प्रश्नकाल में पूछे गए सवालों के जवाब पर एक तरह से भ्रष्टाचार पर निवर्तमान भाजपा सरकार को क्लीनचिट सा मिल गया। मंत्रियों ने इन जवाबों पर गहराई से ध्यान नहीं दिया और विधानसभा में जवाब आने के बाद कांग्रेस के भीतर ही राजनीति गरमा गई। विधानसभा का सत्र निकल गया, लेकिन मामला शांत होता नहीं दिख रहा। भाजपा भी सरकार पर बाहरी हस्तक्षेप का आरोप लगाकर कांग्रेस पर प्रहार कर रही है। इस मामले को लेकर भाजपा यह बताने से गुरेज नहीं कर रही कि सरकार खतरे में है और कांग्रेस की आपसी गुटबाजी में सरकार खुद ही गिर जाएगी।
इस मामले पर सबसे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने सवाल खड़ा कर दिया और कहा कि मंदसौर गोलीकांड मामले में क्लीनचिट कैसे दे सकती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे पैदल नर्मदा परिक्रमा किए हैं और देखा है कि कैसे पौधारोपण के नाम पर घोटाला हुआ है, इस मामले में भी सरकार ने जवाब दिया है कि पौधारोपण में कोई राशि खुर्दबुर्द होने का अनुमान नहीं माना गया है। कांग्रेस ने पिछली सरकार पर सिंहस्थ में घोटाला को लेकर तथ्यों के साथ जोर-शोर से आवाज उठाया था। लेकिन इस मामले में आए सवालों पर भी मंत्रियों के जवाब का सार यह रहा कि इसमें कोई घोटाला नहीं हुआ।
वन मंत्री उमंग सिंघार, गृह मंत्री बाला बच्चन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे और दिग्विजय सिंह के पुत्र नगरीया विकास एवं आवास मंत्री जयवर्द्धन सिंह के जवाबों से यह सियासी उबाल आया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा मंत्रियों के जवाब पर सवाल उठाए जाने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मोर्चा संभाला और साफ संदेश दिया कि दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा। विभागीय मंत्रियों ने बाद में बयान जारी किया कि दोषी अधिकारियों एवं लोगों को छोड़ा नहीं जाएगा और उन्होंने कोई क्लीनचिट नहीं दी। लेकिन इसके साथ ही मंत्री उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह को चिट्ठी लिखकर नसीहत दे डाली। उन्होंने लिखा कि पौधारोपण में उन्होंने कोई क्लीनचिट नहीं दी, लेकिन सिंहस्थ घोटाले में जयवर्द्धन ने जरूर क्लीनचिट दी है। उन्होंने यह भी लिखा कि पार्टी कैसे मजबूत हो, इस बारे में दिग्विजय सिंह को सोचना चाहिए। फिर जयवर्द्धन की सफाई भी आ गई कि उन्होंने क्लीनचिट नहीं दी। इस पर दिग्विजय सिंह का कहना है कि गृह व वन विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग के सवालों में फर्क है। गृह विभाग एवं वन विभाग के सवाल तारांकित थे, इसका मतलब इन सवालों को मंत्रियों ने पढ़ा था, जबकि जयवर्द्धन के विभाग का सवाल अतारांकित था।
कांग्रेस की सरकार बनने के बाद जनता ने उम्मीद की थी कि परिवर्तन साफ तौर पर दिखाई देगा, लेकिन अभी तक सरकार ने विभिन्न घोटालों की जांच को लेकर जो वादा किया था, उस पर ठोस कदम नहीं उठाया है। विधानसभा सत्र में आए सवालों ने कांग्रेस की कई कमजोरियों को उजागर किया है। महज दो महीने की सरकार अपने ही लोगों से घिरती नजर आई। नए मंत्रियों की पकड़ अधिकारियों पर कमजोर दिख रही है। अधिकारियों ने सवालों के जवाब गोल-गोल बनाकर दिए, जिसे मंत्री समझ नहीं पाए और उन जवाबों से कांग्रेस सरकार की फजीहत हो गई। इससे यह भी पता चलता है कि मुख्यमंत्री द्वारा लगातार अधिकारियों को दिए गए यह संदेश कि सरकार बदल चुकी है, को लेकर अधिकारियों पर कोई असर नहीं पड़ा है। नए मंत्रियों को पुराने मंत्रियों के स्टाफ रखने से परहेज करना चाहिए था, लेकिन अधिकांश मंत्रियों ने ऐसा नहीं किया। विभागीय कार्यशैली में बदलाव लाए बिना बहुत बदलाव की अपेक्षा नहीं की जा सकती। यह नई सरकार के लिए पहला सत्र था, जिसमें प्रश्नकाल था। आगे के सत्रों में कोई चूक न हो, इसके लिए मंत्रियों को बहुत कुछ सीखना होगा। इसके साथ ही विभिन्न घोटालों की पारदर्शी और त्वरित जांच के लिए सरकार को कदम उठाने होंगे एवं अपने वायदे के मुताबिक जल्द ही जन आयोग गठित करने होेंगे, तभी बदलाव दिखेगा। (संवाद)
मंत्रियों के जवाब पर कांग्रेस में जारी है घमसान
भ्रष्टाचार के मसले पर विधानसभा में आए जवाबों से कांग्रेस की बढ़ी चिंता
राजु कुमार - 2019-02-26 12:52
वक्त है बदलाव का, नारा के साथ कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगाए थे, जिसमें सिंहस्थ घोटाला, नर्मदा घाटी में पौधारोपण घोटाला और मंदसौर गोलीकांड प्रमुख थे। प्रदेश की जनता को इस बात की उम्मीद थी कि भाजपा सरकार बदलने के बाद इन मामलों में तेजी से कार्रवाई की जाएगी। उम्मीद यह भी जताई जा रही थी कि इन मामलों का सच सामने आएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन अंतरिम बजट के लिए आहूत विधानसभा सत्र के दरम्यान प्रश्नोत्तर काल में विधानसभा सदस्यों के सवालों के जिस तरह जवाब आए, उसने प्रदेश की जनता को चाकित कर दिया।