आधार नंबर जारी कर दी जाय, ताकि काॅर्पोरेट सेक्टर में चल रहे भ्रष्टाचार को काबू में किया जा सके।
सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना देश की सभी संपत्तियों को आधार से लिंक कर देना है। ऐसा करने के संकेत मोदी सरकार जबतब देती रहती है, हालांकि यह निश्चय पूर्वक नहीं कहा जा सकता कि नरेन्द्र मोदी इस दिशा में कितने गंभीर हैं, क्योंकि अपने कार्यकाल के चार साल में वे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कभी भी गंभीर नहीं दिखाई पड़े। 500 और हजार रुपये के पुराने नोटों को जब उन्होंने रद्द करने की घोषणा की थी, तब लोगों को पहली बार लगा था कि भ्रष्टाचार के खिलाफ वे कुछ करना चाहते हैं और कर भी चुके हैं, लेकिन बिना सही तैयारी के गलत रणनीति अपना कर उन्होंने नोटबंदी को लागू किया, जिससे लाभ के बदले नुकसान ही हो गया। भ्रष्टाचार घटने के बदले उस दौरान और भी ज्यादा बढ़ा।
बहरहाल, हम चर्चा आधार पर छिड़े संग्राम की कर रहे हैं। इस समय सरकार ने आधार को पैन से लिंक करने का जो आदेश जारी कर रखा है, उसे लेकर ही बहुत बेचैनी उन लोगों के बीच है, जो एक से ज्यादा पैन (आयकर विभाग द्वारा दिया गया परमानेंट एकाउंट नंबर) रखकर न केवल सरकारी राजस्व उगाही को चूना लगाते हैं, बल्कि आपराधिक आर्थिक गतिविधियों में भी लिप्त हैं। उनकी तरफ से ही आधार के खिलाफ अभियान चलाया गया था और फैसले की घड़ी नजदीक आने के साथ उन्होंने अपना अभियान और भी तेज कर दिया है।
यदि सुप्रीम कोर्ट में सरकार यह मुकदमा जीत जाती है, तो आधार के इस्तेमाल को वह और भी व्यापक बनाने की ओर आगे बढ़ेगी। सच तो यह है कि तब आधार के साथ व्यक्ति की जिंदगी जुड़ जाएगी। आधारहीन व्यक्ति अपने अस्तित्व की रक्षा भी नहीं कर पाएगा। इसका विरोध भी इसी को आधार बनाकर किया जा रहा है। कभी इसे जीवन रक्षा के अधिकार से जोड़कर देख रहा है, तो कोई इसे निजता के अधिकार के उल्लंघन से जोड़े जा रहा है। और वैसा कहते समय इससे होने वाले फायदे को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
पिछले दिनों ट्राई के अध्यक्ष आर एस शर्मा ने अपना आधार नंबर जारी कर चुनौती दे डाली कि यदि कोई मेरा नुकसान कर सकते हो तो कर दो। उसके बाद तो इंटरनेट पर हाहाकार मच गया। उनके फोन नंबर, बैंक अकाउंट, पता और परिवार के लोगों के बारे में जानकारियां शेयर की जाने लगी और दावा किया जाने लगा कि उनके आधार नंबर को आधार बना कर ही वे सारी जानकारियां हासिल की गई हैं। हालांकि उनके बारे मंे अनेक जानकारियों तक पहुंचने के लिए आधार नंबर की जरूरत नहीं, फिर भी आधार को सार्वजनिक करने की बात को यूआईडीएआई ने भी गलत माना। सच तो यह है कि आधार नंबर को शेयर किए बिना आधार के इस्तेमाल का एक मेकैनिज्म पहले से ही तैयार कर लिया गया है, जिसके तहत एक 16 डिजिट का अस्थाई नंबर जेनेरेट होता है, जिसे हम आधार नंबर की जगह इस्तेमाल कर सकते हैं और अपने आधार नंबर को गोपनीय भी रख सकते हैं।
इसलिए यह आश्चर्य की बात है कि ट्राई चेरयमैन ने अपना आधार नंबर इंटरनेट पर क्यों शेयर किया। शायद उनको अपने ऊपर अतिविश्वास था। गौरतलब हो कि चेयरमैन आर एस शर्मा आधार के कट्टर समर्थकों में से एक हैं और वे यूआईडीएआई के महानिदेशक भी रह चुके हैं।
श्री शर्मा का विवाद समाप्त ही हुआ था कि एक नया विवाद खड़ा कर दिया गया और वह विवाद आधार हेल्पलाइन के नंबर का लोगों के स्मार्ट फोन की संपर्क सूची में अंकित हो जाने का है। विवाद कुछ इस तरह से चला मानो आधार अथाॅरिटी ने बिना किसी फोन यूजर की जानकारी और सहमति के उसके फोन में अपना नंबर हैक करके डाल दिया हो। यह आधार को बदनाम करने की कोशिश थी और यह छवि बनाने की कोशिश की जा रही थी कि आधार के कारण लोगों के मोबाइल फोन का डेटा भी सुरक्षित नहीं है। यानी जिसने भी आधार नंबर हासिल कर लिया है और अपने फोन नंबर से आधार नंबर को लिंक कर लिया है, उसके फोन हैंडसेट पर आधार अथाॅरिटी का कब्जा हो गया है।
लेकिन यह सरासर गलत साबित हुआ। पता चला कि यह काम गूगल का है। स्मार्टफोन जिस एंड्रायड फोन से चलता है, उसका मालिक गूगल ही है। गूगल एंड्रायड में ही आधार अथाॅरिटी का पूराना हेल्पलाइन डाल दिया था। उसका दावा है कि यह काम उसने गलती से 2014 में ही कर दिया था और तभी से भारत के एंड्राइड यूजर की संपर्क सूची में आधार का वह हेल्पलाइन नंबर है, जो अब पुराना पड़ गया है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या होगा, इस समय इसका अनुमान लगाना भी मुश्किल है, क्योंकि कोर्ट में दोनों पक्षों ने बहुत ही मजबूत दलीलें दी हैं। लेकिन इतना तय है कि आधार के खिलाफ काम कर रही लाॅबी चुप नहीं बैठी रहेगी। इंटरनेट पर जारी संग्राम लगता है कि विदेशी भी इस संग्राम मे रुचि ले रहे हैं या विदेशी एजेंसियों को हायर कर भारत की आधार विरोधी लाॅबी आधार में पलीता लगाना चाहती है। (संवाद)
आधार पर संग्राम
क्या भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय साजिश चल रही है?
उपेन्द्र प्रसाद - 2018-08-07 10:39
आधार पर भारत में संग्राम छिड़ा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में इसपर लंबी सुनवाई हो चुकी है। उसका फैसला आना अभी बाकी है। शायद फैसला लिखा जा रहा होगा और इस बीच उस फैसले को प्रभावित करने के लिए बड़ी बड़ी ताकतें सक्रिय हो गई हैं। कहने की जरूरत नहीं कि वे ताकतें चाहती हैं कि आधार केस सरकार सुप्रीम कोर्ट में हार जाय। गौरतलब है कि सरकार ने अनेक सेवाओं को आधार से लिंक करने का फैसला किया है।