वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी ने इस तथ्य को पहचाना है और उन्होंने 26 फरवरी को संसद में आम बजट पेश करते हुए कहा है कि सड़क, बदंरगाह, हवाई अड्डे और रेलवे जैसे उच्च गुणवत्ता वाली भौतिक अवसंरचना का विकास आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है।
उन्होंने इस बात बल दिया इस क्षेत्र के नीतिगत अंतर को दूर करते हुए, मैं ग्रामीण एवं शहरी दोनों क्षेत्रों में अवसंरचना उन्नयन पर विशेष बल बनाए रखने का प्रस्ताव करता हूं। 2010-11 के बजट में मैंने देश में अवसंरचना विकास के लिए 1,73,522 करोड़ रूपए दिए हैं जो कुल योजना आवंटन के 46 प्रतिशत से अधिक है।
वर्ष 2010-11 के लिए योजना आवंटन भी बढा़कर 3,73,000 करोड़ रूपए कर दिया गया है जो मौजूदा वित्तीय वर्ष के 3,25,000 करोड़ रूपए के योजना व्यय से 48,000 करोड़ रूपए अधिक है।
अवसंरचना विकास में निवेश 2004-05 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.5 प्रतिशत से बढक़र 2007-08 में 6 प्रतिशत हो गया है। लेकिन अब भी यह ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना लक्ष्य से कम है और इसे 2012 तक जीडीपी के 9 फीसदी तक ले जाना है। वैश्विक आर्थिक संकट ने 2008 में अवसंरचना क्षेत्र में निवेश की गति धीमी कर दी थी क्योंकि विदेशों से संसाधनों का प्रवाह कम हो गया था।
लेकिन भारत सरकार के वित्तीय एवं मौद्रिक प्रोत्साहन उपाय जैसे सजग प्रयासों से मौजूदा वर्ष में अवसंरचना क्षेत्र में निवेश बहाल हुआ है। अवसंरचना क्षेत्र में निवेश बढा़ने के लिए बजट पूर्व आर्थिक सर्वेक्षण कहता है कि इस क्षेत्र के लिए बड़े पैमाने पर दीर्घकालीन संविदात्मक बचत को एक निश्चित दिशा देने की जरूरत है।
इसी संदर्भ में बजट में यह घोषणा कि दीर्घकालीन अवसंरचना बॉड में 20,000 रूपए अतिरिक्त निवेश से व्यक्तिगत करदाताओं को करलाभ मिलेगा- एक स्वागतयोग्य कदम है। यह मौजूदा एक लाख रूपए की कर बचत सीमा से ऊपर होगा। इससे अवसंरचना कोष के लिए ज्यादा धन जुटाने में मदद मिलेगी।
अवसंरचना क्षेत्र में योजना आबंटन बड़े पैमाने पर बढा़ने के अलावा श्री मुखर्जी ने कहा है कि सड़क क्षेत्र पर असर दिखाई देने के लिए सरकार ने 20 किलोमीटर प्रति दिन की गति से राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण का लक्ष्य रखा है।
कार्यान्वयन की गति तेज करने के लिए नीतिगत प्रारूप में, खासकर सार्वजनिक निजी साझेदारी के जरिए क्रियान्वित हो रही योजनाओं के लिए बदलाव किए गए हैं।
सड़क परिवहन पर आबंटन भी 17,520 करोड़ रूपए से 13 प्रतिशत बढा़कर 19894 करोड़ रूपए कर दिया गया है।
रेलवे के आधुनिकीकरण एवं नेटवर्क के विस्तार के लिए 16752 करोड़ रूपए दिए गये जो पिछले वर्ष की तुलना में 450 करोड़ रूपए अधिक है।
समर्पित ढु़लाई गलियारे की मदद के लिए दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक गलियारा परियोजना को समेकित क्षेत्रीय विकास के रूप में लिया गया है। पर्यावरण के अनुकूल तथा विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस छह औद्योगिक निवेश केंद्रों की स्थापना के लिए प्रारंभिक तैयारी पूरी ली गयी है।
अवसंरचना परियोजनाओं को भारत अवसंरचना वित्त कं0 द्वारा दीर्घकालीन वित्तीय सहायता मौजूदा वित्तीय वर्ष के 9000 करोड़ रूपए से बढा़कर मार्च, 2011 तक 20,000 करोड़ रूपए की जाएगी।
बजट में नौवहन क्षेत्र को 6,500 करोड़ रूपए मिले हैं जबकि नागरिक विमानन को करीब 9,500 करोड़ रूपए तथा ग्रामीण सड़कों के लिए 12,000 करोड़ रूपए दिए गए हैं। ये राशियां पिछले वर्ष की तुलना में ज्यादा हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक विभिन्न राज्य सरकारों ने 2.24 लाख करोड़ रूपए की लागत से सार्वजनिक निजी साझेदारी के तहत पहले ही 450 योजनाएं शुरू की हैं।
दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई ओर बंगलुरू में फिलहाल 70,000 करोड़ रूपए के निवेश की लागत से मेट्रो रेल परियाजनाएं चल रही हैं।
प्रमुख शहरों में हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण एवं उन्नयन में बहुत बड़े निवेश हुए हैं। उनमें से कई हवाई अड्डों का आधुनिकीकरण पूरा हो चुका है तो कई अंतिम चरण में हैं।
