वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी द्वारा संसद में 26 फरवरी, 2010 को प्रस्तुत किए गए 11,08,749 करोड़ रुपए के बजट में वित्त वर्ष 2010-11 में विकास सकल घरेलू उत्पाद का 8.5 प्रतिशत रहने का आकलन किया गया है। विनिर्माण क्षेत्र में नई गति आएगी और निजी पूंजी निवेश विकास का प्रमुख उत्प्रेरक बनेगा। चालू वर्ष में अर्थव्यवस्था में 7.2 प्रतिशत तक सुधार हुआ है। सार्वजनिक व्यय में वृद्धि से मूलभूत ढांचे और सामाजिक विकास को जबर्दस्त समर्थन प्राप्त होगा, जिससे 2010-11 के कुल योजना परिव्यय में उनका योगदान क्रमश: 46 और 37 प्रतिशत हो जाएगा। कृषि को प्राथमिकता दी गई है। ग्रामीण रोजगार गारंटी और अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों के लिए पर्याप्त धन की व्यवस्था की गई है।

वित्तीय सुदृढी़करण

13वें वित्त आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए बजट का कुल योग तैयार किया गया है, जिसके तहत राज्यों को अगले पांच वर्षों (2010-15) के लिए केन्द्र के कर राजस्व का 32 प्रतिशत बढा़ हुआ हिस्सा मिलेगा। इसमें केन्द्र और राज्यों के वित्तीय सुदृढी़करण के लिए आयोग के दिशा-निर्देशों को शामिल किया गया हैं, जिसके अंतर्गत वित्तीय घाटा धीरे-धीरे कम होकर सकल घरेलू उत्पाद का 3 प्रतिशत तक रह जाएगा और केन्द्र तथा राज्यों के संयुक्त त्रऽण को भी 2014-15 तक सकल घरेलू उत्पाद के 68 प्रतिशत तक सीमित कर दिया जाएगा। सरकार के लिए यह पहला अवसर है कि उसने अपने घरेलू त्रऽण और सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात को स्पष्ट रूप से कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

आयोग द्वारा अलग-अलग राज्यों के लिए तैयार किए गए वितरण फार्मूले के आधार पर कर प्राप्तियों और सहायता अनुदान के तहत राज्यों को वार्षिक स्तर पर ज्यादा धन हस्तांतरित करने का अतिरिक्त बोझ केन्द्र सरकार को वहन करना होगा। राज्यों को चालू वर्ष के संशोधित अनुमानों की तुलना में 2010-11 में करों के केन्द्रीय पूल से कुल मिलाकर अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे। बजट ने एक प्रकार से दो महत्त्वपूर्ण कर सुधारों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है जोकि पहली अप्रैल, 2011 से लागू होंगे। कर सुधार हैं - व्यक्तिक और कारपोरेट कर दाताओं के लिए प्रत्यक्ष कर संहिता (डायरेक्ट टेक्स कोड) और वस्तु एवं सेवा अधिनियम (गुड्स एंड सर्विसिस एक्ट) जो कि देश को एक आम बाजार के रूप में संगठित करने के लिए डिजाइन किया गया है।

संसाधन जुटाना

वित्त मंत्री ने बजट में आमकर श्रेणियों का विस्तार किया है ताकि करदाताओं के हाथों में अधिक धन उपलब्ध कराया जा सके जो कि जिन्सों और सेवाओं की मांग को बढा़वा देने के लिए उपयोगी होगा। कॉरपोरेट कर प्रभार को 10 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया है और अन्य प्रोत्साहन भी दिए गए हैं ताकि मूलभूत ढांचे के बांडों आदि में निवेश किया जा सके। अनुमानित 26,000 करोड़ रुपए का राजस्व घाटा पूरा किया जाएगा। 43,500 करोड़ रुपए एकत्र करने के लिए केन्द्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क में परिवर्तन किया जाएगा और 3000 करोड़ रुपए प्राप्त करने के लिए सेवा शुल्क में परिवर्तन किया जाएगा। इस से शुद्ध लाभ 20,500 करोड़ रुपए का होगा। आर्थिक सुधारों के जारी रहने से कर राजस्व प्रचुर मात्रा में प्राप्त होगा। अप्रत्यक्ष करों में नये परिवर्तन आयात के औसतन शुल्क को 10 प्रतिशत पर रखेंगे। संशोधित उत्पाद शुल्क और सेवाकर को भी 10 प्रतिशत पर रखा गया है जो कि जीएसटी को लागू करने की ओर एक कदम है।

