विभिन्न राजनीतिक दलों की शिकायतों के बाद चुनाव आयोग ने मुस्लिम समुदाय से अपील जारी करने के लिए बसपा प्रमुख को नोटिस जारी किया है। यूपी में कुल आबादी के 19 फीसदी मतदाताओं की मौजूदगी के साथ मुस्लिमों ने कुल 80 लोकसभा सीटों में से दो दर्जन से अधिक सीटों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 15 लोकसभा सीटों में एक तिहाई और उससे अधिक आबादी मुस्लिम है, जबकि उनकी उपस्थिति 39 अन्य लोकसभा सीटों में 10 से 30 प्रतिशत के बीच है।
रामपुर में 49 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है-जो यूपी में किसी भी निर्वाचन क्षेत्र के लिए सबसे अधिक है। तब भी भाजपा के हिंदू उम्मीदवार विभिन्न राजनीतिक दलों और मुस्लिम संगठनों के मुस्लिम उम्मीदवारों को हराकर जीते थे। रामपुर के बगल में, मुरादाबाद में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 45.5 प्रतिशत है। तब भी 2014 में कांग्रेस उम्मीदवार बसपा और पीस पार्टी से मुस्लिम उम्मीदवारों को हराकर हिंदू उम्मीदवार जीते थे।
समुदाय के नेताओं को यह अहसास है कि मुसलमानों को भाजपा के उम्मीदवारों की हार सुनिश्चित करने के लिए समझदारी से वोट देना चाहिए और उसी भाजपा विरोधी उम्मीदवारों को वोट देना चाहिए जो भाजपा को हराने में सबसे बेहतर स्थिति में है। लेकिन जमीनी स्तर पर, मुसलमान भ्रमित हैं और कांग्रेस सपा-बसपा-रालोद गठबंधन और अन्य मुस्लिम दलों के बीच अपने वोटों को विभाजित करवाने के लिए अभिशप्त हैं। यहां तक कि अगर मुसलमान रणनीतिक वोटिंग करना चाहते हैं, तब भी यह पता लगाना मुश्किल है कि बीजेपी को कौन हरा रहा है। मतदाताओं को यह अनुमान लगाने के लिए छोड़ दिया जाता है कि किसे वोट देना है और इसके कारण वोटों में विभाजन हो जाता है।
बीजेपी मुस्लिम वोटों खासकर तीन तालक के मुद्दे पर मुस्लिम महिला वोटों में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है।
मुस्लिम समुदाय को यह भी चिंता है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में, कुल 55 मुस्लिम उम्मीदवारों में से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार लोकसभा के लिए जीत नहीं सका था। आजादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ था कि उत्तर प्रदेश से एक मुस्लिम लोकसभा में नहीं पहुंचा।
लोकसभा और उत्तर प्रदेश विधानसभा में इसके प्रतिनिधित्व में गिरावट ने उत्तर प्रदेश में मुस्लिम समुदाय को बेचैन कर दिया है जो संसद और विधायिका में अपनी आवाज को फिर से हासिल करने के लिए बहुत मेहनत कर रहे है।
यह मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ समाजवादी पार्टी बीएसपी आरएलडी और कांग्रेस जैसे दलों के लिए भी परीक्षण का समय है। मुस्लिम मतदाताओं के मतों को विभाजन रोकने के लिए वे अपने अपने तरीके से सक्रिय हैं और अपने को दूसरे भाजपा विरोधी उम्मीदवार से मजबूत दिखाने के लिए अथक कोशिश कर रहे हैं। (संवाद)
उत्तर प्रदेश के मुसलमान भारी संशय में
कांग्रेस और सपा-बसपा में किसे चुनें?
प्रदीप कपूर - 2019-04-13 10:28
लखनऊः आठ लोकसभा सीटों के लिए पहले चरण के मतदान से पहले मुस्लिम समुदाय को अपील जारी करने के लिए बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती को मुस्लिम समर्थन पाने की हताशा ने मजबूर किया। गौरतलब होगा कि बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने पहले मुस्लिम समुदाय को बसपा-सपा-रालोद के गठबंधन का समर्थन करने की अपील जारी की और फिर स्पष्ट रूप से मुस्लिम समुदाय से कहा कि वे कांग्रेस पार्टी को अपना वोट न दें, जो उनके गठबंधन की तुलना में बहुत कमजोर है।