बिजली क्षेत्र के लिए आवंटन 2010-11 में बढा़कर दोगुणा कर दिया गया है और यह 5,130 करोड़ रूपए है। यह इस दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है कि नई बिजली परियोजनाओं के स्थापना लक्ष्य में काफी कमी आयी है।
अर्थशारिुायों ने बजट में अवसंरचना व्यय का यह कहते हुए स्वागत किया है कि इससे वृद्धिदर को आगे बढा़ने में मदद मिलेगी तथा ग्रामीण अवसंरचना में अधिक व्यय से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
बीमा कंपनियों द्वारा अवसंरचना निवेश में लगातार वृद्धि हो रही है और 2007-08 के अंत तक यह 94,000 करोड़ रूपए के आसपास पहुंच गया था। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का योगदान 94 प्रतिशत था। अवसंरचना उद्योगों ने निजी नियोजन का फायदा उठाया है और संसाधन जुटाए हैं। निजी नियोजन इक्विटी एवं त्रऽण के जरिए हो सकता है। अवसंरचना के लिए केवल त्रऽण के जरिए उगाहा गया धन 2007-08 के महज 3,800 करोड़ रूपए से बढक़र 2008-09 में 19,000 करोड़ रूपए हो गया। अप्रैल-दिसंबर,2009-10 के दौरान 12,200 करोड़ रूपए जुटाए गए।
इक्विटी के जरिए धन संग्रहण में भी वृद्धि हो रही है और ये सभी इस बात की ओर इशारा करते हैं कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध है कि वृद्धिदर अवसंरचना की कमी के चलते बाधित न हो।
बिजली एक ऐसा क्षेत्र है जहां बिजली उत्पादन ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के पहले दो वर्षों में लक्ष्य से काफी नीचे था। ग्यारहवीं पंचवषीय योजना अप्रैल 2007 में शुरू हुई थी। लेकिन बिजली उत्पादन में अब तेजी आने लगी है और वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी को विश्वास है कि 31 मार्च, 2012 को समाप्त हो रही ग्यारहवीं योजना में 62,000 मेगावाट के संशोधित नये बिजली उत्पादन लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा।
बजट में बिजली क्षेत्र के लिए आवंटन बढा़ने के अलावा श्री मुखर्जी ने कोयला खंडों के कैप्टिव माइनिंग के लिए प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया शुरू करने का प्रस्ताव रखा है। देश में करीब तीन चौथाई बिजली उत्पादन कोयला आधारित है और इस कदम से इन खंडों में उत्पादन में भागीदारी बढे़गी और ज्यादा पारदर्शिता आएगी।
उन्होंने कोयला क्षेत्र में सभी को समान स्तर उपलब्ध कराने के लिए कोयला नियामक प्राधिकरण के गठन का प्रस्ताव रखा है। इससे कोयला के कीमत निर्धारण एवं कामकाज के मानक निर्धारण जैसे मुद्दों के समाधान में मदद मिलेगी।
बजट में सौर ऊर्जा के विकास पर भी विशेष ध्यान दिया गया है और इसके लिए आवंटन 2009-10 के 650 करोड़ रूपए से 61 प्रतिशत बढा़कर 2010-11 में 1000 करोड़ रूपए कर दिया गया । 500 करोड़ रूपए की अतिरिक्त राशि जम्मू कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में सौर, छोटी एवं मझौली बिजली परियोजनाओं के गठन पर व्यय किया जाना है।
अवसंरचना के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2008-09 में यह 5,400 करोड़ रूपए था। इस वित्तीय वर्ष में नवंबर तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह 4500 करोड़ रूपए के आसपास रहा। वर्ष 2010-11 में इसके और अधिक हो जाने की उम्मीद है। अवसंरचना क्षेत्र में ज्यादातर एफडीआई प्रवाह बिजली और संचार क्षेत्रों में हुआ है।
पूरे बजट में अवसंरचना को बेहतर किये जाने का पूरा संकेत है। आगामी वर्ष में वृद्धि में तेजी को कायम रखने के लिए अवसंरचना पर विशेष ध्यान दिया गया है। जब अर्थव्यवस्था मंदी से उबरने की राह पर है तब यह एक अच्छा अर्थशारुा है क्योंकि इससे यह सुनिश्चित होगा कि जब मांग बढे़गी तो क्षमता वृद्धि में कोई रूकावट न रहे।
2010-11 बजट और अवसंरचना
आर. के सुधामन - 2010-03-13 06:51
यदि भारत को नौ प्रतिशत या उससे अधिक की उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल करनी है तो अवसरंचना कमी एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर तत्काल ध्यान दिये जाने की जरूरत है। यदि कोई यह कहता है कि 2010-11 के बजट में इस बाधा को दूर करने का ईमानदारी से प्रयास किया गया है तो यह गलत नहीं होगा।