सरकार द्वारा जब इस सत्र में ही अतंरार्ष्ट्ीय महिला दिवस पर महिला आरक्षण विधेयक लाने की बात कही गयी तब मंहगाई के मुद्दे पर एकजुट हुए विपक्षी एकता को तोड़ने की सरकार की रणनीति समझा गया।लेकिन विपक्ष ने मंहगाई के मुद्दे को जिंदा रखते हुए महिला आरक्षण विधेयक पर अपने अलग अलग राय के अनुरूप योजना पर कार्य करते रहे।राजद और सपा तथा जद यू का एक घटक इसके विरोध में उतर गए।कल इस विधेयक को राज्य सभा में भारी हंगामें के बीच रखा गया।कल दिन भर राज्य में हंगामा होता रहा।पांच बार राज्य सभा को स्थगित किया गया। फिर इस विधेयक को बिना बहस के पारित कराने की बात सरकार ने की।जिसका बीजेपी ने जम कर विरोध किया।बीजेपी के साथ माकपा ने भी इस बात पर एतराज जाहिर किया कि सरकार ने बिना किसी रोड मैप तथा बिना विपक्ष से इस पर बात किए विधेयक को संसद में पेश कर दी।लेकिन आज सरकार इस विधेयक पर चर्चा कराने की बात मान ली।लेकिन यूपीए सरकार प्रमुख घटक तृणमूल कांग्रेस ने वोंटिग में शामिल होने से इनकार कर दिया।बीएसपी नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने भी विधेयक पर असहमति जताते हुए अंत में वोटिंग से परहेज करने की घोषणा की।
महिला आरक्षण विधेयक को लेकर जारी गतिरोध को दूर करने केे लिए संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी के अन्य नेताओं से चर्चा की। सोनिया और मनमोहन संसद में उस समय मिले, जब दोनों सदनों की बैठक विधेयक को लेकर हंगामे के कारण सदन स्थगित थी।
राज्यसभा में आज हुए एक अभूतपूर्व घटनाक्रम में महिला आरक्षण के प्रावधान वाले संविधान संशोधन विधेयक के विरोधी सात निलंबित सदस्यों को सदन से बाहर करने के लिए मार्शलों की ताकत का इस्तेमाल किया गया तथा इसके विरोध स्वरूप सपा के कमाल अख्तर ने कांच का ग्लास तक तोड़ दिया और करीब आधे घंटे तक सदन में जबरदस्त अफरातफरी मची रही।
तीन बार के स्थगन के बाद जब उच्च सदन की बैठक शुरू हुई तो सातों निलंबित सदस्य आसन के समक्ष धरने पर ही मौजूद थे। इनमें सपा के कमाल अख्तर, आमिर आलम खान, वीरपाल सिंह और नंद किशोर यादव, जद-यू के निलंबित सदस्य डॉ. एजाज अली, राजद के सुभाष यादव तथा लोजपा के साबिर अली शामिल हैं। इन्हीं के साथ राजद के राजनीति प्रसाद और सपा के रामनारायण साहू भी आसन के समक्ष आकर विरोध व्यक्त करने लगे। सभापति हामिद अंसारी ने इन सदस्यों से वापस चले जाने की कई बार अपील की।
इसी बीच, उन्होंने संविधान 108वां संशोधन विधेयक पर चर्चा की घोषणा करते हुए विपक्ष के नेता अरुण जेटली का नाम पुकारा। जेटली अपने स्थान पर बोलने के लिए खड़े हुए लेकिन हंगामे के कारण वह अपनी बात शुरू नहीं कर पाये। काफी समय तक सदन में हंगामा जारी रहने के बीच ही सभापति ने विधेयक पर मत विभाजन की घोषणा कर दी। इसके बाद उन्होंने लाबी खाली करवाने का आदेश दिया। सदन में उस समय 30 से ज्यादा मार्शल मौजूद थे। इन मार्शलों ने एक-एक कर सातों निलंबित सदस्यों को जबरदस्ती उठाकर सदन से बाहर कर दिया।
