नक्सलवाद,उग्रवाद,आतंकवाद जैसे आतंरिक खतरे को ले कर अक्सर राज्यों और केंद्र सरकार के बीच बैठकें होती रहती हैं। कभी आईपीएस की संख्या में हो रही कमी की बात आती है तो कभी राज्यों में पुलिस बलों की भर्ती अधिक से अधिक करने की सलाह केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है। राज्य सरकार वित्तीय हालात खराब होने की रोना रोते हुए आर्थिक पेकेज की मांग भी कर बैठते है। इन तमाम जद्दोजहद के बावजूद आतंरिक खतरे से मुकाबला कर कर रहे इस मुल्क में पुलिस बल की भारी कमी है।
लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में गृह राज्य मंत्री मुल्ला पल्ली रामचंद्रन ने बताया है कि मुल्क में कुल 26 लाख 73 हजार 27 पुलिस बल की कमी है।उन्होंने बताया कि पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो द्वारा संकलित किए आंकड़ों के अनुसार 1 जनवरी 2008 तक मुल्क के राज्यों में पुलिस बल की कुल स्वीकृत पद एक करोड़ 74 लाख 6 हजार 215 थी जिनमें से 1 करोड़ 47 लाख 8 हजार 88 पद ही भरे गए थे। पुलिस अधिकारियों की रिक्तियां इसके अतिरिक्त है।
बम विस्फोटों से कई बार थर्रा चुका मुल्क की आर्थिक राजधानी के नाम से जाने जाना वाला मुंबई का राज्य महाराष्ट् में सबसे ज्यादा पुलिस बल की कमी रही है।1 जनवरी 08 तक वहां लगभग 50 हजार पुलिस जवानों की कमी थी।पुलिस बल की कमी झेलने वाला मुल्क का दूसरा राज्य जम्मू व कश्मीर है। इस राज्य में पुलिस बल के कुल स्वीकृत पदों 94 हजार 763 के मुकाबले 58 हजार ही पुलिस जवान ही सर्विस पर तैनात थे। जबकि यह राज्य आतंकवाद से सबसे ज्यादा त्रस्त है।अन्य राज्यों यथा उत्तर प्रदेश में 22 हजार 267,बिहार में 22 हजार 113,कर्नाटक में 17 हजार 453,तमिलनाडू में 14 हजार 448,छत्तीसगढ़ में 14 हजार 86 व पश्चिम बंगाल में 13 हजार 7 पुलिस बलों की कमी है।मालूम हो कि ये सभी राज्य प्रमुख रूप से नक्सलवाद के चपेट में हैं।
गृह मंत्री द्वारा लोकसभा में दिए गए लिखित जबाब के अनुसार मुल्क की राजधानी दिल्ली ही मात्र ऐसा प्रदेश है जिसमें पुलिस बल की संख्या स्वीकृत पद से अधिक है।पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो के आकंड़ों के मुताबिक दिल्ली में पुलिस जवानों के स्वीकृत पद 67 हजार 420 हैं जबकि भर्तियां 79 हजार 450 जवानों की की गयी है। अर्थात दिल्ली में 12 हजार 30 जवानों की भर्तियां ज्यादा की गयी है।
चालू वर्ष में 7 फरवरी को केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने मुख्य मंत्रियों के सम्मेलन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अनुरोध किया था कि वे अपने अपने राज्यों मंे राष्ट्ीय पुलिस मिशन द्वारा विकसित पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के अनुरूप में पुलिस की भर्तिया कर लें।
गृह राज्य मंत्री रामचंद्रन ने लोकसभा में बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने मंत्रालय को सूचित किया है कि उसने इस भर्ती प्रक्रिया को पहले से पूर्ण रूप से अपना लिया है। आंध्र प्रदेश और तमिलनाडू ने भी टीआपी प्रक्रिया अपना लेने की बात कही है जबकि बिहार में टीआरपी की बहुत सी विशेषताओं का पहले से ही अनुसरण किया जा रहा है। जबकि छत्तीसगढ़,हरियाणा,हिमाचल प्रदेश,जम्मू व कश्मीर,झारखंड,कर्नाटक,महाराष्ट्,उड़ीसा,पंजाब और राजस्थान जैसे राज्यों में इस पर कार्रवाई चल रही है।
दिल्ली में स्वीकृत पद से अधिक है पुलिस बल जबकि कश्मीर में है भारी कमी
एस एन वर्मा - 2010-03-05 06:14
नई दिल्ली। नक्सलवाद ओर आतंकवाद से जूझ रहे प्रदेशों में जहां पुलिस बल और संसाधनों की भारी कमी है वहीं देश की राजधानी दिल्ली में पुलिस बलों की संख्या भर्ती मानको के अनुसार तए गए स्वीकृत पदों से काफी ज्यादा है। यह और बात है कि दिल्ली पुलिस के जवान अच्छी खासी संख्या में वीआईपी सुरक्षा में लगे होते हैं। जिन्हें दिल्ली में आपराधिक वारदातों के शिकार बन रहे आम आदमी की कोई फ्रिक नहीं होती है।