गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि कांग्रेस पहले से ही गठबंधन में थी, इसीलिए अमेठी और रायबरेली उनके लिए छोड़ दिए गए थे। अखिलेश ने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन में कुछ दल हैं जबकि कुछ और दल विधानसभा चुनाव में गठबंधन में शामिल होंगे।

यहां यह उल्लेखनीय होगा कि अखिलेश यादव ने राजनीति में प्रियंका गांधी के प्रवेश और एआईसीसी महासचिव के रूप में उनकी नियुक्ति का स्वागत किया था। उच्च जातियों और अल्पसंख्यकों के लोगों की भागीदारी मायावती और अखिलेश को 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति को मजबूत करने के लिए प्रेरित करेगी।

ऐसी खबरें हैं कि समाजवादी पार्टी और बसपा अपने उम्मीदवारों को गैर-यादव पिछड़े और गैर-जाटव दलित समुदायों का सपोर्ट जीतने के लिए बदल सकती हैं। चूंकि कांग्रेस पार्टी सवर्ण हिंदू को भी आकर्षित करेगी, इसलिए बसपा को टिकट देते समय सर्वसमाज के लोगों को ध्यान में रखना होगा।

हालांकि बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती लगातार कांग्रेस पर हमला कर रही हैं, लेकिन राहुल-प्रियंका सपा और बसपा की किसी भी आलोचना से बचते हैं। रोड शो के बाद प्रदेश कांग्रेस कमिटी में हुए राहुल गांधी के भाषण को बहुत महत्व दिया जा रहा है जहां उन्होंने कहा कि अखिलेश और बसपा के लिए उनके मन में बहुत सम्मान है लेकिन उनकी पार्टी फ्रंट फुट पर खेलेगी। वहीं राहुल गांधी ने कहा कि प्रियंका और ज्योतिरादित्य 2022 तक राज्य में कांग्रेस की सरकार सुनिश्चित करने के लिए यूपी में काम करेंगे।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि प्रियंका और राहुल गांधी का मेगा रोड शो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उनके घरों से बाहर निकालने में सफल रहा और वे बड़े उत्साह के साथ वे नेताओं की जय-जयकार करते नजर आए, जो पार्टी को बड़े पैमाने पर मदद करेंगे।

ऐसी संभावना है कि प्रियंका और ज्योतिरादित्य के भविष्य के कार्यक्रम अखिलेश और मायावती को बातचीत की मेज पर आने के लिए मजबूर कर सकते हैं और उन्हें कांग्रेस को सम्मानजनक सीटें देना पड़ सकता है।

रोड शो के बाद भविष्य के कार्यक्रम और प्रियंका और राहुल की रणनीति यह तय करेगी कि बसपा-सपा गठबंधन के नेता भाजपा का मुकाबला करने के लिए पूर्ण गठबंधन के लिए तैयार होते हैं या नहीं।

वैसे राजनैतिक हलकों में चर्चा चल रही है कि अब सपा- बसपा अपने गठबंधन में कांग्रेस को शामिल कर इसे महागठबंधन का रूप दे सकती है। सपा- बसपा के नेताओं के बयानों से लगता है कि अखिलेश यादव कांग्रेस को अपने साथ लेने की लिए ज्यादा इच्छुक हैं, लेकिन मायावती ने अभी तक कांग्रेस के प्रति नरमी के संकेत नहीं दिए हैं। जाहिर है, दारोमदार मायावती पर ही निर्भर करता है। (संवाद)