सबसे अंत में सपा के कमाल अख्तर को मार्शलों ने सदन से जबरदस्ती बाहर किया। इससे पहले अख्तर सपा, बसपा, जद-यू और अन्नाद्रमुक के संसदीय नेताओं की बैठने वाली अग्रिम पंक्ति की एक सीट पर खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। विरोध के दौरान ही उन्होंने मेज पर पड़ा कांच का एक गिलास पटक दिया। इसके बाद मार्शल उन्हें उठाकर सदन से बाहर ले गये। कमाल अख्तर तथा अन्य निलंबित सदस्यों को जबरदस्ती सदन से बाहर निकाले जाने का विरोध कर रहे सपा तथा राजद सदस्यों में भाजपा के विनय कटियार समेत कई अन्य सदस्य भी शामिल हो गये। भाजपा के सदस्य मांग कर रहे थे कि सदन को व्यवस्था में लाया जाना चाहिए और इस तरह मार्शल का प्रयोग कर सदन नहीं चलाया जा सकता। भाजपा के कई सदस्यों के उत्तेजित होने के बाद विपक्ष के नेता अरुण जेटली, एसएस अहलूवालिया तथा कुछ अन्य नेता चलकर सदन के नेता और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास विचार-विमर्श करने के लिए गये। उस समय सरकार के वरिष्ठ मंत्री भी वहां पहुंच गये। विचार-विमर्श के बाद जेटली और भाजपा नेता अपने स्थान पर वापस आ गए और विपक्ष के नेता ने अपने दल के सभी सदस्यों को शांत होने के लिए कहा। जेटली ने जैसे ही दोबारा अपनी बात शुरू की, बसपा के नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने सदन में फैली अव्यवस्था को लेकर फिर विरोध शुरू कर दिया।
मिश्रा और उन्हीं की पार्टी के बृजेश पटेल अन्य बातों के साथ-साथ इस बात का भी विरोध कर रहे थे कि मिश्रा की सीट पर टूटे हुए गिलास का कांच बिखरा हुआ है। इसके कारण कुछ मिनट के लिए फिर सदन में शोरगुल मचता रहा। शोरगुल के बीच ही राज्यसभा के सचिवालय के कर्मचारियों ने अंदर आकर सीट से कांच के टुकड़े हटाये। इसी बीच, भाजपा के सदस्यों ने सदन में मार्शलों की भारी संख्या होने पर ही आपत्ति जताई। एक सदस्य ने यह तक कहा कि यह सदन है या पुलिस थाना। सदस्यों की आपत्ति के बाद मार्शलों को जाने को कहा गया। इसके बाद सदन में शांति कायम होने पर सभापति ने विपक्ष के नेता से विधेयक पर चर्चा शुरू करने को कहा और फिर जेटली ने अपनी बात रखनी शुरू की। इससे पहले, भारी शोरगुल और हंगामे की वजह से सभापति ने विधेयक को बिना चर्चा के ही पारित कराने के उद्देश्य से मत विभाजन का निर्देश दे दिया था। यहां तक कि उन्होंने इस पर ध्वनि मत भी ले लिया था, लेकिन बाद में स्थिति शांत होने पर उन्होंने पुनः चर्चा शुरू कराने का निर्देश दिया।कांग्रेस के तरफ से चर्चा की शुरुआत जयंती नटराजन ने की।सीपीएम के नेता सीता राम येचूरी तथा वृदां करात ने भी अपनी बात रखी।
महिला आरक्षण को लेकर इतिहास तो बना लेकिन काले धब्बे के साथ
एस एन वर्मा - 2010-03-09 13:14
नई दिल्ली। काफी जद्दोजहद के बाद आज राज्य सभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित हो गया।सरकार ने अपनी लाज तो बचा ली लेकिन इस दौरान विधेयक के विरोध में राज्य सभा में राजद तथा सपा सांसदों जो कुछ किया गया वह संसद के इतिहास में काला धब्बा के रूप में जाना जाएगा।राज्य सभा अध्यक्ष के सामने उपद्रव करने वाले सात संासदों केा निलंबित चालू सत्र तक के लिए निलंबित कर दिया गया।इन सदस्यों को आज सदन से बाहर करने के लिए मार्शलों की ताकत का इस्तेमाल किया गया।