व्यय सुधार के साथ-साथ विनिवेश और सब्सिडी में कटौती आर्थिक सुदृढी़करण प्राप्त करने के लिए अब जरूरी हो गए हैं और यह सर्वनिहित विकास के लिए अधिक बड़े संसाधनों को जुटाते हैं। वित्त मंत्री ने कहा है कि यह सरकार के लिए भरोसे का विषय बन गया है।

इससे और भी अधिक संसाधन सृजनकारी पूंजीगत व्यय उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी क्योंकि फिलहाल घरेलू त्रऽणों के कुछ हिस्से का स्तेमाल गैर-योजना व्यय के लिए वित्तपोषण में किया जाता है। सरकार ने अधिकांश नियंत्रण गंवाए बिना ही सार्वजनिक उपक्रमों में सीमित हिस्से के विनिवेश की नीति पर जोर दिया है ताकि मौजूदा वर्ष में 25,000 करोड़ रुपए से अधिक धनराशि का इंतजाम किया जा सके। बजट में वर्ष 2010-11 के लिए इस शीर्ष के अधीन 40,000 करोड़ रुपए का अनुमान किया गया है, जिसमें 3 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से 35,000 करोड़ रुपए मिलने की संभावना है। अन्य प्रकार के नये करों के सामंजस्य और आर्थिक विकास की स्थिति में स्वाभाविक वृद्धि के बल पर केन्द्र सरकार का कुल कर और गैर-कर राजस्व 682212 करोड़ रुपए हो जाएगा।

योजना और गैर-योजना व्यय के लिए वर्ष 2010-11 में क्रमश: 3,73,092 करोड़ रुपए और 7,35,657 करोड़ रुपए का अनुमान लगाया गया है, जो क्रमश: 15 प्रतिशत और 6 प्रतिशत वृद्धि के साथ कुल व्यय को 11,08,749 करोड़ रुपए तक ले जाता है। राजस्व और गैर- त्रऽण प्राप्तियों के अलावा केन्द्रीय बजट, अंतर को बाजार के त्रऽणों सहित पूंजीगत प्राप्तियों से दूर करेगा। नये वित्त वर्ष में 381408 करोड़ रुपए का वित्तीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.5 प्रतिशत हो जाएगा, जबकि वर्ष 2009-10 में यह 6.7 प्रतिशत था।

वित्तीय मजबूती की शुरूआत का संकेत देते हुए वित्त मंत्री ने वर्ष 2011-12 और 2012-13 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के क्रमश: 4.8 प्रतिशत और 4.1 प्रतिशत वित्तीय घाटे के लक्ष्य निर्धारित किए। हालांकि बजट के अनुसार फिलहाल राजस्व घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 4 प्रतिशत की अपेक्षाकृत ऊंचाई पर है, पर वित्त मंत्री ने यह आशा व्यक्त की है कि यह वर्ष 2014-15 तक राजस्व घाटा कम होने की स्थिति में अगले दो वर्षों में 3.4 प्रतिशत और 2.7 प्रतिशत के स्तर तक नीचे आ जाएगा। वर्ष 2010-11 में सरकार का वास्तविक सकल बाजार त्रऽण भी 3,45,010 करोड़ रुपए तक नीचे आ जाएगा और इससे निजी क्षेत्रों के लिए उनकी त्रऽण सबंधी जरूरतों की पूर्ति के लिए काफी अवसर तैयार होंगे।

