सिंधु को अभी तक फाइनल मुकाबलों में कुल 14 बार शिकस्त झेलनी पड़ी है जबकि वह अपने कैरियर में 11 खिताब अपने नाम कर चुकी हैं। इसी वर्ष उन्हें विश्व चैम्पियनशिप, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों, थाईलैंड ओपन तथा इंडिया ओपन के फाइनल में भी हार का सामना करना पड़ा था। अब उन्होंने जापान की नोजोमी ओकुहारा को शिकस्त देकर ‘विश्व टूर फाइनल्स’ खिताब जीता है, जिसे पहले ‘सुपर सीरिज फाइनल्स’ के नाम से जाना जाता था और यह खिताब जीतने वाली वह पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बन गई हैं। वह इस टूर्नामेंट में लगातार तीन बार खेली हैं लेकिन 2016 में वह सेमीफाइनल में पराजित हो गई थी जबकि 2017 में फाइनल में मुकाबला हारकर उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा था। भारत की ओर से साइना नेहवाल ने इसी टूर्नामेंट के लिए कुल सात बार क्वालीफाई किया और टूर्नामेंट के फाइनल तक भी पहुंची थी किन्तु खिताब जीतने में असफल रही थी। सिंधु फिलहाल विश्व रैंकिंग में छठे स्थान पर हैं।
आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में 5 जुलाई 1995 को पेशेवर वालीबाॅल खिलाड़ियों पी.वी. रमण और पी. विजया के घर जन्मी पीवी सिंधु को खेलों के प्रति जुनून अपने माता-पिता से विरासत में ही मिला था। दरअसल उनके माता-पिता दोनों ही पेशेवर वालीबाॅल खिलाड़ी रहे हैं। उनके पिता पीवी रमण को तो राष्ट्रीय वालीबाॅल में उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 2000 में भारत सरकार का प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। सिंधु ने मात्र 6 साल की उम्र में ही 2001 में आॅल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैम्पियन रहे पुलेला गोपीचंद से प्रभावित होकर बैडमिंटन को अपना कैरियर चुन लिया था और 8 साल की उम्र से ही सक्रिय रूप से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। शुरूआत में उन्होंने सिकंदराबाद में इंडियन रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार के बैडमिंटन कोर्ट में महबूब अली के मार्गदर्शन में बैडमिंटन की बारीकियां सीखी और कुछ ही समय बाद पुलेला गोपीचंद की बैडमिंटन अकादमी में शामिल होकर गोपीचंद के मार्गदर्शन में अपने खेल को निखारती चली गई। उसी का नतीजा है कि आज वह भारतीय बैडमिंटन का जगमगाता सितारा बन चुकी हैं। गोपीचंद फिलहाल भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच हैं।
विश्व वरीयता प्राप्त भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु 2009 में कोलंबो में आयोजित उप-जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंम्पियनशिप में कांस्य पदक, 2010 में ईरान फज्र अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन मुकाबले में महिला एकल में रजत पदक, 2011 में डगलस काॅमनवेल्थ यूथ गेम्स में स्वर्ण पदक, जुलाई 2012 में एशिया युवा अंडर-19 चैम्पियनशिप, दिसम्बर 2013 में मलेशियाई ओपन के दौरान महिला सिंगल्स का ‘मकाऊ ओपन ग्रैंड प्रिक्स गोल्ड’ खिताब, 2013 तथा 2014 में विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक, 2016 में गुवाहाटी दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक, 2016 में रियो ओलम्पिक में रजत पदक जीत चुकी हैं। सिंधु ने ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में आयोजित 2016 के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था और महिला एकल स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाली वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थी। ओलम्पिक खेलों में भारत की ओर से महिला एकल बैडमिंटन का रजत पदक जीतने वाली सिंधु पहली खिलाड़ी हैं। उससे पहले वे भारत की नेशनल चैम्पियन भी रह चुकी थी। नवम्बर 2016 में उन्होंने चीन ओपन खिताब भी अपने नाम किया था।
सिंधु चीन के ग्वांग्झू में आयोजित 2013 की विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में एकल पदक जीतने वाली भी पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिसमें उन्होंने ऐतिहासिक कांस्य पदक जीता था। वर्ष 2014 में उन्हें एनडीटीवी द्वारा ‘इंडियन आॅफ द ईयर’ घोषित किया गया था। 2013 में सिंधु को ‘अर्जुन पुरस्कार’ तथा 30 मार्च 2015 को भारत के चैथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। वह केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और विजाग स्टील की ब्रांड एम्बेसडर हैं। इस साल फोब्र्स पत्रिका द्वारा जारी विश्व में सर्वाधिक कमाई करने वाली शीर्ष 10 महिला खिलाड़ियों की सूची में सिंधु सातवें स्थान पर रही हैं। जून 2017 से जून 2018 के बीच सिंधु की कुल कमाई 85 लाख डाॅलर रही है। (संवाद)
गूगल पर सर्वाधिक खोजी जाने वाली खिलाड़ी बन गई सिंधु
भारतीय बैडमिंटन का जगमगाता सितारा पीवी सिंधु
योगेश कुमार गोयल - 2018-12-28 20:24
रियो ओलम्पिक रजत पदक विजेता और इस वर्ष राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों तथा विश्व चैंम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाली भारतीय बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु (पुसरला वेंकट सिंधु) ने ग्वांगझू में ‘बीडब्ल्यूएफ विश्व टूर फाइनल्स’ में ऐतिहासिक खिताबी जीत हासिल कर भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है। सिंधु के लिए यह जीत ऐतिहासक इसलिए मानी जा रही है क्योंकि वह एक ओर जहां अभी तक लगातार सात फाइनल मुकाबलों में हार का सामना कर चुकी थी, वहीं साल के अंत में मिला उनका इस साल का यह पहला खिताब है। इस स्वर्णिम जीत के बाद सिंधु ने स्वयं कहा भी है कि हर बार लोग उनसे एक ही सवाल पूछते थे कि वह बार-बार फाइनल में क्यों हार जाती हैं किन्तु इस जीत के बाद अब यह सवाल उनसे दोबारा नहीं पूछा जाएगा, इसीलिए यह जीत उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण है और इसके लिए उन्हें गर्व है। इस शानदार जीत के बाद सिंधु सर्च इंजन ‘गूगल’ पर सर्वाधिक खोजी जाने वाली भारतीय खिलाड़ी भी बन गई हैं।