व्यय सुधार

गैर-योजना व्यय को घटाने के उद्देश्य से शुरूआत में पेट्रोलियम उत्पादों और उर्वरकों पर दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती करनी होगी, जो बजटीय अनुमानों से स्पष्ट है। मौजूदा खरीफ सीजन में पोषण-आधारित सब्सिडी साथ उर्वरकों पर मूल्य वृद्धि न करने के आश्वासन के साथ इस दिशा में शुरूआत हो चुकी है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि तेल और उर्वरक कम्पनियों को बजट-इतर देनदारी के रूप में बाँड जारी करने की प्रणाली को बंद किया जा रहा है, ताकि किसी राजसहायता से संबंधित नकद व्यय को वित्तीय लेखा में शामिल किया जा सके। सरकार यह उम्मीद कर रही है कि वह किरीट पारिख समिति के सुझावों के अनुसार पेट्रोलियम उत्पादों के मूल्य निर्धारण की बाजार से जुड़ी प्रणाली पर निर्णय लेगी।

इस बीच प्रत्यक्ष कर के बदलावों के बीच बजट के द्वारा कच्चा पेट्रोलियम और परिष्कृत उत्पादों पर आयात शुल्क कायम किया गया। इसमें ऐसे समय में कमी की गई जब तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें काफी ऊंची थीं और अब तेल की कीमतें अपेक्षाकृत कम हैं। पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर एक रुपए का आबकारी शुल्क लगाने का भी प्रस्ताव किया गया है। पेट्रोलियम उत्पादों पर शुल्कों में बदलाव को विपक्षी दलों द्वारा महंगाई के संदर्भ में विरोध झेलना पड़ा। अन्य सभी गैर-पेट्रोलियम पदार्थों पर आबकारी शुल्क को 8 प्रतिशत से बढा़कर 10 प्रतिशत कर दिया गया है।

बजट के हिस्से के रूप में कई प्रकार के सुधार का प्रस्ताव किया गया है ताकि बजटीय प्रावधानों का मनचाहा परिणाम सुनिश्चित हो सके साथ ही सार्वजनिक सेवाओं के प्रभावकारी वितरण की प्रणाली पर जोर दिया जा सके।

विकास सुदृढी़करण

वित्त मंत्री ने कहा कि खाद्य पदार्थों की दोहरे अंक वाली महंगाई दर एक बड़ी चिन्ता का विषय है और उन्होंने यह आशा की कि मुख्यमंत्रियों के साथ हाल में किए गए विचार-विमर्श से अगले कुछ महीने में महंगाई दर में कमी आएगी। इस प्रकार बजट में कृषि का मुद्दा फिर से अग्रणी रहा और बजट में हरित क्रांति को पूर्वी क्षेत्र तक विस्तार करने और दलहनों तथा तिलहनों के उत्पादन को बढा़वा देने के लिए प्रावधान किए गए । इसी प्रकार बजट में कृषि त्रऽणों को बढा़कर 375,00 करोड़ रुपए किया गया।

वित्तीय मजबूती के अलावा बजट में अर्थव्यवस्था के सशक्त विकास के लिए सुधार के उपायों के हिस्से के रूप में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की प्रणाली को सरल बनाने जैसे निवेश के वातावरण में सुधार लाने के प्रस्ताव किए गए हैं। वित्तीय क्षेत्र की बृहद् देखरेख के उद्देश्य से अपीलीय स्तर पर एक वित्तीय स्थायित्व और विकास परिषद स्थापित की जाएगी। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की पूंजी में वृद्धि के लिए 16,500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया जाएगा। बैकिंग व्यवस्था की पहुंच बढा़ने के उद्देश्य से भारतीय रिजर्व बैंक निजी क्षेत्र के भागीदारों के लिए अतिरिक्त लाइसेंस की मंजूरी पर विचार कर रहा है। सरकार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध करा रही है, ताकि वे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए अधिक त्रऽण प्रदान कर सकें।

बजट में सड़क, बिजली, रेल के साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य तथा ग्रामीण विकास जैसे सामाजिक क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाओं के विस्तार के लिए पर्याप्त प्रावधान शामिल किए गए हैं। ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के तहत रोजगार गारंटी और भारत निर्माण कार्यक्रम सहित असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा कोष और अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा विकास कोष आदि के लिए बजटीय प्रावधान किए गए हैं।